रांची: इन दिनों रांची विश्वविद्यालय में नामांकन का दौर जारी है और नामांकन के दौरान एक मामला प्रकाश में आया है. कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने नामांकन लिस्ट के साथ विद्यार्थियों के निजी मोबाइल नंबर भी प्रकाशित किया है और इसे लेकर आजसू छात्र संघ ने शिकायत भी दर्ज करावाई है. मामले को लेकर जब विश्वविद्यालय प्रबंधन से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा यह शिकायत पूरी तरह गलत है. किसी भी महाविद्यालय की ओर से नामांकन लिस्ट के साथ विद्यार्थियों का मोबाइल नंबर प्रकाशित नहीं किया गया है.
'मामले में कोई सच्चाई नहीं'आजसू छात्र संघ की ओर से नामांकन मेरिट लिस्ट में गड़बड़ियों को लेकर एक शिकायत पत्र प्रो वीसी कार्यालय में सौंपा गया था. लेकिन इस मामले से जुड़ी कॉपी प्रो वीसी तक नहीं पहुंचा था. इसमें कहा गया था कि रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न महाविद्यालयों और विभागों में चल रही नामांकन प्रक्रिया में प्रकाशित नामांकन मेरिट लिस्ट में छात्र-छात्राओं के संपर्क संख्या को भी प्रकाशित कर दिया गया है, जो छात्र-छात्राओं की निजी जिंदगी के साथ खिलवाड़ है. इस ओर जल्द से जल्द विश्वविद्यालय प्रबंधन ध्यान दे. यह मामला काफी तूल पकड़ चुका है. मामले को लेकर जब विश्वविद्यालय के प्रो वीसी वर्तमान में कार्यकारी वीसी कामिनी कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि मामले में कहीं भी सच्चाई नहीं है. रांची विश्वविद्यालय के किसी भी महाविद्यालय की ओर से नामांकन मेरिट लिस्ट के साथ छात्र-छात्राओं का संपर्क संख्या नहीं दिया गया है. कहीं से भी ऐसी शिकायत नहीं मिली है और ना ही मामले में कोई सच्चाई है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने की आलोचना
इस मामले को झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता तनुज खत्री ने आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि विश्वविद्यालय की मानसिकता क्या है. वहीं कुछ छात्राओं से जब मामले को लेकर बातचीत की गई तो उनका कहना है कि विश्वविद्यालय स्तर पर इतनी बड़ी गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए. इससे छात्र-छात्राओं की निजी जिंदगी पर इफेक्ट पड़ता है. हालांकि पूरे मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन जांच कर रही है. विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से बार-बार यह कहा जा रहा है कि मामले को लेकर कहीं से भी कोई चूक नहीं हुई है. इसके बावजूद विश्वविद्यालय इस पूरे मामले की जांच करेगी.
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हो रही जांच
आजसू छात्र संगठन की ओर से शिकायत के बाद विश्वविद्यालय की ओर से पूरे मामले की जांच की जा रही है. अगर सही में गड़बड़ी हुई है तो यह एक गंभीर मामला है. मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन को त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित महाविद्यालयों पर कार्रवाई करने की जरूरत है. वीसी रमेश कुमार पांडे 2 महीने की छुट्टी पर हैं. ऐसे में कुलपति का तमाम अधिकार फिलहाल प्रति कुलपति कामिनी कुमार को दिया गया है. कार्यकारी कुलपति कामिनी कुमार अपने स्तर पर इस मामले को लेकर जांच कर रही हैं.