रांचीः जिस भवन का उदघाटन पीएम मोदी ने किया था, उस विधानसभा भवन के निर्माण में बरती गई अनियमितता की जांच न्यायिक आयोग करेगी. इतना ही नहीं राज्य सरकार ने विधानसभा भवन के अलावे निर्माणाधीन हाई कोर्ट भवन निर्माण की भी अनियमितता की जांच न्यायिक आयोग से कराने का निर्देश दिया है.
दोनों सरकारी भवन रघुवर सरकार के कार्यकाल में रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के माध्यम से बनाए गये थे. दोनों भवनों की गुणवत्ता को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे थे. इससे पहले राज्य सरकार ने इसमें हुई वित्तीय अनियमितता की जांच एसीबी से कराने का आदेश दिया था. आपको बता दें 1जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नव निर्मित झारखंड विधानसभा और झारखंड उच्च न्यायालय के निर्माण कार्य में बरती गई वित्तीय अनियमितता की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी से कराने का आदेश दिया था. महज नौ माह बाद न्यायिक आयोग से जांच कराने के सरकार के आदेश के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
12 सितंबर 2019 को पीएम मोदी ने किया था उदघाटनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड विधानसभा के एक नवनिर्मित भवन का उद्घाटन 12 सितंबर 2019 को किया था. 39 एकड़ में फैले तीन मंजिला इमारत का निर्माण 465 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है. आनन फानन में प्रधानमंत्री के हाथों कराये गए उदघाटन के बाद से ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठने शुरू हो गये थे. विधानसभा के इस नवनिर्मित भवन में फायर फाइटिंग के अभाव के कारण आग लगने के अलावे कई बार फॉल्स सिलिंग टूटकर गिर चुका है. राज्य सरकार के निर्णय के बाद अब इस पूरे मामले की जांच न्यायिक आयोग करेगी.
झारखंड हाई कोर्ट का धुर्वा में बन रहा है नया भवनः विधानसभा भवन के समीप ही बन रहे झारखंड हाई कोर्ट के निर्माणाधीन भवन की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं. इस संबंध में झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग पहले से ही दाखिल है. निर्माण कार्य करने वाली कंपनी राम कृपाल कंस्ट्रक्शन पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे हुए हैं. शुरुआत में हाई कोर्ट भवन निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी. बाद में 100 करोड़ घटा कर संवेदक को 265 करोड़ में टेंडर दे दिया गया. वर्तमान में इसकी लागत बढ़कर लगभग 697 करोड़ रुपये का हो गयी है. बढ़ी राशि के लिए सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई है और ना ही नया टेंडर किया गया है. ऐसे में एसीबी के बाद न्यायिक आयोग पूरी अनियमितता की जांच करेगी. जिससे कहीं न कहीं कंस्ट्रक्शन का काम करनेवाली कंपनी और तत्कालीन रघुवर सरकार सवालों के घेरे में आ गई है.