बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के बावजूद शिक्षकों की कमी से जूझ रहा आरयू का जनजातिय और क्षेत्रीय भाषा विभाग, छात्रों को हो रही परेशानी - जनजातीय भाषा विभाग में प्रोफेसर की कमी
रांची विश्वविद्यालय का जनजातिय और क्षेत्रीय भाषा विभाग शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. 9 भाषाओं के लिए अलग-अलग विभाग के एचओडी की नियुक्ति नहीं हुई है और जनजातीय भाषाओं में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
रांची: रांची विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा विभाग में लंबे समय से शिक्षकों की कमी (Shortage of Teachers) का मद्दा अक्सर सामने आता रहा है. विभाग में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए जेपीएससी की ओर से स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू जरूर की गई है. लेकिन अभी भी इस विभाग को स्थाई शिक्षक नहीं मिले हैं. जेपीएससी की ओर से की जा रही जनजातीय भाषा और क्षेत्रीय भाषा के लिए शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में विसंगतियां भी है. जिस वजह से विभाग को अब तक असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं मिले हैं.
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इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के बावजूद नहीं मिल रहे प्रोफेसर: इस विभाग को बेहतर तरीके से विकसित किया गया है. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम हो चुका है. नए रूप में यह विभाग तैयार है. इस विभाग के 9 क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को अलग-अलग विभाग में तब्दील कर दिया गया है. इन विभागों में विद्यार्थी तो हैं, लेकिन पढ़ाने के लिए स्थाई शिक्षक नहीं हैं. जिस वजह से रिसर्च में कई परेशानियां आ रही है. क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं में पीएचडी करने वाले विद्यार्थी इसी विभाग में इन भाषाओं को लेकर रिसर्च करते हैं. विशेषज्ञ प्रोफेसर नहीं होने के कारण शोध में भी परेशानी आ रही है.
विभाग बार बार जेपीएससी को भेज रहा रिमाइंडर: विभाग के कोऑर्डिनेटर और कुडुख भाषा एचओडी हरि उरांव ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवेलोप तो कर दिया गया है, लेकिन शिक्षक नहीं होने से पठन-पाठन, रिसर्च और विभिन्न एकेडमिक गतिविधियों में परेशानियां आ रही है. यहां तक कि 9 भाषाओं के लिए अलग-अलग विभाग के एचओडी की नियुक्ति नहीं हुई है. मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बार-बार जेपीएससी को रिमाइंडर भेज रहा है. लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम अब उठाया नहीं जा रहा है. इस विभाग में अभी भी अस्थाई अनुबंध शिक्षकों के भरोसे पठन-पाठन संचालित हो रहे हैं.