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बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है विजयादशमी, जानिए पूजा विधि

शत्रुओं पर विजय की कामना लिए दशहरा में शस्त्र पूजा का विधान है. बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में इस पर्व को मनाते(festival of victory of good over evil) हैं.

festival of victory of good over evil
festival of victory of good over evil
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Published : Oct 5, 2022, 7:00 AM IST

नई दिल्लीः दशहरा पर्व (Dussehra Festival 2022) अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक (festival of victory of good over evil)है. इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. कुछ स्थानों पर यह त्योहार 'विजयादशमी' के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह उत्सव माता 'विजया' के जीवन से जुड़ा है.

शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इस दिन 'शस्त्र पूजा' का विधान है. इसके अलावा मशीनों, कारखानों आदि की पूजन की परंपरा है. देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में 'शस्त्र पूजा' बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है. क्षत्रिय योद्धा एवं सैनिक इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं. यह पूजा आयुध पूजा के रूप में भी की जाती है.

पुरातन काल में राजशाही क्षत्रियों के लिए यह पूजा मुख्य मानी जाती थी. ब्राह्मण इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं. वैश्य अपने बही खाते की आराधना करते हैं. कई जगहों पर होने वाली नवरात्रि रामलीला का समापन भी आज के दिन होता है.

बन रहा है विशेष योग

गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक, दशहरा अथवा विजयदशमी का पर्व इस वर्ष 5 अक्टूबर 2022 को दिन बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन श्रवण नक्षत्र होने से छत्र योग बनता है जो अत्यंत कल्याणकारी होता है. विजयदशमी को श्रवण नक्षत्र का होना बहुत ही शुभ होता है, जो शाम को 9:14 तक रहेगा. दशहरा पूजन मध्याह्न में करते हैं और रावण दहन शाम को करेंगे.

दशहरा पूजन का शुभ मुहूर्त

प्रातः 9: 33 बजे से 11:51 बजे तक रहेगा.

12:00 से 1:30 तक राहुकाल है. इसमें दशहरा पूजन नहीं करना चाहिए.

उसके पश्चात 13:54 बजे से 15:37 बजे तक विजय दशमी पूजन का शुभ मुहूर्त है.

राष्ट्र की रक्षा का लेते थे संकल्प

आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक शास्त्रीय नियमानुसार रक्षाबंधन ब्राह्मणों का त्योहार है. दीपावली वैश्यों का त्योहार है. दशहरा क्षत्रियों का त्योहार है और होली शूद्रों का त्योहार माना गया है. इसलिए दशहरे पर प्राचीन काल से ही शस्त्र पूजन की व्यवस्था की गई है. क्षत्रिय लोग शस्त्र पूजा करते थे और राष्ट्र को उसके शत्रुओं से बचाने का संकल्प लेते थे. इसलिए इस दिन शस्त्र पूजन करने का विधान है.

दशहरे का शास्त्रीय प्रमाण

रावण दहन शाम 6:30 बजे से 22:02 बजे तक कर सकते हैं. दशहरे के बारे में शास्त्रीय प्रमाण इस प्रकार है. दशहरा (रावणदाह) 5 अक्टूबर 2022 दिन बुधवार में सर्वमतेन मान्य रहेगा. यद्यपि दशमी साकल्पादिता तिथि मध्याह्नकाल तक रहेगी. इस पर्व में श्रवण नक्षत्र की बलिष्ठता है. अपराह्णकाल व्यापिनी दशमी ली जाती है. दिनद्वयेऽपराह्नव्याप्त्य व्याप्त्योरेकतरदिने श्रवणयोगे यद्दिने श्रवणयोगः सैवग्राह्या ॥



भगवान राम ने किया था रावण का वध

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस त्योहार का नाम दशहरा इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान पुरुषोत्तम राम ने 10 सिर वाले आतताई रावण का वध किया था. तभी से दशानन रावण के पुतले को हर साल दशहरा के दिन इसी प्रतीक के रूप में जलाया जाता है. दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की प्रेरणा देता है.

साल का सबसे पवित्र दिन

दशहरे का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है. यह मुहूर्त साल के अच्छे मुहूर्तों में से एक है. साल का सबसे शुभ मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्वनी शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा यह अवधि किसी भी चीज की शुरुआत करने के लिए उत्तम है. हालांकि, कुछ निश्चित मुहूर्त किसी विशेष पूजा के लिए भी हो सकते हैं.

