रांचीः राजधानी में एयरपोर्ट के पास हेतु गांव के निवासी हैं अमृत बहादुर. सड़क हादसा में एक पैर गंवा बैठे. अब शरीर से लाचार हैं. बच्चे भी साथ नहीं देते. पत्नी दूसरे के घरों में बर्तन मांजकर दो पैसे जुटाती हैं. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि सारे कागजात होने के बावजूद अमृत बहादुर को दिव्यांग पेंशन (Divyang Pension Scheme in Jharkhand) नहीं मिल रही है.
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रांची में ही जगन्नाथपुर के स्लम बस्ती में रहने वाले श्रवण शर्मा की भी ऐसी ही स्थिति है. दोनों पैर से लाचार हैं. जिंदगी की गाड़ी को घसीट रहे हैं. इनकी पत्नी भी दिव्यांग हैं. दोनों को कभी पेंशन (Divyang Pension Scheme in Jharkhand) मिलती थी, फिर अचानक सब बंद हो गया. बाबूओं के चक्कर काटने के लिए अब किसकी मनुहार करें. आपको जानकर हैरानी होगी कि झारखंड में लंबे समय से नि:शक्तता आयुक्त का पद अप्रैल माह से रिक्त पड़ा है.
हर जरूरतमंद को मिलेगी पेंशन
अमृत और श्रवण जैसे न जाने कितने लोग जो लाचार हैं लेकिन उनतक पहुंचने वाली सरकारी सहायता फाइलों में धूल फांक रही है. दोनों परिवारों के मसले पर हमारी टीम ने सामाजिक सुरक्षा आयुक्त ए डोडे से बात की. उन्होंने कहा कि जरूरतमंदों को लाभ देने के लिए कई नियमों से गुजरना पड़ता था. इसकी वजह से बहुत लोग वंचित रह जाते थे. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने यूनिवर्सल पेंशन योजना (Universal Pension Scheme) शुरू की. इसमें शर्तों को इतना लचीला बनाया गया है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका फायदा उठा सकेंगे.
झारखंड में दिव्यांगों को दो योजनाओं से जोड़कर सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जा रहा है. केंद्र सरकार की इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना के 26,813 लाभुक है. इसमें 300 रुपए केंद्र सरकार और 700 रुपए राज्य सरकार देती है. वहीं राज्य सरकार की ओर से स्वामी विवेकानंद निशक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है. इसका लाभ 1,62,736 लोगों को मिल रहा है.
अब उस हर शख्स को दिव्यांग पेंशन का लाभ मिलेगा, जिसकी आयु 5 वर्ष से ज्यादा हो और जिसके पास 40 प्रतिशत तक दिव्यांगता का सर्टिफिकेट बना हो. सामाजिक सुरक्षा आयुक्त ए डोडे ने कहा कि झारखंड में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम (Government at Your Doorstep) चल रहा है. जिन लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है उन्हें सिर्फ एक आवेदन देने की जरूरत है. इस दिशा में जोर शोर से डाटा तैयार किया जा रहा है. आने वाले समय में किसी भी दिव्यांग को पेंशन के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी.