जमशेदपुर: झारखंड की धरती पर बहती स्वर्णरेखा नदी यहां के लोगों को कई तरह से फायदा देने वाली है. नदी से जल, बालू, मछली के साथ सोना भी मिलता है. स्वर्णरेखा नदी का जलस्तर घटते ही ग्रामीण महिलाएं नदी की रेत में सोने की तलाश करना शुरू कर दी हैं. महिलाओं के मुताबिक, वह सुबह घर का काम निपटाने के बाद सोना चुनने आती हैं.
महीने में औसतन 5-6 हजार रुपए की कमाई
3-4 घंटे तलाशने के बाद सोने का कण मिल जाता है. कभी 4 से 5 दिन बाद भी नहीं मिलता. सोने के ये कण चावल के बराबर या इससे भी छाेटे होते हैं. स्थानीय सोनार 150-200 रुपए प्रति कण के हिसाब से खरीदते हैं. इस तरह महीने में औसतन 5-6 हजार रुपए महिलाओं की कमाई हो जाती है.
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बरसात के बाद साेना मिलने की ज्यादा हाेती है संभावना
बरसात के दिनों में नदी का जलस्तर बढ़ने से यहां काम रुक जाता है. लेकिन यह फायदेमंद है. क्याेंकि पानी का बहाव अपने साथ पहाड़ाें और नदी-नालाें से हाेकर आता है. वह सोने के कणोंं काे साथ लाता है. जब पानी कम होता है ताे साेने के कण किनारे रह जाते हैं.
सूक्ष्म कणों की रिसाइक्लिंग का खर्च अधिक
भू-गर्भशास्त्री के अनुसार, स्वर्णरेखा-खरकई में सोने के सूक्ष्म कण मिलते हैं. इस लिए नदी का नाम स्वर्णरेखा पड़ा. कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इसका रिसाइक्लिंग करने पर जितना साेना मिलेगा, उससे अधिक खर्च आएगा.
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साेने की रिसाइक्लिंग करने का देसी तरीका
नदी की रेत से सोना निकालने के लिए महिलाएं नदी के ठीक किनारे हल्का गड्ढा खाेदकर उसमें से पानी निकाल देती हैं. इसके बाद उस गड्ढे में से बालू काे निकाल कर फिर उस बालू को पानी से धाेया करती हैं. जिससे मिट्टी और बालू बह जाते हैं और बड़े कंकड़ाें के बीच में साेने का कण रह जाता है.