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राहुल गांधी की किसानों से वर्चुअल बातचीत, रामेश्वर उरांव ने कहा- किसानों की लड़ाई में कांग्रेस उनके साथ है - वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव

रांची में झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने जानकारी दी कि राहुल गांधी ने कृषि कानून को लेकर वर्चुअल माध्यम से कई राज्यों के किसानों से चर्चा की. अध्यक्ष ने बताया कि इस चर्चा में किसानों ने जमकर इस कानून का विरोध किया.

virtual meeting of Rahul Gandhi with farmers
रामेश्वर उरांव संग कांग्रेसी कार्यकर्ता
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Published : Sep 29, 2020, 8:36 PM IST

रांचीः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने जानकारी दी कि पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कृषि कानून को लेकर मंगलवार को वर्चुअल माध्यम से बिहार और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों के किसानों से चर्चा की है. इसको लेकर उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से लाये गये तीन कृषि कानूनों पर पूरे देश में विरोध हो रहा है. हर दिन झारखंड, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलावा अलग-अलग राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ खड़ी है.

उन्होंने बताया कि वर्चुअल संवाद में किसानों ने पुरजोर तरीके से इस कानून का विरोध किया है. एक किसान ने तो राहुल गांधी से कहा कि अगर आज महात्मा गांधी जिंदा होते तो वे भी नरेंद्र मोदी सरकार के इस कानून का विरोध करते. एक अन्य किसान ने कहा कि इस बिल से अंबानी, अडानी जैसे लोगों का ही लाभ होने वाला है और साधारण किसानों की मुश्किलें बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम ने प्रभावी ढंग से जमाखोरी को कानूनी रुप दे दिया है. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान समझौता अध्यादेश 2020 मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया को निर्धारित नहीं करता. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य अधिनियम 2020 एपीएमसी को खत्म करता है और खाद्यान्न की खरीद का आश्वासन समाप्त करता है.

ये भी पढ़ें-राहुल गांधी ने की किसानों से बात, बोले- बीजेपी वाले अंग्रेजों के साथ थे

वहीं, इस संबंध में पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि एक किसान ने कहा कि पहले जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी थी, अब उसी रूप में अब ये कॉरर्पोरेट कंपनी आ जाएगी. इससे किसानों की जिंदगी तबाह हो जाएगी. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि देशभर में विभिन्न राज्यों के किसानों का यह साफ मानना है कि नये कृषि कानून से गरीब किसानों की मुश्किलें और भी बढ़ जाएगी. इस काले कानून से झारखंड समेत देशभर के 62 करोड़ किसानों में रोष व्याप्त है.

ये भी पढ़ें-रिम्स के अधीक्षक और उनकी पत्नी ने कोरोना को दी मात, 16 सितंबर को पाए गए थे संक्रमित

वहीं, प्रदेश प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने बताया कि किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री बार-बार भले यह कह रहे हों कि एमएसपी खत्म नहीं होगी, लेकिन आम किसानों को यह दिख रहा है कि अगर कृषि कानून में इसका लिखित प्रावधान नहीं किया गया तो एमएसपी की बात भी देश के हर नागरिकों के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा कराने की बात की तरह सिर्फ जुमलेबाजी ही सिद्ध होगी.

रांचीः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने जानकारी दी कि पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कृषि कानून को लेकर मंगलवार को वर्चुअल माध्यम से बिहार और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों के किसानों से चर्चा की है. इसको लेकर उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से लाये गये तीन कृषि कानूनों पर पूरे देश में विरोध हो रहा है. हर दिन झारखंड, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलावा अलग-अलग राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ खड़ी है.

उन्होंने बताया कि वर्चुअल संवाद में किसानों ने पुरजोर तरीके से इस कानून का विरोध किया है. एक किसान ने तो राहुल गांधी से कहा कि अगर आज महात्मा गांधी जिंदा होते तो वे भी नरेंद्र मोदी सरकार के इस कानून का विरोध करते. एक अन्य किसान ने कहा कि इस बिल से अंबानी, अडानी जैसे लोगों का ही लाभ होने वाला है और साधारण किसानों की मुश्किलें बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम ने प्रभावी ढंग से जमाखोरी को कानूनी रुप दे दिया है. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान समझौता अध्यादेश 2020 मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया को निर्धारित नहीं करता. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य अधिनियम 2020 एपीएमसी को खत्म करता है और खाद्यान्न की खरीद का आश्वासन समाप्त करता है.

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वहीं, इस संबंध में पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि एक किसान ने कहा कि पहले जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी थी, अब उसी रूप में अब ये कॉरर्पोरेट कंपनी आ जाएगी. इससे किसानों की जिंदगी तबाह हो जाएगी. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि देशभर में विभिन्न राज्यों के किसानों का यह साफ मानना है कि नये कृषि कानून से गरीब किसानों की मुश्किलें और भी बढ़ जाएगी. इस काले कानून से झारखंड समेत देशभर के 62 करोड़ किसानों में रोष व्याप्त है.

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वहीं, प्रदेश प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने बताया कि किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री बार-बार भले यह कह रहे हों कि एमएसपी खत्म नहीं होगी, लेकिन आम किसानों को यह दिख रहा है कि अगर कृषि कानून में इसका लिखित प्रावधान नहीं किया गया तो एमएसपी की बात भी देश के हर नागरिकों के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा कराने की बात की तरह सिर्फ जुमलेबाजी ही सिद्ध होगी.

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