रांची: देश की ऑटोमोबाइल सेक्टर और इकोनॉमी को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी (National Vehicle Scrappage Policy) लांच किया. इस पॉलिसी के हिसाब से अब देश में एक तय सीमा से पुराने वाहनों को अपना फिटनेस टेस्ट कराना होगा. लेकिन इसको लेकर झारखंड कितना तैयार है.
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व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के हिसाब से 10 साल से ज्यादा पुराने कमर्शियल व्हीकल, 15 साल पुराने प्राइवेट पैसेंजर व्हीकल और 20 साल पुराने निजी वाहनों को यह फिटनेस टेस्ट देना होगा. यह टेस्ट वाहनों के इंजन की हालत उनका एडमिशन स्टेटस और फ्यूल एफिशिएंसी सुरक्षा के मानकों जैसे कई पैरामीटर पर होगा. इस लिमिट में आने वाले पुराने वाहनों के लिए अनिवार्य होगा, भले यह गाड़ियां फिटनेस टेस्ट में पास भी हो जाए तो भी उनका रजिस्ट्रेशन परिवहन विभाग की ओर से रिन्यू कराया जाएगा. अगर पुराने वाहन इस फिटनेस टेस्ट में फेल होते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा और वैसे गाड़ियों को कबाड़ में भेज दिया जाएगा.
वाहनों में इन चीजों का होता है फिटनेस टेस्ट
बड़े और छोटे वाहनों के इंजन सस्पेंशन, स्टेरिंग ब्रेक, प्रदूषण स्तर, बैकलाइट, फॉग लाइट, रेड लाइट, पार्किंग लाइट, साइलेंसर, चक्के, स्पीड गवर्नर और सेल्फी क्लासेस का फिटनेस जांच किया जाता है.
अब सवाल यह उठता है कि केंद्र सरकार की ओर से जारी किया गया स्क्रैप पॉलिसी अगर झारखंड में लागू किया जाए तो क्या फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पर्याप्त फिटनेस सेंटर झारखंड में उपलब्ध है? परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड में फिलहाल मात्र 4 व्हीकल फिटनेस सेंटर है जिसमें दो राजधानी रांची में है तो एक धनबाद और एक जमशेदपुर में है. इसके अलावा फिटनेस प्रमाण पत्र देने की जिम्मेदारी एमवीआई (MOTOR VEHICLE INSPECTOR) को है. लेकिन झारखंड में फिलहाल 24 जिलों में मात्र 12 से 15 एमवीआई ही कार्यरत हैं.
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स्क्रैप पॉलिसी पर अभी विचार किया जाएगा- परिवहन मंत्री
पूरे मामले पर ईटीवी भारत की टीम ने जब राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन से बात कि तो उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लाई जा रही स्क्रैप पॉलिसी पर अभी विचार किया जाएगा. क्योंकि झारखंड में अभी-भी ज्यादातर लोग मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग परिवार से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे लोगों के लिए नए वाहनों की खरीदारी करना कहीं ना कहीं मुश्किल है. इसीलिए अधिकारियों एवं पदाधिकारियों को स्क्रैप पॉलिसी पर अध्ययन एवं विचार करने का निर्देश दिया गया है, उसके बाद जो भी बातें सामने आएगी उसे लागू किया जाएगा.
इसको लेकर राजधानी के बरियातू स्थिति एक गैरेज के मैकेनिक ने बताया कि प्रदूषण पर नियंत्रण और सड़क हादसे को रोकने के लिए जरूरी है, पुरानी गाड़ियों पर रोक लगाई जाए. लेकिन कबाड़ में जाने वाली गाड़ियों की समय सीमा को बढ़ाना चाहिए क्योंकि एक गाड़ी जिसकी कीमत लाखों में होती है वैसी गाड़ियों का जीवन 20 साल या उससे भी ज्यादा होता है. इसीलिए जरूरी है कि गाड़ी के मूल्यांकन को लेकर नियमों में संशोधन किया जाए ताकि पुरानी गाड़ियां भी सड़कों पर चल सके और गैरेज में काम करने वाले मैकेनिक के काम पर भी कोई असर ना हो. स्क्रैप पॉलिसी को लेकर राजधानी रांची के लोगों बताते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा लाई गई स्क्रैप पॉलिसी अच्छी है और इससे सड़क हादसे एवं बढ़ प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा.