रांची: कोरोना वायरस को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन के कारण पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए रांची में ईंट के भट्ठों को शुरू कर दिया गया है. लॉकडाउन में छूट के बाद 20 अप्रैल से रांची के ग्रामीण क्षेत्रों में ईंट भट्ठों का काम शुरू हो चुका है जिससे लगभग 30 हजार मजदूरों की जिंदगी पटरी पर लौट रही है. लेकिन ईंट भट्ठे के संचालक का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई इस साल नहीं हो पाएगी.
1008 ईंट बनाने के 650 मिलते हैं
रांची जिले में करीब 200 ईंट भट्ठे हैं. हर ईंट भट्ठे में गीली मिट्टी से ईंट ढालने का काम करीब 150 मजदूर करते हैं, जिन्हें 1008 ईंट सांचे में तैयार करने पर 650 रुपए मिलते हैं. और इसे बनाने के लिए सूर्य की किरण निकलने से पहले से ही मजदूर जुट जाते हैं. ईट बनाने वाली गया की मजदूर रेणु देवी का कहना है कि लॉकडाउन के ठीक पहले उनके पति काम के सिलसिले में गया चले गए थे, जो वहीं फंसकर रह गये.
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ईट भट्ठों पर मजदूर कैसे रहते हैं. इसे देख कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. चिमनी के बगल में गुफा की तरह कमरे बने होते हैं जिसमें मजदूर अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ रहने को मजबूर हैं. बेबसी इनके चेहरे पर साफ झलकती हैं.