रांची: 21वीं सदी में महिलाओं के धार्मिक अधिकार एवं मानव अधिकार विषय पर नेशनल लॉ यूनिविर्सिटी में चल रहे तीन दिवसीय कार्यशाला का आज (12 दिसंबर) समापन हो गया. कार्यशाला का आयोजन नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडीज एंड रिसर्च, ह्यूमन राइट्स एंड सबाल्टर्न स्टडीज, झालसा, महिला अध्यन केंद्र, पटना विश्वविद्यालय तत्वाधान में किया गया.
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सुप्रीम कोर्ट के जज रहे मौजूद
महिलाओं के धार्मिक अधिकार को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत, झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रविरंजन बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मदन कुमार मिश्रा, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राकेश सिन्हा, कई अधिवक्ता और न्यायिक पदाधिकारी मौजूद रहे.
महिलाओं की वर्तमान स्थिति पर चर्चा
इस कार्यशाला में महिलाओं की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिश सूर्यकांत ने बताया कि संविधान में महिलाओं को कई अधिकार दिए गए हैं लेकिन समाज में रूढ़िवादी सोच महिलाओं को आगे बढ़ने नहीं दिया जाता. इसके लिए सबसे पहले ऐसी सोच को खत्म कर सभी कार्यों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी साथ ही महिलाओं को धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करना होगा. उन्होंने कहा कि महिला अधिकारों से संबंधित कानून थोड़ा लचीला होना चाहिए जिससे सोसाइटी में उनकी अपनी अलग पहचान बन सके.