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झारखंड के आदिवासी छात्र पढ़ने जाएंगे सात समंदर पार, सौ साल तक करना पड़ा इंतजार, सीएम का आभार - ओवरसीज स्कॉलरशिप स्कीम

करीब सौ वर्षों का इंतजार खत्म होने को है. वह घड़ी आ गई है जब झारखंड के छह होनहार आदिवासी छात्र यूनाइटेड किंगडम के पांच विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए रवाना होंगे. उनके आने-जाने, रहने-खाने और पढ़ाई का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी.छात्रों के सम्मान में 23 सितंबर को एक कार्यक्रम का आयोजन होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन छात्रों से मिलकर उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देंगे.

tribal students of Jharkhand
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Published : Sep 21, 2021, 3:09 PM IST

रांची: पूरे देश में झारखंड पहला राज्य होगा जहां के जनजातीय समाज के 10 छात्रों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए राज्य सरकार स्कॉलरशिप देगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर 2020 को मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ओवरसीज स्कॉलरशिप स्कीम लॉन्च किया था. इस स्कीम के तहत 10 एसटी छात्र एक साल का मास्टर्स या दो साल का एमफिल कोर्स कर सकेंगे. 7 मार्च 2021 को होनहार छात्रों से आवेदन लेना शुरू किया गया था. छह माह बाद छह जनजातीय छात्रों का पहला बैच चयनित हुआ है, जो स्टेट स्कॉलरशिप पर यूनाइडेट किंगडम में उच्च शिक्षा हासिल करेगा. फिलहाल सिर्फ केंद्र सरकार 20 एसटी-एसी छात्रों को ओवरसीज स्कॉलरशिप देती है.

ये भी पढ़ें-सरकारी खर्चे पर विदेश में पढ़ेंगे झारखंड के आदिवासी युवा, सरकार देगी स्कॉलरशिप

चुने गए छात्रों के नाम

1. हरक्यूलस सिंह मुंडा - सारलौंग के रहने वाले हैं. इन्होंने बीआईटी, मेसरा से आईटी डिग्री ली है. इस संस्थानों में काम करने के बाद इन्होंने ट्रीलिंगो नाम से डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जहां आदिवासी छात्र अपनी मातृभाषा सीख सकते हैं. चयन - एमए, स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन.

2. आकांक्षा मेरी बालमुचू - चक्रधरपुर की रहने वाली हैं. बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक हैं. स्वास्थ्य और क्लाइमेट चेंज पर काम कर रही हैं. चयन - एमएससी, क्लाइमेट चेंज साइंस एंड मैनेजमेंट, लाफबौरो यूनिवर्सिटी.

3. अंजना प्रतिमा डुंगडुंग - गुमला की रहने वाली हैं. राजनीतिक विज्ञान में स्नातक हैं. चयन - एमएससी , इंटरनेशल रिलेसंस, यूनिवर्सिटी ऑफ वारवीक.

4. दिनेश भगत - रांची के रहने वाले हैं. संत जेवियर कॉलेज, रांची से ज्योलॉजी में स्नातक हैं. झारखंड के लोगों के जीवन स्तर में सुधार और खनन की वजह से क्लाइमेट पर पड़ रहे प्रभाव पर काम करना चाहते हैं. चयन - एमएससी, क्लाइमेट चेंज, डेवलपमेंट एंड पॉलिसी, यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स.

5. प्रिया मुर्मू - पेशे से कंटेंट राइटर हैं. मीडिया स्टडीज में स्नातक हैं. चयन - एमए, क्रिएटिव राइटिंग एंड राइटिंग इंडस्ट्रीज, लाफबौरो यूनिवर्सिटी.

6. अजीतेश मुर्मू - स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर से स्नातक हैं. चयन - एम.आर्क - बायो - इंटिग्रेटेड डिजाइन, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन

ये भी पढ़ें-तीर-कमान के दम पर आदिवासियों ने ब्रिटिशर्स से किया था डटकर मुकाबला, गुरिल्ला वार से थर-थर कांपते थे अंग्रेज

सीएम हेमंत सोरेन की सोच का नतीजा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जयपाल सिंह मुंडा के सम्मान में होनहार आदिवासी छात्रों को बढ़ावा देने के लिए स्कालरशिप प्रोग्राम लॉन्च किया था. दरअसल, जयपाल सिंह मुंडा पहले ऐसे होनहार आदिवासी शख्स थे, जिन्होंने रांची के संत पॉल स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई की थी. उनकी काबिलियत को देखते हुए एंगलीकन एसपीजी की तरफ से उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड भेजा गया था. वहां उन्होंने 1926 में बीए और 1929 में एमए की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने खिलाड़ी, प्रशासक, समाजसेवी और राजनीतिज्ञ के रूप में अमिट पहचान बनायी. 1939 में ऑल इंडिया आदिवासी महासभा के अध्यक्ष बने.

