रांचीः राजधानी की फिजाओं में इन दिनों सौंधी-सौंधी महक की मिठास मानो घुल सी गयी है. शुद्ध देसी घी, मेवा, खजूर के गुड़, बेसन, सूजी से बन रही गुजिया जिसे बिहार सहित कई राज्यों में पेड़किया भी कहा जाता है, उसकी महक ऐसी फैली है कि देखते ही देखते राज्य और देश की सीमा लांघ दूसरे देश के लोग भी इसके दीवाने हुए जा रहे हैं.
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कैसे आयी बदलाव की बयार
कल तक अपने अपने घरों के काम तक सीमित रहने वाली विनीता, बिंदु जैसी महिलाओं को जब आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का साथ मिला तो मानो इन महिलाओं में आसमान छूने की मन में दबी इच्छा को पंख लग गया.
स्तुति नाम की संस्था बना हर महिला ने 3000-3000 की पूंजी लगाई. सुबह 08 बजे से शाम 08 बजे तक मेहनत के बाद ये सफलता हासिल हुई है. स्तुति की महिलाएं शुद्धता के साथ परंपरागत गुजिया (पेड़किया) बनाती हैं. 24 महिलाएं स्मार्ट सिटी धुर्वा के नगरीय प्रशासन निदेशालय भवन में सुबह 08 बजे से शाम 08 बजे तक गुजिया बनाती हैं. शुद्ध देसी घी, बेसन, मावा, ड्राई फ्रूट्स, नारियल, खजूर के गुड़ का अलग-अलग तरह की अलग-अलग रेट वाले गुजिया है. 450 रुपये किलो से 600 रुपये किलो तक कीमत है, फिर भी डिमांड ऐसी कि पूरी नहीं हो रही है.
नगरीय विकास निदेशालय ने इनकी गुजिया को बाजार देने के लिए राजधानी में ही 16 स्टाल लगवाएं हैं, जो विधानसभा परिसर, नेपाल हाउस मंत्रालय सहित सभी चौक चौराहों पर है तो दूसरे राज्य और देश के लोग फ्लिपकार्ट पर भी सोन चिरैया ब्रांड गुजिया का आर्डर कर सकते हैं.
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महिलाओं के सशक्तिकरण के इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही DAY NULUM की स्टेट मिशन मैनेजर सलोनी सिंह पाहवा कहती हैं कि यह सुखद अहसास है, फ्लिपकार्ट पर पहला ऑर्डर कोलकाता से आया तो उस समय सहसा विश्वास ही नहीं हुआ. इसके अलावा कई ऐसे लोग हैं जो दूसरे देश में रह रहे हैं और अपने लोगों के लिए गुजिया पैक कराकर ले गए हैं.
हौसला आसमान छूने की है
कल तक अपने घर में पुराने कपड़े की सिलाई और घरेलू काम में लगी रहने वाली बिंदु कहती हैं कि उसने 3000 रुपये की पूंजी लगाई है. लेकिन उम्मीद बहुत ज्यादा आय होने की है, क्योंकि शहरी निकाय निदेशालय की दीदी और सभी लोग पूरी मदद कर रहे हैं और गुजिया की जबरदस्त मांग भी है. वो कहती है किं आपसी सहयोग से यहां यह काम हो रहा है, बाद में जो मुनाफा होगा उसे सब में बराबर बांटा जाएगा.
लड्डू, बेसन का सेव और अन्य उत्पाद लाने का विचार
DAY NULUM की स्टेट मिशन मैनेजर सलोनी सिंह पाहवा कहती हैं कि स्तुति की ये महिलाएं अब चल पड़ी हैं और ये अब रुकेंगी नहीं. गुजिया के बाद, बूंदी के लड्डू, बेसन का सेव और कई ऐसे खास चीज हैं, जो सोन चिरैया का ब्रांड बनकर उड़ान भरेंगी.
इन महिलाओं की मेहनत ऐसी कि हर दिन 80-100 किलो गुजिया बनाकर बेची जा रही है. कीमत की बात करें तो 450 रुपये किलो बेसन मावा की गुजिया, 500 रुपये किलो सूजी मावा की गुजिया, 600 रुपये किलो केवल मावा की गुजिया है. गुजिया बनाने में शुद्धता और पवित्रता का खास ध्यान रखा गया है. इन उत्पाद को राजधानी में व्यापक बाजार मिला है. राजधानी में ही 18 स्टाल लगाकर गुजिया की बिक्री की जा रही है. इसके अलावा फ्लिपकार्ट से ऑनलाइन ऑर्डर किया जा सकता है. भारत सरकार ने सोन चिरैया नाम का ब्रांड दिया है. महिलाओं की मदद के लिए नगर निकाय की 36 रिसोर्स पर्सन इनकी मदद के लिए काम कर रही हैं. किसी को कोई परेशानी ना हो इसके लिए एन्फोर्समेंट टीम बनाई गई है.