रांचीः प्राकृतिक सौदर्य से हरा भरा झारखंड की धरती इन दिनों कोरोना की मार से कराह रही है. कोरोना का कहर इस कदर की हर जगह लोग भय और डर के मारे घरों में रहने को मजबूर हैं. संक्रमण की तेज रफ्तार के कारण राज्य में अघोषित लॉकडाउन ने पर्यटन उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है.
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मार्च 2020 में कोरोना के दस्तक के बाद वैसे तो हर सेक्टर प्रभावित हुआ है, मगर पर्यटन क्षेत्र को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. पार्क से लेकर चिड़ियाघर और देवस्थल बंद हैं. पिकनिक स्थलों पर सन्नाटा पसरा है. पार्कों में सुनसान पड़े बच्चों के झूले बताने के लिए काफी है कि कोरोना का कोहराम किस कदर है. हालत यह है कि राज्यभर में स्थित 250 सौ से अधिक पर्यटन स्थलों पर ताले लटके पड़े हैं. सुरक्षा गार्ड के भरोसे चल रहे इन पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की भीड़ से रौनक बनी रहती थी.
प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधनों से भरे इस प्रदेश को देखने घरेलू और विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा सालों भर लगा रहता था. यही वजह है कि 2019 में पर्यटकों के आगमन की दृष्टि से राष्ट्रीय आंकड़ों में झारखंड 9वां स्टेट बन चुका था. राज्य गठन के बाद से राज्य में विदेशी और घरेलू पर्यटकों की संख्या में 2019 तक अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. यहां के प्राकृतिक संपदा, जंगलों और झरनों को देखने दुनिया भर के लोग आते रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2000 में राज्य में विदेशी पर्यटकों की संख्या केवल 172 थी, जो वर्ष 2019 में बढ़कर 1,76,043 हो गई. यह आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है. भारत पर्यटन सांख्यिकी 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि के कारण राज्य की रैंकिंग में भी वृद्धि हुई है. इसी तरह घरेलू पर्यटकों के आगमन के मामले में, राज्य की राष्ट्रीय रैंकिंग, जहां यह 13 थी, अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है, इसमें देश में राज्य की रैंकिंग 9 है.
राज्य स्थापना अवधि 2000 तक आने वाले घरेलू पर्यटकों की संख्या केवल 23991 थी. इसी समय विदेशी पर्यटकों की संख्या केवल 172 थी. लेकिन 20 साल बाद राज्य में आने वाले घरेलू पर्यटकों की संख्या 3,55,80,768 है. वर्ष 2011 में, 1,45,80,387 घरेलू पर्यटकों ने राज्य का दौरा किया था. यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 87,521 थी. वर्ष 2017 में राज्य में 3,37,23,185 घरेलू और 1,70,987 विदेशी पर्यटक आए. वर्ष 2018 में 3,54,08,822 घरेलू और 1,75,801 विदेशी पर्यटक आए.
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य के लगभग 75,000 लोगों को स्थानीय पर्यटन के माध्यम से रोजगार मिला है. नेतरहाट हो या रांची का रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ, देवघर वैजनाथ मंदिर, योगदा मठ, रविंद्र नाथ टैगोर पार्क, पारसनाथ, रजरप्पा मंदिर इन सभी जगहों में सालभर विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. इसके अलावा झारखंड सरकार विभिन्न पर्यटन स्थल को धार्मिक सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रुप मेंं पर्यटन को बढ़ावा दे रही है. जिसके तहत मधुबन और पारसनाथ के प्रबंधन के लिए पारसनाथ विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है.
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पर्यटन बंद होने से राजस्व का हुआ नुकसान- वित्त मंत्री
जिसके तहत पर्यटन पॉलिसी में बदलाव कर पर्यटकों को लुभाने और इन क्षेत्रों को विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. मगर इन सबके बीच आई कोरोना महामारी ने इन पर्यटन स्थलों की रौनक ही छीन ली है. हालत यह है कि पीपीपी मोड पर चल रहे अधिकांश पर्यटन स्थल घाटे में चल रहे हैं. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव की मानें तो कोरोना के कारण पर्यटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. सरकार की आमदनी तो घटी ही है, इसके रखरखाव में भी परेशानी हो रही है. कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर में पर्यटन सहित अन्य विभागों के राजस्व संकलन में 50 फीसदी से अधिक की कमी अब तक आ चुकी है.
कोरोना महामारी के कारण भारी नुकसान का सामना कर रहे पर्यटन उद्योग को फिलहाल इससे उबरने में काफी समय लगेगा. दूसरे चरण में तेजी से फैल रहे संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन ने एक बार फिर इस उद्योग से जुड़े हजारों लोगों का ना केवल रोजगार छीन लिया है. बल्कि सरकार को इन स्थलों के रखरखाव पर प्रति महिना लाखों रुपया बगैर कोई आमदनी के खर्च करने पड़ रहे हैं.