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2 साल से कुम्हार समाज को दीपावली का इंतजार, इस बार अच्छी आमदनी की आस

दीपावली के नजदीक आते ही कुम्हार समाज के लोग दीये बनाने में जुट जाते हैं. कोरोना के कारण पिछले दो सालों से इन कुम्हार समाज के लोगों के दीये की बिक्री नहीं हुई है. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है. लेकिन इस बार उन्हें अच्छी आमदनी की उम्मीद है.

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कुम्हारों को दीपावली से उम्मीद
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Published : Oct 28, 2021, 3:52 PM IST

Updated : Oct 28, 2021, 7:46 PM IST

दुमका: दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही दुमका के कुम्हार समाज के लोगों के चेहरे खिल जाते हैं. क्योंकि इस त्योहार में उनके बनाए गए मिट्टी के दीये की मांग काफी बढ़ जाती है. इससे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो जाती है. अभी ये कारीगर दिन-रात मेहनत कर चौक पर पसीना बहा रहे हैं और दीये बना रहे हैं.

इसे भी पढे़ं: मिठाई में मिलावट है तो ऐसे कर सकते हैं पहचान, त्योहार के सीजन में बढ़ जाता है मिलावटी खाद्य पदार्थ की बिक्री का खतरा



दुमका में हर साल मिट्टी के दीपक की मांग काफी अधिक रहती है. लेकिन पिछले साल कोरोना की वजह से सुरक्षा मापदंडों को लेकर काफी सख्त निर्देश दिए गए थे. इसका सीधा प्रभाव मिट्टी के दीये की बिक्री पर पड़ा था. जिससे कुम्हार समाज की आर्थित स्थिति काफी खराब हो गई थी. लेकिन कुम्हार समाज के लोगों को उम्मीद है कि पिछले वर्ष के कमाई की भरपाई इस बार हो जाएगी.

देखें स्पेशल स्टोरी




क्या कहते हैं मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगर

कुम्हार समाज के लोगों का कहना है कि हमारी दीपावली के समय अच्छी कमाई होती है. लेकिन अब मिट्टी लाने में काफी परेशानी होती है. जिस क्षेत्र से मिट्टी आसानी से लाते थे. अब वहां आबादी बढ़ने की वजह से मकान का निर्माण होते जा रहा है. लोग मिट्टी उठाने से मना कर रहे हैं. अगर दूर से मिट्टी मंगवाते हैं तो पेट्रोल और डीजल की मूल्य में वृद्धि से हमारा खर्च और बढ़ जा रहा है. साथ ही साथ कई और अन्य परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है. वो कहते हैं कि भले ही हमने अपना परिवार मिट्टी का बर्तन बनाकर चलाया और आज भी चला रहे हैं. लेकिन इस धंधे की परेशानी इतनी बढ़ चुकी है कि हम नहीं चाहते कि हमारी आने वाली पीढ़ी यह काम करें.

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कलाकारों के तैयार किए दीये




दीपक बेचने के लिए उचित स्थान की मांग

ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के कई ऐसे लोगों से बात की जो मिट्टी के दीये बनाते हैं. कुछ कारीगरों ने बताया कि दीपावली के दो-तीन दिन पहले जब हम दीये लेकर बाजार में बेचने जाते हैं तो समस्या रहती है कि हम कहां बैठकर बेचें. किसी के दुकान के सामने अगर दीये बेचने बैठते हैं तो दुकानदार मना करने लगते हैं. जिससे विवाद हो जाता है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने जैसे दुमका के यज्ञ मैदान में पटाखे बेचने की व्यवस्था की है. वैसे ही मिट्टी के बर्तन और दीये बेचने के लिए एक जगह की व्यवस्था कर दें तो कारोबार काफी बेहतर होगा.

