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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन, राज्यपाल ने किया उद्घाटन - Ranchi news

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में लैंडस्केप प्रबंधन विषय पर विचार विमर्श किया जाएगा. इस कार्यशाला का उद्घाटन राज्यपाल रमेश बैस ने किया.

Birsa Agricultural University
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
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Published : Sep 22, 2022, 6:40 PM IST

रांचीः देश के कई हिस्सों में हर साल आने वाले बाढ़ और जलाशयों में अवसाद एक बड़ी समस्या के रूप में सामने है. इस बड़ी समस्या का समाधान कैसे हो. इसको लेकर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में लैंडस्केप प्रबंधन विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार का उद्घाटन राज्यपाल रमेश बैस ने किया.

यह भी पढ़ेंः सुखाड़ जैसे हालात में किसानों ने मानी कृषि वैज्ञानिकों की सलाह, खेतों में लगा रहे धान की नई किस्म

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि आज पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से फसलों का उत्पादन कम हो रहा है. शुष्क क्षेत्रों में कृषि प्रभावित होने का खतरा बढ़ता है. जलवायु परिवर्तन पर यूएन जलवायु रिपोर्ट बताती है कि साल 2019 दूसरा सबसे गर्म वर्ष था. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर बांग्लादेश के बाद भारत दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है. कई राज्यों में हर साल बाढ़ आपदा के रूप में तबाही मचाती है. उन्होंने कहा कि आज देश में बाढ़ विनाशकारी साबित हो रही है. मिट्टी के क्षरण से उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है. इसलिए इस दिशा में बेहतर कार्य किये जाने की जरूरत है. राज्यपाल ने कहा कि छोटी बड़ी नदियों, सहायक नदियों के दोनों ओर बांध बनाने, वृक्षारोपण से बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है.

क्या कहते हैं राज्यपाल


आईसीएआर देहरादून और अन्य राष्ट्रीय संस्थाओं की मदद से आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में राज्यपाल ने बेहतरीन कार्य करने वाले वैज्ञानिकों और अधिकारियों को सम्मानित किया. कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि बाढ़ और जलाशय अवसाद को रोकने के लिए लैंडस्केप प्रबंधन बेहद उपयोगी होगा. उन्होंने कहा कि इस सेमिनार में जो शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेंगे. यह शोध पत्र बाढ़ और जलाशयों में अवसादन की समस्या को दूर करने के लिए बनने वाली योजनाओं में सहायक साबित होगा. कुलपति ने कहा कि ICAR में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की रैंकिंग बढ़ी है.

झारखंड के साहिबगंज जिले को सर्वाधिक बाढ़ से प्रभावित होने वाला जिला बताते हुए डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि वनों में आग लगने, वनों के घनत्व में कमी और बारिश से मृदा अपरदन होता है. राज्य में करीब 1400 एमएम बारिश होती है, जो मेघालय और असम के बाद सबसे ज्यादा है. इस स्थिति में हमें सर्वोत्तम जल प्रबंधन करना होगा. नियमित बारिश और भारी बारिश से कई बार नुकसान होता है. यह सम्मलेन प्रभावी समाधान निकालने में मददगार साहिब होगा.

डॉ पीआर ओजस्वी ने कहा कि मिट्टी और पानी का संरक्षण आज बहुत बड़ा मुद्दा है. हमारे ब्रह्मांड में मिट्टी का क्या महत्व है. यह किसी से छुपा नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हम जलवायु परिवर्तन की समस्या से जूझ रहे हैं. इसका समाधान निकालना जरूरी है. ग्राामीण विकास विभाग के सचिव डॉ मनीष रंजन ने कहा कि दुनिया को सर्कुलेटिंग वर्ल्ड की ओर जाना होगा. सेमिनार में राज्यपाल ने पत्रिका का लोकार्पण किया.

रांचीः देश के कई हिस्सों में हर साल आने वाले बाढ़ और जलाशयों में अवसाद एक बड़ी समस्या के रूप में सामने है. इस बड़ी समस्या का समाधान कैसे हो. इसको लेकर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में लैंडस्केप प्रबंधन विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार का उद्घाटन राज्यपाल रमेश बैस ने किया.

यह भी पढ़ेंः सुखाड़ जैसे हालात में किसानों ने मानी कृषि वैज्ञानिकों की सलाह, खेतों में लगा रहे धान की नई किस्म

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि आज पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से फसलों का उत्पादन कम हो रहा है. शुष्क क्षेत्रों में कृषि प्रभावित होने का खतरा बढ़ता है. जलवायु परिवर्तन पर यूएन जलवायु रिपोर्ट बताती है कि साल 2019 दूसरा सबसे गर्म वर्ष था. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर बांग्लादेश के बाद भारत दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है. कई राज्यों में हर साल बाढ़ आपदा के रूप में तबाही मचाती है. उन्होंने कहा कि आज देश में बाढ़ विनाशकारी साबित हो रही है. मिट्टी के क्षरण से उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है. इसलिए इस दिशा में बेहतर कार्य किये जाने की जरूरत है. राज्यपाल ने कहा कि छोटी बड़ी नदियों, सहायक नदियों के दोनों ओर बांध बनाने, वृक्षारोपण से बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है.

क्या कहते हैं राज्यपाल


आईसीएआर देहरादून और अन्य राष्ट्रीय संस्थाओं की मदद से आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में राज्यपाल ने बेहतरीन कार्य करने वाले वैज्ञानिकों और अधिकारियों को सम्मानित किया. कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि बाढ़ और जलाशय अवसाद को रोकने के लिए लैंडस्केप प्रबंधन बेहद उपयोगी होगा. उन्होंने कहा कि इस सेमिनार में जो शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेंगे. यह शोध पत्र बाढ़ और जलाशयों में अवसादन की समस्या को दूर करने के लिए बनने वाली योजनाओं में सहायक साबित होगा. कुलपति ने कहा कि ICAR में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की रैंकिंग बढ़ी है.

झारखंड के साहिबगंज जिले को सर्वाधिक बाढ़ से प्रभावित होने वाला जिला बताते हुए डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि वनों में आग लगने, वनों के घनत्व में कमी और बारिश से मृदा अपरदन होता है. राज्य में करीब 1400 एमएम बारिश होती है, जो मेघालय और असम के बाद सबसे ज्यादा है. इस स्थिति में हमें सर्वोत्तम जल प्रबंधन करना होगा. नियमित बारिश और भारी बारिश से कई बार नुकसान होता है. यह सम्मलेन प्रभावी समाधान निकालने में मददगार साहिब होगा.

डॉ पीआर ओजस्वी ने कहा कि मिट्टी और पानी का संरक्षण आज बहुत बड़ा मुद्दा है. हमारे ब्रह्मांड में मिट्टी का क्या महत्व है. यह किसी से छुपा नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हम जलवायु परिवर्तन की समस्या से जूझ रहे हैं. इसका समाधान निकालना जरूरी है. ग्राामीण विकास विभाग के सचिव डॉ मनीष रंजन ने कहा कि दुनिया को सर्कुलेटिंग वर्ल्ड की ओर जाना होगा. सेमिनार में राज्यपाल ने पत्रिका का लोकार्पण किया.

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