रांची: झारखंड में एक तरफ कोरोना लगातार अपना दायरा बढ़ा रहा है तो वहीं विपदा की इस घड़ी में सहयोग के बजाय लोग छोटी-छोटी बात पर भी विरोध पर उतारू हो जा रहे हैं. रिम्स के मोर्चरी में पड़े आठ कोरोना संक्रमित मरीजों के शव का अंतिम संस्कार करने जब प्रशासन की टीम नामकुम स्थित घाघरा नदी घाट पर पहुंची तो लोग गोलबंद होकर विरोध करने लगे.
ग्रामीणों का कहना था कि अंतिम संस्कार करने से क्षेत्र में संक्रमण फैल सकता है. हालात को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस फोर्स को बुलाया गया और आला अधिकारियों को ग्रामीणों को समझाने-बुझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. काफी देर बाद कड़ी सुरक्षा के बीच शव का अंतिम संस्कार कराया गया.
दरअसल हरमू स्थित शवदाह गृह में शवों का अंतिम संस्कार होना था लेकिन वहां आई तकनीकी खराबी के कारण अंतिम संस्कार करना मुश्किल था, इसलिए आनन-फानन में जिला प्रशासन ने घाघरा नदी घाट पर अंतिम संस्कार कराने का फैसला लिया. एक तरफ हरमू स्थित शवदाह गृह में आए दिन तकनीकी गड़बड़ी आ रही है लेकिन जिला प्रशासन कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ अंधविश्वास के कारण दूसरे जगहों पर अंतिम संस्कार में दिक्कत भी आ रही है.
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बता दें कि संक्रमित मरीजों का शव जलाने की सूचना मिलने के बाद घाघरा महुआ टोली नामकुम के सभी ग्रामीण रात में इकट्ठा होकर इसका विरोध करने लगे. जिसको लेकर जिला प्रशासन ने काफी सुरक्षा की व्यवस्था देर रात में की और रात में ही कई संक्रमित कोरोना मृत मरीजों का अंतिम संस्कार किया गया. ग्रामीणों का विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन ने शुरू में वह मृत लोगों का अंतिम संस्कार किया. उसके बाद धीरे-धीरे प्रशासन की मुस्तैदी में कई संक्रमित शव को देर रात तक जलाया गया स्थानीय लोगों का कहना है कि इसके बाद अब इस स्वर्णरेखा घाट पर किसी भी संक्रमित मृतक का शव हम लोग जलाने नहीं देंगे.