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रिम्स में काला बिल्ला लगाकर काम करेंगे टीएमए के सदस्य, आरक्षण रोस्टर के बिना नियुक्तियां प्रकाशित करने का कर रहे हैं विरोध - रांची की खबर

रिम्स में आरक्षण रोस्टर के बिना नियुक्तियां प्रकाशित करने के फैसले को लागू करने का ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन ने विरोध किया है. फैसले के खिलाफ काला बिल्ला लगाकर टीएमए के सदस्य काम करेंगे.

Reservation in RIMS
रिम्स में आरक्षण
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Published : Feb 24, 2022, 9:41 AM IST

रांची: आरक्षण रोस्टर के बिना नियुक्तियां प्रकाशित करने के फैसले को लागू करने का ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन विरोध कर रहा है. इस फैसले के खिलाफ टीएमए के सदस्य आज (24 फरवरी) काला बिल्ला लगाकर काम करेंगे. एसोसिएशन ने आरक्षण नियमावली का पालन करते हुए नियुक्तियां प्रकाशित करने की मांग की है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की बड़ी कार्रवाई, तेरह फार्मेसी कॉलेजों में नामंकन पर लगाई रोक

ट्यूटर की नियुक्ति को वापस लेने की मांग: एसोसिएशन के सचिव डॉक्टर निशित एक्का ने बताया कि 22 फरवरी को कुल 32 पदों पर ट्यूटर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. जिसमें आरक्षण नियमावली का जिक्र नहीं किया गया है. जिससे पता नहीं चल रहा है कि इसमें आरक्षण रोस्टर का पालन हुआ है या नहीं. ऐसे में इसे वापस लिया जाना चाहिए और विज्ञापन को संशोधित और कोटिवार पदों के आधार पर नियुक्ति के लिए जारी करना चाहिए. टीएमए के सदस्यों ने कहा कि राज्य के एसटी एससी एवं ओबीसी को आरक्षण के लाभ से वंचित करने की साजिश है.

रिम्स को रोस्टर क्लीयरेंस की जरुरत नहीं: रिम्स के टीएमए के सदस्यों ने बताया कि आरक्षण नियमावली का सही से अनुपालन हो रहा है या नहीं उसके लिए रोस्टर क्लीयरेंस की जरूरत होती है. पहली और दूसरी श्रेणी के लिए कार्मिक विभाग के द्वारा आरक्षण रोस्टर को लेकर क्लीयरेंस किया जाता है. टीएमए के अनुसार 2015 में मेडिकल कॉलेजों के शैक्षणिक संवर्ग में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं होने को लेकर एक संकल्प जारी किया गया था पर उसका अनुपालन नहीं हुआ था.

अब तक पालन नहीं हुआ आरक्षण रोस्टर: टीएमए के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ पंकज बोदरा ने बताया कि रिम्स की नियुक्तियों में आरक्षण रोस्टर पालन नहीं करने को लेकर 2015 में एक संकल्प जारी किया गया था. जिसका अब तक अनुपालन नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार को भी पता था कि वे गलत हैं इसलिए उस पर अब तक लागू नहीं किया गया था. पर अब उसको अमलीजामा पहनाया जा रहा है जिसका नुकसान अनुसूचित जाति, जनजाति के डॉक्टरों को होगा. संकल्प वापस लेने के आश्वासन के बाद भी उसी के आधार पर नियुक्ति निकलना गलत है. टीएमए प्रवक्ता डॉ स्टीफेन खेस ने कहा कि ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन इसका पुरजोर विरोध करता है.

रांची: आरक्षण रोस्टर के बिना नियुक्तियां प्रकाशित करने के फैसले को लागू करने का ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन विरोध कर रहा है. इस फैसले के खिलाफ टीएमए के सदस्य आज (24 फरवरी) काला बिल्ला लगाकर काम करेंगे. एसोसिएशन ने आरक्षण नियमावली का पालन करते हुए नियुक्तियां प्रकाशित करने की मांग की है.

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ट्यूटर की नियुक्ति को वापस लेने की मांग: एसोसिएशन के सचिव डॉक्टर निशित एक्का ने बताया कि 22 फरवरी को कुल 32 पदों पर ट्यूटर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. जिसमें आरक्षण नियमावली का जिक्र नहीं किया गया है. जिससे पता नहीं चल रहा है कि इसमें आरक्षण रोस्टर का पालन हुआ है या नहीं. ऐसे में इसे वापस लिया जाना चाहिए और विज्ञापन को संशोधित और कोटिवार पदों के आधार पर नियुक्ति के लिए जारी करना चाहिए. टीएमए के सदस्यों ने कहा कि राज्य के एसटी एससी एवं ओबीसी को आरक्षण के लाभ से वंचित करने की साजिश है.

रिम्स को रोस्टर क्लीयरेंस की जरुरत नहीं: रिम्स के टीएमए के सदस्यों ने बताया कि आरक्षण नियमावली का सही से अनुपालन हो रहा है या नहीं उसके लिए रोस्टर क्लीयरेंस की जरूरत होती है. पहली और दूसरी श्रेणी के लिए कार्मिक विभाग के द्वारा आरक्षण रोस्टर को लेकर क्लीयरेंस किया जाता है. टीएमए के अनुसार 2015 में मेडिकल कॉलेजों के शैक्षणिक संवर्ग में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं होने को लेकर एक संकल्प जारी किया गया था पर उसका अनुपालन नहीं हुआ था.

अब तक पालन नहीं हुआ आरक्षण रोस्टर: टीएमए के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ पंकज बोदरा ने बताया कि रिम्स की नियुक्तियों में आरक्षण रोस्टर पालन नहीं करने को लेकर 2015 में एक संकल्प जारी किया गया था. जिसका अब तक अनुपालन नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार को भी पता था कि वे गलत हैं इसलिए उस पर अब तक लागू नहीं किया गया था. पर अब उसको अमलीजामा पहनाया जा रहा है जिसका नुकसान अनुसूचित जाति, जनजाति के डॉक्टरों को होगा. संकल्प वापस लेने के आश्वासन के बाद भी उसी के आधार पर नियुक्ति निकलना गलत है. टीएमए प्रवक्ता डॉ स्टीफेन खेस ने कहा कि ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन इसका पुरजोर विरोध करता है.

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