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नाम बताकर ठसक दिखाना पड़ सकता है महंगा! निजी गाड़ियों में नेम प्लेट लगाने पर परिवहन विभाग सख्त - गाड़ियों में नेम प्लेट कौन-कौन लगा सकता है

झारखंड में निजी गाड़ियों में नेम प्लेट लगाने पर परिवहन विभाग सख्ती बरत रहा है. इसलिए अब गाड़ियों में सूचक बोर्ड, नेम प्लेट के जरिए ठसक दिखाना महंगा पड़ सकता है. पूरी खबर जानिए, ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

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झारखंड में निजी गाड़ियों
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Published : Dec 31, 2021, 3:41 PM IST

Updated : Dec 31, 2021, 8:12 PM IST

रांचीः निजी वाहनों पर नंबर प्लेट के अलावा नेम प्लेट या दूसरा कोई अन्य बोर्ड लगाने निजी गाड़ियों में नेम प्लेट पर झारखंड में पाबंदी हो चुकी है. लेकिन इस पाबंदी को लोग नजरअंदाज करते दिख रहे हैं. आज भी राजधानी रांची में कई ऐसे निजी वाहन हैं जिसमें राजनीतिक पद पर सुशोभित लोग अपने पद का नाम निजी गाड़ियों पर लगाकर सड़कों पर ठसक दिखाते नजर आते हैं.

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट में परिवहन सचिव तलबः जब नियम नहीं तो कैसे लिख लेते हैं 'सांसद-विधायक'


झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में गजला परवीन ने एक याचिका दायर कर यह शिकायत की थी कि गाड़ियों के आगे नेम प्लेट और पद का प्लेट लगाकर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जिस पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सवाल उठाया था कि जब वाहनों में लाल, पीली बत्ती लगाने पर रोक लगा दी गयी है तो नेम प्लेट लगाने का क्या औचित्य है. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नियम नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि गलत करने वाले को इसकी छूट दी जाए.

देखें पूरी खबर
झारखंड हाई कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए विभाग को इस मामले में नियम बनाकर दिशा निर्देश जारी करने का आदेश दिया. जिसके बाद झारखंड परिवहन विभाग ने कड़ाई बरतते हुए अभियान चलाया और जितने भी निजी गाड़ियों में अवैध पद के नाम का बोर्ड लगाए गए हैं, उस पर नियम संगत कानूनी कार्रवाई की गयी.

नेम प्लेट लगाकर रौब झाड़ने वालों पर कार्रवाई हो

राजधानी रांची में गलत तरीके से अपनी गाड़ियों में सूचक बोर्ड लगाकर रौब झाड़ने वाले लोगों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है. जो भी लोग नियमों का उल्लंघन करते दिख रहे हैं, उनपर मोटर व्हीकल एक्ट (Motor Vehicle Act) की धारा 179 के तहत जुर्माना लगाया जा रहा है. इसको लेकर रांची के डीटीओ बताते हैं कि वाहनों में सूचक बोर्ड लगाने की अनुमति है. लेकिन सिर्फ ऐसे लोगों को अनुमति दी गई है जो विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका के लोग हों, वैसे ही पदाधिकारी अपने वाहनों के आगे सूचक बोर्ड लगा सकते हैं. डीटीओ प्रवीण प्रकाश ने बताया कि नियमानुसार किसी भी परिस्थिति में नेमप्लेट/सूचक बोर्ड होने पर रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं ढका होना चाहिए.

गाड़ियों के आगे सूचक बोर्ड लगाकर घूम रहे अनऑथराइज्ड लोगों के गलत रूआब और हेकड़ी को देखते हुए मानवाधिकार के सक्रिय सदस्य रमेश कुमार बताते हैं कि ऐसे लोगों की वजह से आम लोगों और पुलिस पदाधिकारियों के मानवाधिकार का हनन होता है. उन्होंने बताया कि कई बार कुछ राजनीतिक लोग अपनी महंगी गाड़ियों के आगे बोर्ड लगाकर अपने गलत ताकतों का प्रयोग करते हैं. आम लोगों और पुलिस के कनीय पदाधिकारियों पर धौंस दिखाते हैं, जिससे लोगों के अधिकारों का हनन होता है.

उन्होंने कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि इसके बाद परिवहन विभाग जिस तरह से अभियान चलाकर ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रही है यह निश्चित रूप से सराहनीय है. वो आम लोगों से भी अपील करते हुए कहते हैं कि जो भी शख्स इस तरह से अपने गाड़ियों के आगे बोर्ड लगाकर ठसक दिखाते हैं वैसे लोगों की शिकायत जिला प्रशासन में अवश्य करें.

इसे भी पढ़ें- हाईकोर्ट की फटकार का असर, निजी वाहनों पर नेम प्लेट लगाने वालों के खिलाफ चला अभियान

गाड़ियों में नेम प्लेट कौन-कौन लगा सकता है
नियम के अनुसार राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, उप मंत्री का दर्जा प्राप्त पदाधिकारी, लोकसभा, राज्यसभा सदस्य, संविधान की 11वीं अनुसूची के अंतर्गत गठित पंचायती राज व्यवस्था के अध्यक्ष, नगर निकायों के अध्यक्ष, मंत्रिमंडल सचिवालय वो स्टेट प्रोटोकोल के तहत आने वाली गाड़ियों में आगे नेम प्लेट लगाए जा सकते हैं. इसके अलावा झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीस व अन्य न्यायधीश,लोकायुक्त, राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, महाधिवक्ता,हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार, सभी प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश अपने वाहनों के आगे सूचक बोर्ड लगा सकते हैं. इसके अलावा अधिकारियों में डीसी, डीडीसी, पुलिस अधीक्षक, एसडीओ, बीडीओ, सीओ, डीएसपी, डीटीओ, आयुक्त उपायुक्त, सहायक आयुक्त, खनन पदाधिकारी सहित भारत सरकार व राज्य सरकार के विभिन्न अधिकारी अपने वाहनों के आगे बोर्ड लगा सकते हैं.

