रांचीः झारखंड में परिवहन विभाग की वेबसाइट में आ रही परेशानियों की वजह से हजारों बस मालिक परेशान हैं. बस मालिकों का कहना है कि कोरोना काल में परिवहन विभाग की ओर से टैक्स तो लिया ही जा रहा है. लेकिन उसके ऊपर से फाइन भी वसूला जा रहा है जो कि व्यावसायिक वाहन मालिकों के लिए परेशानी का कारण बन गया है.
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लॉकडाउन के दौरान सभी व्यावसायिक वाहन बंद पड़ी थी, जिसको लेकर टैक्स में माफी की अपील वाहन मालिकों ने सरकार से की. लेकिन विभाग की तरफ से टैक्स में माफी नहीं की गई है. जिसके बाद वाहन मालिकों ने सरकार से आग्रह करते हुए टैक्स के ऊपर लग रहे फाइन को माफ करने की बात कही. जिस पर सरकार ने भी फाइन की माफी को लेकर कैबिनेट में अनुमति दे दी. लेकिन सरकार से फाइन में माफी की मंजूरी मिलने के बावजूद वाहन मालिकों को फाइन जमा करना पड़ रहा है.
इसको लेकर झारखंड प्रदेश बस ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सच्चिदानंद सिंह ने कहा कि परिवहन विभाग की वेबसाइट में मात्र एक सप्ताह के लिए सभी टैक्स जमा करने का समय दिया गया. जिसमें यह भी कहा गया था कि टैक्स के ऊपर लग रहे हैं फाइन की माफी कर दी जाएगी और सिर्फ टैक्स देना पड़ेगा. लेकिन जब वाहन मालिक अपना टैक्स जमा करने गए तो परिवहन विभाग की वेबसाइट से फाइन भी काटा गया.
जिसकी शिकायत परिवहन विभाग के अधिकारियों को की गयी. जिस पर परिवहन विभाग के अधिकारियों ने आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द ही फिर से फाइन की माफी के साथ टैक्स जमा किया जाएगा. लेकिन अभी तक फाइन माफी के साथ टैक्स जमा नहीं हो रहा है. इसकी शिकायत जब परिवहन विभाग के अधिकारियों से की तो उनकी ओर से सिर्फ आश्वासन दे दिया जाता है. अब सवाल ये उठता है कि विभाग की तरफ से फाइन का दर लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन इसका कोई उपाय नहीं किया जा रहा है.
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स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (STA) और रिजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (RTA) की बैठक नहीं होने के कारण बसों को परमिट नहीं मिल पा रहा है. जिस वजह से राज्य में ज्यादातर बसें बिना परमिट के ही चल रही हैं. परमिट के आधार पर ही बसों के समय, रूट और ठहराव का निर्धारण होता है. मालूम हो कि बिना परमिट वाली बसें दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तो उस स्थिति में उस पर सवार यात्रियों और बस स्टाफ को दुर्घटना बीमा का लाभ नहीं मिल सकता है.
उन्होंने बताया कि पिछले 2 वर्षों से सदस्यों के मनोनयन नहीं होने के कारण दोनों अथॉरिटी की बैठक नहीं की जा सकी है. जबकि सदस्यों के मनोनयन को लेकर राज्य सरकार को पूर्व में ही प्रस्ताव भेजा जा चुका है लेकिन इस पर अभी तक निर्णय नहीं हो पाया है.
लॉकडाउन में अगर सबसे ज्यादा परेशान और नुकसान किसी व्यवसाय को हुआ है तो वह परिवहन व्यवसाय ही है. क्योंकि लॉकडाउन के दौरान परिवहन सेवा पूरी तरह से ठप थी. ऐसे में वाहनों पर लगने वाले टैक्स में भी राज्य सरकार की तरफ से कोई माफी नहीं की गई और अब टैक्स के ऊपर लग रहे फाइन भी परिवहन विभाग के उदासीन रवैया के कारण वाहन मालिकों को देना पड़ रहा है जो राज्य के लाखों लोगों को सीधा प्रभावित करता है.