जयपाल सिंह मुंडा पहले शख्स थे, जिन्होंने अलग झारखंड राज्य की बात की थी. उन्होंने संविधान सभा में आदिवासियों के हक के लिए आवाज उठायी थी. आदिवासी समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता और दूरदर्शिता से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्कॉलरशिप प्रोग्राम लॉन्च किया ताकि होनहार युवा उच्च शिक्षा हासिल कर झारखंड और यहां के आदिवासियों की बेहतरी के लिए योगदान दे सकें. इस प्रोग्राम के लॉन्च किए जाने के बाद पिछले बजट और मॉनसून सेशन में कई विधायकों ने अनुसूचित जाति के होनहार छात्रों के लिए भी इस तरह की योजना शुरू करने का आग्रह किया था.

रांची: पूरे देश में झारखंड पहला राज्य होगा जहां के जनजातीय समाज के 10 छात्रों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए राज्य सरकार स्कॉलरशिप देगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर 2020 को मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ओवरसीज स्कॉलरशिप स्कीम लॉन्च किया था. इस स्कीम के तहत 10 एसटी छात्र एक साल का मास्टर्स या दो साल का एमफिल कोर्स कर सकेंगे. 7 मार्च 2021 को होनहार छात्रों से आवेदन लेना शुरू किया गया था. छह माह बाद छह जनजातीय छात्रों का पहला बैच चयनित हुआ है, जो स्टेट स्कॉलरशिप पर यूनाइडेट किंगडम में उच्च शिक्षा हासिल करेगा. फिलहाल सिर्फ केंद्र सरकार 20 एसटी-एसी छात्रों को ओवरसीज स्कॉलरशिप देती है.

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चुने गए छात्रों के नाम

1. हरक्यूलस सिंह मुंडा - सारलौंग के रहने वाले हैं. इन्होंने बीआईटी, मेसरा से आईटी डिग्री ली है. इस संस्थानों में काम करने के बाद इन्होंने ट्रीलिंगो नाम से डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जहां आदिवासी छात्र अपनी मातृभाषा सीख सकते हैं. चयन - एमए, स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन.

2. आकांक्षा मेरी बालमुचू - चक्रधरपुर की रहने वाली हैं. बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक हैं. स्वास्थ्य और क्लाइमेट चेंज पर काम कर रही हैं. चयन - एमएससी, क्लाइमेट चेंज साइंस एंड मैनेजमेंट, लाफबौरो यूनिवर्सिटी.

3. अंजना प्रतिमा डुंगडुंग - गुमला की रहने वाली हैं. राजनीतिक विज्ञान में स्नातक हैं. चयन - एमएससी , इंटरनेशल रिलेसंस, यूनिवर्सिटी ऑफ वारवीक.

4. दिनेश भगत - रांची के रहने वाले हैं. संत जेवियर कॉलेज, रांची से ज्योलॉजी में स्नातक हैं. झारखंड के लोगों के जीवन स्तर में सुधार और खनन की वजह से क्लाइमेट पर पड़ रहे प्रभाव पर काम करना चाहते हैं. चयन - एमएससी, क्लाइमेट चेंज, डेवलपमेंट एंड पॉलिसी, यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स.

5. प्रिया मुर्मू - पेशे से कंटेंट राइटर हैं. मीडिया स्टडीज में स्नातक हैं. चयन - एमए, क्रिएटिव राइटिंग एंड राइटिंग इंडस्ट्रीज, लाफबौरो यूनिवर्सिटी.

6. अजीतेश मुर्मू - स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर से स्नातक हैं. चयन - एम.आर्क - बायो - इंटिग्रेटेड डिजाइन, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन

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सीएम हेमंत सोरेन की सोच का नतीजा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जयपाल सिंह मुंडा के सम्मान में होनहार आदिवासी छात्रों को बढ़ावा देने के लिए स्कालरशिप प्रोग्राम लॉन्च किया था. दरअसल, जयपाल सिंह मुंडा पहले ऐसे होनहार आदिवासी शख्स थे, जिन्होंने रांची के संत पॉल स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई की थी. उनकी काबिलियत को देखते हुए एंगलीकन एसपीजी की तरफ से उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड भेजा गया था. वहां उन्होंने 1926 में बीए और 1929 में एमए की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने खिलाड़ी, प्रशासक, समाजसेवी और राजनीतिज्ञ के रूप में अमिट पहचान बनायी. 1939 में ऑल इंडिया आदिवासी महासभा के अध्यक्ष बने.

जयपाल सिंह मुंडा पहले शख्स थे, जिन्होंने अलग झारखंड राज्य की बात की थी. उन्होंने संविधान सभा में आदिवासियों के हक के लिए आवाज उठायी थी. आदिवासी समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता और दूरदर्शिता से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्कॉलरशिप प्रोग्राम लॉन्च किया ताकि होनहार युवा उच्च शिक्षा हासिल कर झारखंड और यहां के आदिवासियों की बेहतरी के लिए योगदान दे सकें. इस प्रोग्राम के लॉन्च किए जाने के बाद पिछले बजट और मॉनसून सेशन में कई विधायकों ने अनुसूचित जाति के होनहार छात्रों के लिए भी इस तरह की योजना शुरू करने का आग्रह किया था.

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