रांचीः निजी वाहनों पर नंबर प्लेट के अलावा नेम प्लेट या दूसरा कोई अन्य बोर्ड लगाने निजी गाड़ियों में नेम प्लेट पर झारखंड में पाबंदी हो चुकी है. लेकिन इस पाबंदी को लोग नजरअंदाज करते दिख रहे हैं. आज भी राजधानी रांची में कई ऐसे निजी वाहन हैं जिसमें राजनीतिक पद पर सुशोभित लोग अपने पद का नाम निजी गाड़ियों पर लगाकर सड़कों पर ठसक दिखाते नजर आते हैं.

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झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में गजला परवीन ने एक याचिका दायर कर यह शिकायत की थी कि गाड़ियों के आगे नेम प्लेट और पद का प्लेट लगाकर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जिस पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सवाल उठाया था कि जब वाहनों में लाल, पीली बत्ती लगाने पर रोक लगा दी गयी है तो नेम प्लेट लगाने का क्या औचित्य है. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नियम नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि गलत करने वाले को इसकी छूट दी जाए.

देखें पूरी खबर
झारखंड हाई कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए विभाग को इस मामले में नियम बनाकर दिशा निर्देश जारी करने का आदेश दिया. जिसके बाद झारखंड परिवहन विभाग ने कड़ाई बरतते हुए अभियान चलाया और जितने भी निजी गाड़ियों में अवैध पद के नाम का बोर्ड लगाए गए हैं, उस पर नियम संगत कानूनी कार्रवाई की गयी.

नेम प्लेट लगाकर रौब झाड़ने वालों पर कार्रवाई हो

राजधानी रांची में गलत तरीके से अपनी गाड़ियों में सूचक बोर्ड लगाकर रौब झाड़ने वाले लोगों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है. जो भी लोग नियमों का उल्लंघन करते दिख रहे हैं, उनपर मोटर व्हीकल एक्ट (Motor Vehicle Act) की धारा 179 के तहत जुर्माना लगाया जा रहा है. इसको लेकर रांची के डीटीओ बताते हैं कि वाहनों में सूचक बोर्ड लगाने की अनुमति है. लेकिन सिर्फ ऐसे लोगों को अनुमति दी गई है जो विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका के लोग हों, वैसे ही पदाधिकारी अपने वाहनों के आगे सूचक बोर्ड लगा सकते हैं. डीटीओ प्रवीण प्रकाश ने बताया कि नियमानुसार किसी भी परिस्थिति में नेमप्लेट/सूचक बोर्ड होने पर रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं ढका होना चाहिए.

गाड़ियों के आगे सूचक बोर्ड लगाकर घूम रहे अनऑथराइज्ड लोगों के गलत रूआब और हेकड़ी को देखते हुए मानवाधिकार के सक्रिय सदस्य रमेश कुमार बताते हैं कि ऐसे लोगों की वजह से आम लोगों और पुलिस पदाधिकारियों के मानवाधिकार का हनन होता है. उन्होंने बताया कि कई बार कुछ राजनीतिक लोग अपनी महंगी गाड़ियों के आगे बोर्ड लगाकर अपने गलत ताकतों का प्रयोग करते हैं. आम लोगों और पुलिस के कनीय पदाधिकारियों पर धौंस दिखाते हैं, जिससे लोगों के अधिकारों का हनन होता है.

उन्होंने कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि इसके बाद परिवहन विभाग जिस तरह से अभियान चलाकर ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रही है यह निश्चित रूप से सराहनीय है. वो आम लोगों से भी अपील करते हुए कहते हैं कि जो भी शख्स इस तरह से अपने गाड़ियों के आगे बोर्ड लगाकर ठसक दिखाते हैं वैसे लोगों की शिकायत जिला प्रशासन में अवश्य करें.

इसे भी पढ़ें- हाईकोर्ट की फटकार का असर, निजी वाहनों पर नेम प्लेट लगाने वालों के खिलाफ चला अभियान

गाड़ियों में नेम प्लेट कौन-कौन लगा सकता है
नियम के अनुसार राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, उप मंत्री का दर्जा प्राप्त पदाधिकारी, लोकसभा, राज्यसभा सदस्य, संविधान की 11वीं अनुसूची के अंतर्गत गठित पंचायती राज व्यवस्था के अध्यक्ष, नगर निकायों के अध्यक्ष, मंत्रिमंडल सचिवालय वो स्टेट प्रोटोकोल के तहत आने वाली गाड़ियों में आगे नेम प्लेट लगाए जा सकते हैं. इसके अलावा झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीस व अन्य न्यायधीश,लोकायुक्त, राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, महाधिवक्ता,हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार, सभी प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश अपने वाहनों के आगे सूचक बोर्ड लगा सकते हैं. इसके अलावा अधिकारियों में डीसी, डीडीसी, पुलिस अधीक्षक, एसडीओ, बीडीओ, सीओ, डीएसपी, डीटीओ, आयुक्त उपायुक्त, सहायक आयुक्त, खनन पदाधिकारी सहित भारत सरकार व राज्य सरकार के विभिन्न अधिकारी अपने वाहनों के आगे बोर्ड लगा सकते हैं.

Last Updated : Dec 31, 2021, 8:12 PM IST
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