ETV Bharat / city

आंखों में रोशनी नहीं...फिर भी ये नन्हा भालू क्यों है खास, जल्द ही बढ़ाएगा बिरसा मुंडा जैविक उद्यान की शोभा

author img

By

Published : Oct 8, 2021, 5:31 PM IST

Updated : Oct 8, 2021, 5:58 PM IST

बिरसा मुंडा जैविक उद्यान (Birsa Munda Biological Park) में जल्द ही एक अनोखा नन्हा भालू देखने को मिलेगा. यह नन्हा मेहमान अपने माता-पिता से बिछड़कर गुमला के जंगल से गांव में घुस गया था. जिसे वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर बिरसा मुंडा जैविक उद्यान पहुंचाया है. इस नन्हे भालू के दोनों आंखों की रोशनी भी चली गई है. लेकिन इसकी अपनी एक अलग ही खासियत है.

ETV Bharat
नन्हा भालू

रांची: बिरसा मुंडा जैविक उद्यान (Birsa Munda Biological Park) में जल्द ही एक अनोखा भालू देखने को मिलेगा. इसे अनोखा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यह अपने दोनों आंखों से देख नहीं सकता. लेकिन इसकी खासियत है कि जो भी इसे प्यार करता है, उसे बिना देखे ही अपना समझ लेता है.

इसे भी पढ़ें: देश के टॉप 10 जू में जल्द शामिल होगा बिरसा जैविक उद्यान, विकसित करने की कवायद तेज

बिरसा मुंडा जैविक उद्यान के पशु चिकित्सक ओम प्रकाश साहू बताते हैं यह भालू अपने माता-पिता से बिछड़कर गुमला के जंगल से गांव में घुस गया था. जिसकी सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दी. वन विभाग ने इस भालू को रेस्क्यू कर भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान पहुंचाया है. यह भालू काफी कम उम्र का है और इसकी देखरेख बिरसा मुंडा जैविक उद्यान के प्रबंधन की ओर से की जा रही है. उन्होंने बताया कि अभी इस भालू का क्वॉरंटीन पीरियड चल रहा है, इसीलिए इसे पिंजरे में नहीं रखा गया है. जब इसे पिंजरे से छोड़ा जाएगा तो इसका नामांकरण भी किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस भालू के आंखों की रोशनी को वापस लाने के लिए उच्च स्तर इलाज चल रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही इसकी आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी.

देखें पूरी खबर

कुछ महीने पहले मां-बाप से बिछड़ गया था एक नन्हा हाथी

कुछ महीने पहले भी एक हाथी का बच्चा अपने मां-बाप से बिछड़कर भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान पहुंचा था. जिसके बाद चिड़ियाघर प्रबंधन ने प्यार से उसका दिल जीत लिया और आज वह उद्यान में आने वाले पर्यटकों को आनंदित कर रहा है. नन्हे भालू को भी चिड़ियाघर प्रबंधन प्यार दे रहा है, ताकि वह अपने मां बाप से बिछड़ने का गम भूला सके.


इसे भी पढ़ें: कोरोना की वजह से हुई देरी, जानिए जन्म के एक साल बाद किनका हुआ नामकरण


विमला देवी का जानवरों से खास लगाव


वहीं नन्हे भालू की देखरेख कर रही रेंजर विमला देवी बताती हैं कि वह पिछले कई सालों से चिड़ियाघर में काम कर रही हैं. जानवरों के बीच रहते-रहते जानवर ही उनका परिवार बन गया है. इसीलिए नन्हे भालू के दर्द को समझते हुए वह अपने बच्चों की तरह उसे प्यार कर रही हैं, ताकि भालू अपने मां-बाप को भूल सके और अन्य जानवरों के तरह वह भी भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में आने वाले पर्यटकों को मनोरंजन करा सके.

रांची: बिरसा मुंडा जैविक उद्यान (Birsa Munda Biological Park) में जल्द ही एक अनोखा भालू देखने को मिलेगा. इसे अनोखा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यह अपने दोनों आंखों से देख नहीं सकता. लेकिन इसकी खासियत है कि जो भी इसे प्यार करता है, उसे बिना देखे ही अपना समझ लेता है.

इसे भी पढ़ें: देश के टॉप 10 जू में जल्द शामिल होगा बिरसा जैविक उद्यान, विकसित करने की कवायद तेज

बिरसा मुंडा जैविक उद्यान के पशु चिकित्सक ओम प्रकाश साहू बताते हैं यह भालू अपने माता-पिता से बिछड़कर गुमला के जंगल से गांव में घुस गया था. जिसकी सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दी. वन विभाग ने इस भालू को रेस्क्यू कर भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान पहुंचाया है. यह भालू काफी कम उम्र का है और इसकी देखरेख बिरसा मुंडा जैविक उद्यान के प्रबंधन की ओर से की जा रही है. उन्होंने बताया कि अभी इस भालू का क्वॉरंटीन पीरियड चल रहा है, इसीलिए इसे पिंजरे में नहीं रखा गया है. जब इसे पिंजरे से छोड़ा जाएगा तो इसका नामांकरण भी किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस भालू के आंखों की रोशनी को वापस लाने के लिए उच्च स्तर इलाज चल रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही इसकी आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी.

देखें पूरी खबर

कुछ महीने पहले मां-बाप से बिछड़ गया था एक नन्हा हाथी

कुछ महीने पहले भी एक हाथी का बच्चा अपने मां-बाप से बिछड़कर भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान पहुंचा था. जिसके बाद चिड़ियाघर प्रबंधन ने प्यार से उसका दिल जीत लिया और आज वह उद्यान में आने वाले पर्यटकों को आनंदित कर रहा है. नन्हे भालू को भी चिड़ियाघर प्रबंधन प्यार दे रहा है, ताकि वह अपने मां बाप से बिछड़ने का गम भूला सके.


इसे भी पढ़ें: कोरोना की वजह से हुई देरी, जानिए जन्म के एक साल बाद किनका हुआ नामकरण


विमला देवी का जानवरों से खास लगाव


वहीं नन्हे भालू की देखरेख कर रही रेंजर विमला देवी बताती हैं कि वह पिछले कई सालों से चिड़ियाघर में काम कर रही हैं. जानवरों के बीच रहते-रहते जानवर ही उनका परिवार बन गया है. इसीलिए नन्हे भालू के दर्द को समझते हुए वह अपने बच्चों की तरह उसे प्यार कर रही हैं, ताकि भालू अपने मां-बाप को भूल सके और अन्य जानवरों के तरह वह भी भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में आने वाले पर्यटकों को मनोरंजन करा सके.

Last Updated : Oct 8, 2021, 5:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.