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Witch Problem In Jharkhand: स्कूली बच्चे बने डायन कुप्रथा के जागरुकता एंबेसडर, झारखंड हाई कोर्ट के सीजे का संबोधन - रांची न्यूज

झारखंड में डायन कुप्रथा एक बड़ी समस्या है. जिसका शिकार झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं बनती हैं. रांची में डायन कुप्रथा मुक्त झारखंड विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें 2023 तक झारखंड से डायन कुप्रथा को खत्म करने का संकल्प लिया गया.

witch problem in jharkhand
झारखंड में डायन कुप्रथा
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Published : Dec 22, 2021, 7:25 AM IST

Updated : Dec 23, 2021, 10:03 AM IST

रांचीः झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग और जेएसएलपीएस की तरफ से झारखंड में डायन कुप्रथा मुक्त झारखंड विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी में भी डायन कुप्रथा के जरिए महिलाओं से असमानता एवं भेदभाव का दौर जारी है, जो दुखद है. जागरुकता एवं शिक्षा की कमी ऐसी कुप्रथाओं को बढ़ावा देती है. हमें स्कूली बच्चों को डायन कुप्रथा को समाप्त करने के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में तैयार करना चाहिए, जो गांव में हमारे जागरुकता एंबेसडर होंगे. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सभी विभागों को साथ मिलकर हर गांव में शिक्षा जागरुकता और स्वास्थ्य सेवाओं को सुद्ढ़ करने की जरुरत है. हर गांव में महिलाओं को सशक्त बनाने की जरुरत है. झालसा के जरिए राज्य भर में ऐसी सामाजिक कुप्रथाओं को जड़ से खत्म करने के लिए कार्य किया जा रहा है. ग्रामीण विकास विभाग की इस पहल में झालसा भी अपना रोल निभाएगा.

ये भी पढ़ेंः छुटनी महतो आखिर कैसे बनीं पद्मश्री छुटनी महतो? जानिए पूरी कहानी

न्यायाधीश अपरेश सिंह ने कहा कि झालसा झारखंड में डायन कुप्रथा को समाप्त करने के लिए लगातार प्रयासरत है. यह कार्यशाला इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि छुटनी देवी को गरिमा परियोजना का ब्रांड एंबेसडर बनाया जाना चाहिए.कार्यशाला में ग्रामीण विकास सचिव, डॉ. मनीष रंजन ने कहा कि झारखंड में डायन कुप्रथा की घटनाओं के आंकड़े चौकाने वाले हैं. ग्रामीण झारखंड से इस कुप्रथा को समाप्त करने की जरूरत है. इस कार्यशाला के माध्यम से डायन कुप्रथा के खिलाफ काम करने वाले विभिन्न स्टेकहोल्डर्स एक साझा रणनीति तैयार कर सकेंगे. गरिमा परियोजना पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस परियोजना के तहत राज्य की करीब 5000 डायन कुप्रथा से पीड़ित महिलाओं को लाभ मिलेगा और झारखंड में डायन कुप्रथा के समाप्त किया जा सकता है . इस परियोजना के तहत पीड़ित महिलाओं को कानूनी मानसिक काउंसेलिंग समेत अन्य मदद का प्रावधान भी किया गया है.

देखें पूरी खबर

2023 तक राज्य को डायन प्रथा मुक्त करने की कोशिशः पद्मश्री छुटनी देवी

डायन कुप्रथा पर सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित छुटनी देवी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपनी कहानी को विस्तार से साझा किया. छुटनी देवी ने बताया कि डायन के रूप में गांव के लोगों ने उन्हें भी मारने की कोशिश की. आज मैं करीब 145 दूसरी पीड़ित महिलाओं को मुख्यधारा में ला चुकी हूं, जो अपने गांव में डायन के रुप में ब्रांड की जा चुकी थी. आने वाले दिनों में इस राज्य में हजारों छुटनी हमारे साथ होंगी और 2023 तक राज्य डायन कुप्रथा मुक्त होगा.

कार्यक्रम में जेएसएलपीएस की सीईओ नैंसी सहाय ने धन्यवाद देते हुए सभी अतिथियों के सुझावों पर अमल करने की बात कही. जेएसएलपीएस के द्वारा गरिमा परियोजना के जरिए 7 जिलों में डायन कुप्रथा उन्मूलन के लिए कार्य किया जा रहा है. परियोजना का लक्ष्य डायन कुप्रथा से प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं का आर्थिक एवं सामाजिक विकास के द्वारा डायन कुप्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म कर, एक सभ्य समाज की स्थापना करना और हर महिला को गरिमामय जीवन दे पाना है. इस पहल के जरिए राज्य में डायन कुप्रथा की पीड़ित महिलाओं को काउंसेलिंग, कानूनी सहायता, मनोवैज्ञानिक काउंसेलिंग समेत अन्य सहायता के जरिए मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. अब तक राज्य में करीब 933 डायन कुप्रथा से पीड़ित महिलाओं की पहचान की गई है. वहीं करीब 438 चिन्हित पीड़ित महिलाओं को सखी मंडल के जरिए आजीविका के विभिन्न साधनों से जोड़ा गया है. वहीं करीब 567 चिन्हित महिलाओं को मनोचिकित्सीय काउंसेलिंग भी उपलब्ध कराया गया है.

रांचीः झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग और जेएसएलपीएस की तरफ से झारखंड में डायन कुप्रथा मुक्त झारखंड विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी में भी डायन कुप्रथा के जरिए महिलाओं से असमानता एवं भेदभाव का दौर जारी है, जो दुखद है. जागरुकता एवं शिक्षा की कमी ऐसी कुप्रथाओं को बढ़ावा देती है. हमें स्कूली बच्चों को डायन कुप्रथा को समाप्त करने के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में तैयार करना चाहिए, जो गांव में हमारे जागरुकता एंबेसडर होंगे. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सभी विभागों को साथ मिलकर हर गांव में शिक्षा जागरुकता और स्वास्थ्य सेवाओं को सुद्ढ़ करने की जरुरत है. हर गांव में महिलाओं को सशक्त बनाने की जरुरत है. झालसा के जरिए राज्य भर में ऐसी सामाजिक कुप्रथाओं को जड़ से खत्म करने के लिए कार्य किया जा रहा है. ग्रामीण विकास विभाग की इस पहल में झालसा भी अपना रोल निभाएगा.

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न्यायाधीश अपरेश सिंह ने कहा कि झालसा झारखंड में डायन कुप्रथा को समाप्त करने के लिए लगातार प्रयासरत है. यह कार्यशाला इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि छुटनी देवी को गरिमा परियोजना का ब्रांड एंबेसडर बनाया जाना चाहिए.कार्यशाला में ग्रामीण विकास सचिव, डॉ. मनीष रंजन ने कहा कि झारखंड में डायन कुप्रथा की घटनाओं के आंकड़े चौकाने वाले हैं. ग्रामीण झारखंड से इस कुप्रथा को समाप्त करने की जरूरत है. इस कार्यशाला के माध्यम से डायन कुप्रथा के खिलाफ काम करने वाले विभिन्न स्टेकहोल्डर्स एक साझा रणनीति तैयार कर सकेंगे. गरिमा परियोजना पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस परियोजना के तहत राज्य की करीब 5000 डायन कुप्रथा से पीड़ित महिलाओं को लाभ मिलेगा और झारखंड में डायन कुप्रथा के समाप्त किया जा सकता है . इस परियोजना के तहत पीड़ित महिलाओं को कानूनी मानसिक काउंसेलिंग समेत अन्य मदद का प्रावधान भी किया गया है.

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2023 तक राज्य को डायन प्रथा मुक्त करने की कोशिशः पद्मश्री छुटनी देवी

डायन कुप्रथा पर सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित छुटनी देवी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपनी कहानी को विस्तार से साझा किया. छुटनी देवी ने बताया कि डायन के रूप में गांव के लोगों ने उन्हें भी मारने की कोशिश की. आज मैं करीब 145 दूसरी पीड़ित महिलाओं को मुख्यधारा में ला चुकी हूं, जो अपने गांव में डायन के रुप में ब्रांड की जा चुकी थी. आने वाले दिनों में इस राज्य में हजारों छुटनी हमारे साथ होंगी और 2023 तक राज्य डायन कुप्रथा मुक्त होगा.

कार्यक्रम में जेएसएलपीएस की सीईओ नैंसी सहाय ने धन्यवाद देते हुए सभी अतिथियों के सुझावों पर अमल करने की बात कही. जेएसएलपीएस के द्वारा गरिमा परियोजना के जरिए 7 जिलों में डायन कुप्रथा उन्मूलन के लिए कार्य किया जा रहा है. परियोजना का लक्ष्य डायन कुप्रथा से प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं का आर्थिक एवं सामाजिक विकास के द्वारा डायन कुप्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म कर, एक सभ्य समाज की स्थापना करना और हर महिला को गरिमामय जीवन दे पाना है. इस पहल के जरिए राज्य में डायन कुप्रथा की पीड़ित महिलाओं को काउंसेलिंग, कानूनी सहायता, मनोवैज्ञानिक काउंसेलिंग समेत अन्य सहायता के जरिए मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. अब तक राज्य में करीब 933 डायन कुप्रथा से पीड़ित महिलाओं की पहचान की गई है. वहीं करीब 438 चिन्हित पीड़ित महिलाओं को सखी मंडल के जरिए आजीविका के विभिन्न साधनों से जोड़ा गया है. वहीं करीब 567 चिन्हित महिलाओं को मनोचिकित्सीय काउंसेलिंग भी उपलब्ध कराया गया है.

Last Updated : Dec 23, 2021, 10:03 AM IST
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