नई दिल्लीः दशहरा पर्व (Dussehra Festival 2022) अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक (festival of victory of good over evil)है. इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. कुछ स्थानों पर यह त्योहार 'विजयादशमी' के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह उत्सव माता 'विजया' के जीवन से जुड़ा है.

शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इस दिन 'शस्त्र पूजा' का विधान है. इसके अलावा मशीनों, कारखानों आदि की पूजन की परंपरा है. देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में 'शस्त्र पूजा' बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है. क्षत्रिय योद्धा एवं सैनिक इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं. यह पूजा आयुध पूजा के रूप में भी की जाती है.

पुरातन काल में राजशाही क्षत्रियों के लिए यह पूजा मुख्य मानी जाती थी. ब्राह्मण इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं. वैश्य अपने बही खाते की आराधना करते हैं. कई जगहों पर होने वाली नवरात्रि रामलीला का समापन भी आज के दिन होता है.

बन रहा है विशेष योग

गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक, दशहरा अथवा विजयदशमी का पर्व इस वर्ष 5 अक्टूबर 2022 को दिन बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन श्रवण नक्षत्र होने से छत्र योग बनता है जो अत्यंत कल्याणकारी होता है. विजयदशमी को श्रवण नक्षत्र का होना बहुत ही शुभ होता है, जो शाम को 9:14 तक रहेगा. दशहरा पूजन मध्याह्न में करते हैं और रावण दहन शाम को करेंगे.

दशहरा पूजन का शुभ मुहूर्त

प्रातः 9: 33 बजे से 11:51 बजे तक रहेगा.

12:00 से 1:30 तक राहुकाल है. इसमें दशहरा पूजन नहीं करना चाहिए.

उसके पश्चात 13:54 बजे से 15:37 बजे तक विजय दशमी पूजन का शुभ मुहूर्त है.

राष्ट्र की रक्षा का लेते थे संकल्प

आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक शास्त्रीय नियमानुसार रक्षाबंधन ब्राह्मणों का त्योहार है. दीपावली वैश्यों का त्योहार है. दशहरा क्षत्रियों का त्योहार है और होली शूद्रों का त्योहार माना गया है. इसलिए दशहरे पर प्राचीन काल से ही शस्त्र पूजन की व्यवस्था की गई है. क्षत्रिय लोग शस्त्र पूजा करते थे और राष्ट्र को उसके शत्रुओं से बचाने का संकल्प लेते थे. इसलिए इस दिन शस्त्र पूजन करने का विधान है.

दशहरे का शास्त्रीय प्रमाण

रावण दहन शाम 6:30 बजे से 22:02 बजे तक कर सकते हैं. दशहरे के बारे में शास्त्रीय प्रमाण इस प्रकार है. दशहरा (रावणदाह) 5 अक्टूबर 2022 दिन बुधवार में सर्वमतेन मान्य रहेगा. यद्यपि दशमी साकल्पादिता तिथि मध्याह्नकाल तक रहेगी. इस पर्व में श्रवण नक्षत्र की बलिष्ठता है. अपराह्णकाल व्यापिनी दशमी ली जाती है. दिनद्वयेऽपराह्नव्याप्त्य व्याप्त्योरेकतरदिने श्रवणयोगे यद्दिने श्रवणयोगः सैवग्राह्या ॥



भगवान राम ने किया था रावण का वध

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस त्योहार का नाम दशहरा इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान पुरुषोत्तम राम ने 10 सिर वाले आतताई रावण का वध किया था. तभी से दशानन रावण के पुतले को हर साल दशहरा के दिन इसी प्रतीक के रूप में जलाया जाता है. दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की प्रेरणा देता है.

साल का सबसे पवित्र दिन

दशहरे का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है. यह मुहूर्त साल के अच्छे मुहूर्तों में से एक है. साल का सबसे शुभ मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्वनी शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा यह अवधि किसी भी चीज की शुरुआत करने के लिए उत्तम है. हालांकि, कुछ निश्चित मुहूर्त किसी विशेष पूजा के लिए भी हो सकते हैं.

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