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झारखंड के कॉलेजों में जल्द भरे जाएंगे प्रिंसिपल के खाली पद, उच्च शिक्षा विभाग ने मांगा प्रस्ताव

प्राचार्यों की कमी से जूझ रहे झारखंड के विश्वविद्यालयों के अंगीभूत कॉलेजो में जल्द ही नियुक्ति होगी. 4 साल बाद फिर से स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार ने रास्ता साफ कर दिया है. उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सभी विश्वविद्यालय (University) से रोस्टर क्लियर करते हुए शीघ्र ही रिक्तियों का प्रस्ताव मांगा गया है. ताकि कार्मिक विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद जेपीएससी के पास नियुक्ति के लिए भेजा जा सके.

Principals will be appointed in colleges
कॉलेजों में जल्द भरे जाएंगे प्रचार्यों के खाली पद
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Published : Jun 28, 2021, 4:38 PM IST

Updated : Jun 28, 2021, 6:49 PM IST

रांची: राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ रांची विश्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों में स्थायी प्राचार्यों की संख्या काफी कम है. रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत 14 अंगीभूत कॉलेज हैं. लेकिन मात्र 3 कॉलेजों में ही स्थायी रूप से प्राचार्य काम कर रहे हैं. अब इसी कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने प्राचार्य की नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है.

देखिए पूरी खबर

ये भी पढ़ें- झारखंड के 4 विश्वविद्यालयों में वित्तीय सलाहकार नियुक्त, अधिसूचना जारी

प्राचार्य की कमी से जूझ रहे हैं कॉलेज

रांची विश्वविद्यालय समेत झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों के कॉलेज प्राचार्यों की कमी से जूझ रहे हैं. कॉलेजों में स्थायी प्राचार्यों की संख्या कम है. अगर आंकड़ों को देखें तो रांची यूनिवर्सिटी के 14 अंगीभूत कॉलेजों में मात्र 3 कॉलेजों में ही स्थायी रूप से प्राचार्य काम कर रहे हैं. बाकी सभी कॉलेजों में प्रभार पर प्राचार्यों की नियुक्ति विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से की गई है. रांची यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफेसर कामिनी कुमार कहती हैं कि जेपीएससी की ओर से इस मामले में पहल की जाएगी, तब ही स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति कॉलेजों में हो सकेगी. उनके मुताबिक जेपीएससी की ओर से प्रोन्नति प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है. ऐसे में जल्दी ही प्राचार्यों के खाली पद भरने की संभावना है.

63 कॉलेजों में केवल 19 प्राचार्य

ऐसा नहीं है कि केवल रांची यूनिवर्सिटी में ही प्रिंसिपल के पद खाली है. सभी विश्वविद्यालयों की बात करें तो राज्य के 63 अंगीभूत कॉलेजों में मात्र 19 प्राचार्य स्थायी हैं. इन कॉलेजों में किसी तरह प्रोफेसर इंचार्ज से काम चलाया जा रहा है. जबकि यूजीसी (Univercity Grants Commission) के नियम के अनुसार ऑटोनोमस कॉलेजों में प्राचार्य की नियुक्ति आवश्यक है और इस नियम का झारखंड में उल्लंघन हो रहा है.

कई सालों से नहीं हो रही नियुक्ति

जानकारी के मुताबिक कई सालों से न तो नियुक्ति हो रही है और न ही शिक्षकों को प्रोन्नति दी जा रही है. इसी वजह से स्थायी प्राचार्यों की भारी कमी राज्य के विश्वविद्यालयों में हो गई है. खाली पद को लेकर छात्रों में भी नाराजगी है. उनकी मानें तो कॉलेज के कई प्रशासनिक कामकाज के साथ विद्यार्थियों का हित भी प्रिंसिपल के नहीं होने से प्रभावित हो रहे हैं. छात्रों को लेकर कई ऐसे महत्वपूर्ण फैसले होते हैं जो प्रिंसिपल नहीं होने के कारण लटक जाते हैं. जिसका खामियाजा सीधे तौर पर छात्रों को भुगतना पड़ता है. छात्रों ने सरकार से जल्द से जल्द इस ओर ध्यान देते हुए स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति की मांग की है.

रांची: राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ रांची विश्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों में स्थायी प्राचार्यों की संख्या काफी कम है. रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत 14 अंगीभूत कॉलेज हैं. लेकिन मात्र 3 कॉलेजों में ही स्थायी रूप से प्राचार्य काम कर रहे हैं. अब इसी कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने प्राचार्य की नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है.

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प्राचार्य की कमी से जूझ रहे हैं कॉलेज

रांची विश्वविद्यालय समेत झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों के कॉलेज प्राचार्यों की कमी से जूझ रहे हैं. कॉलेजों में स्थायी प्राचार्यों की संख्या कम है. अगर आंकड़ों को देखें तो रांची यूनिवर्सिटी के 14 अंगीभूत कॉलेजों में मात्र 3 कॉलेजों में ही स्थायी रूप से प्राचार्य काम कर रहे हैं. बाकी सभी कॉलेजों में प्रभार पर प्राचार्यों की नियुक्ति विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से की गई है. रांची यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफेसर कामिनी कुमार कहती हैं कि जेपीएससी की ओर से इस मामले में पहल की जाएगी, तब ही स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति कॉलेजों में हो सकेगी. उनके मुताबिक जेपीएससी की ओर से प्रोन्नति प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है. ऐसे में जल्दी ही प्राचार्यों के खाली पद भरने की संभावना है.

63 कॉलेजों में केवल 19 प्राचार्य

ऐसा नहीं है कि केवल रांची यूनिवर्सिटी में ही प्रिंसिपल के पद खाली है. सभी विश्वविद्यालयों की बात करें तो राज्य के 63 अंगीभूत कॉलेजों में मात्र 19 प्राचार्य स्थायी हैं. इन कॉलेजों में किसी तरह प्रोफेसर इंचार्ज से काम चलाया जा रहा है. जबकि यूजीसी (Univercity Grants Commission) के नियम के अनुसार ऑटोनोमस कॉलेजों में प्राचार्य की नियुक्ति आवश्यक है और इस नियम का झारखंड में उल्लंघन हो रहा है.

कई सालों से नहीं हो रही नियुक्ति

जानकारी के मुताबिक कई सालों से न तो नियुक्ति हो रही है और न ही शिक्षकों को प्रोन्नति दी जा रही है. इसी वजह से स्थायी प्राचार्यों की भारी कमी राज्य के विश्वविद्यालयों में हो गई है. खाली पद को लेकर छात्रों में भी नाराजगी है. उनकी मानें तो कॉलेज के कई प्रशासनिक कामकाज के साथ विद्यार्थियों का हित भी प्रिंसिपल के नहीं होने से प्रभावित हो रहे हैं. छात्रों को लेकर कई ऐसे महत्वपूर्ण फैसले होते हैं जो प्रिंसिपल नहीं होने के कारण लटक जाते हैं. जिसका खामियाजा सीधे तौर पर छात्रों को भुगतना पड़ता है. छात्रों ने सरकार से जल्द से जल्द इस ओर ध्यान देते हुए स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति की मांग की है.

Last Updated : Jun 28, 2021, 6:49 PM IST
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