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दीया बनाते कलाकार


इसे भी पढे़ं: घूमते चाक पर तेजी से चल रहे कुम्हारों के हाथ, दीपावली पर धन बरसने की उम्मीद


ईटीवी भारत की अपील

दीपावली के लिए मिट्टी के दीये बनकर तैयार है. ईटीवी भारत आपसे भी अपील करता है कि इस त्योहार में मिट्टी के दीपक अवश्य जलाएं. क्योंकि इससे आपका घर रोशन तो होगा ही साथ ही साथ उन कुम्हार समाज के लोगों का भी घर जगमगा जाएगा. जिन्होंने दिन रात मेहनत कर आपके लिए दीये बनाए.

दुमका: दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही दुमका के कुम्हार समाज के लोगों के चेहरे खिल जाते हैं. क्योंकि इस त्योहार में उनके बनाए गए मिट्टी के दीये की मांग काफी बढ़ जाती है. इससे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो जाती है. अभी ये कारीगर दिन-रात मेहनत कर चौक पर पसीना बहा रहे हैं और दीये बना रहे हैं.

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दुमका में हर साल मिट्टी के दीपक की मांग काफी अधिक रहती है. लेकिन पिछले साल कोरोना की वजह से सुरक्षा मापदंडों को लेकर काफी सख्त निर्देश दिए गए थे. इसका सीधा प्रभाव मिट्टी के दीये की बिक्री पर पड़ा था. जिससे कुम्हार समाज की आर्थित स्थिति काफी खराब हो गई थी. लेकिन कुम्हार समाज के लोगों को उम्मीद है कि पिछले वर्ष के कमाई की भरपाई इस बार हो जाएगी.

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क्या कहते हैं मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगर

कुम्हार समाज के लोगों का कहना है कि हमारी दीपावली के समय अच्छी कमाई होती है. लेकिन अब मिट्टी लाने में काफी परेशानी होती है. जिस क्षेत्र से मिट्टी आसानी से लाते थे. अब वहां आबादी बढ़ने की वजह से मकान का निर्माण होते जा रहा है. लोग मिट्टी उठाने से मना कर रहे हैं. अगर दूर से मिट्टी मंगवाते हैं तो पेट्रोल और डीजल की मूल्य में वृद्धि से हमारा खर्च और बढ़ जा रहा है. साथ ही साथ कई और अन्य परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है. वो कहते हैं कि भले ही हमने अपना परिवार मिट्टी का बर्तन बनाकर चलाया और आज भी चला रहे हैं. लेकिन इस धंधे की परेशानी इतनी बढ़ चुकी है कि हम नहीं चाहते कि हमारी आने वाली पीढ़ी यह काम करें.

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कलाकारों के तैयार किए दीये




दीपक बेचने के लिए उचित स्थान की मांग

ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के कई ऐसे लोगों से बात की जो मिट्टी के दीये बनाते हैं. कुछ कारीगरों ने बताया कि दीपावली के दो-तीन दिन पहले जब हम दीये लेकर बाजार में बेचने जाते हैं तो समस्या रहती है कि हम कहां बैठकर बेचें. किसी के दुकान के सामने अगर दीये बेचने बैठते हैं तो दुकानदार मना करने लगते हैं. जिससे विवाद हो जाता है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने जैसे दुमका के यज्ञ मैदान में पटाखे बेचने की व्यवस्था की है. वैसे ही मिट्टी के बर्तन और दीये बेचने के लिए एक जगह की व्यवस्था कर दें तो कारोबार काफी बेहतर होगा.

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दीया बनाते कलाकार


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ईटीवी भारत की अपील

दीपावली के लिए मिट्टी के दीये बनकर तैयार है. ईटीवी भारत आपसे भी अपील करता है कि इस त्योहार में मिट्टी के दीपक अवश्य जलाएं. क्योंकि इससे आपका घर रोशन तो होगा ही साथ ही साथ उन कुम्हार समाज के लोगों का भी घर जगमगा जाएगा. जिन्होंने दिन रात मेहनत कर आपके लिए दीये बनाए.

Last Updated : Oct 28, 2021, 7:46 PM IST
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