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फेंसिंग गेम पर झारखंड सरकार नहीं दे रही 'फेस', अधर में खिलाड़ियों का भविष्य

नासिक में राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन हो चुका है. जहां झारखंड की टीम फेंसिंग गेम प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही है. 3 अगस्त को अंडर -12 की टीम नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने नासिक जाएगी. साथ ही खेल विभाग का रुख बदला हुआ है और किसी प्रकार का कोई सहायता नहीं कर रही है.

अभ्यास करते खिलाड़ी
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Published : Jul 23, 2019, 9:18 PM IST

रांची: नासिक में आयोजित राष्ट्रीय फेंसिंग प्रतियोगिता में इस बार झारखंड की टीम भी हिस्सा लेने जा रही है. झारखंड की टीम 3 अगस्त को नासिक के लिए रवाना होगी. फेंसिंग गेम की ओर सरकारी उदासीनता से खिलाड़ियों में मायूसी है.

देखें पूरी खबर

फेंसिंग के खिलाड़ी संघ के भरोसे इस प्रतियोगिता में शामिल होने जा रहे हैं. इन खिलाड़ियों को और झारखंड की फेंसिंग टीम को किसी भी तरह की सहायता नहीं मुहैया करवाई जा रही है. इससे खिलाड़ियों के साथ-साथ संघ से जुड़े पदाधिकारियों में भी नाराजगी है.


जाने फेंसिंग गेम क्या है
ओलंपिक में जगह बना चुकी फेंसिंग गेम धीरे-धीरे प्रचलित हो रही है. तलवारबाजी की नकली लड़ाई से निकल कर सामने आया यह गेम विदेशों में नकली लड़ाई के रूप में परिवर्तित हो गई है और इसी का नाम फेंसिंग पड़ा है.


फेंसिंग गेम को नहीं मिल पा रही तवज्जो
हालांकि यह खेल इन दिनों झारखंड में उपेक्षा का शिकार हो रही है. इससे जुड़े खिलाड़ियों की ओर राज्य सरकार के खेल विभाग का कोई ध्यान नहीं है. खिलाड़ी, संघ के बलबूते ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं और अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं. लेकिन ओलंपिक में शामिल किए गए फेंसिंग गेम को झारखंड में तवज्जो नहीं मिल पा रही है.


खेल विभाग है उदासीन
राज्य सरकार के खेल विभाग का इस फेंसिंग गेम की ओर ध्यान ही नहीं है और ना ही इन खिलाड़ियों को किसी भी तरह की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है. ऐसे में खिलाड़ी एक बार फिर संघ के भरोसे ही इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रही है. इस मामले को लेकर खेल निदेशक अनिल कुमार सिंह से भी बात की गई लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. लेकिन इसके लिए जिम्मेदार संघ के पदाधिकारियों को ही बताया गया.

ये भी देखें- झारखंड के 30 फीसदी स्कूलों में बिजली नहीं, लोकसभा में रिपोर्ट पेश


हालांकि इस दिशा में एसोसिएशन के साथ-साथ खेल विभाग को भी ध्यान देने की जरूरत है, नहीं तो खिलाड़ियों का भविष्य इस गेम में अंधकारमय नजर आ रहा है. क्योंकि प्रैक्टिस सेशन में भी मैनुएल तरीके से फेंसिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है. जबकि इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट के साथ फेंसिंग की ट्रेनिंग देना अनिवार्य है. राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में इस तरीके की ट्रेनिंग से क्या खिलाड़ी मेडल हासिल कर पाएंगे.

रांची: नासिक में आयोजित राष्ट्रीय फेंसिंग प्रतियोगिता में इस बार झारखंड की टीम भी हिस्सा लेने जा रही है. झारखंड की टीम 3 अगस्त को नासिक के लिए रवाना होगी. फेंसिंग गेम की ओर सरकारी उदासीनता से खिलाड़ियों में मायूसी है.

देखें पूरी खबर

फेंसिंग के खिलाड़ी संघ के भरोसे इस प्रतियोगिता में शामिल होने जा रहे हैं. इन खिलाड़ियों को और झारखंड की फेंसिंग टीम को किसी भी तरह की सहायता नहीं मुहैया करवाई जा रही है. इससे खिलाड़ियों के साथ-साथ संघ से जुड़े पदाधिकारियों में भी नाराजगी है.


जाने फेंसिंग गेम क्या है
ओलंपिक में जगह बना चुकी फेंसिंग गेम धीरे-धीरे प्रचलित हो रही है. तलवारबाजी की नकली लड़ाई से निकल कर सामने आया यह गेम विदेशों में नकली लड़ाई के रूप में परिवर्तित हो गई है और इसी का नाम फेंसिंग पड़ा है.


फेंसिंग गेम को नहीं मिल पा रही तवज्जो
हालांकि यह खेल इन दिनों झारखंड में उपेक्षा का शिकार हो रही है. इससे जुड़े खिलाड़ियों की ओर राज्य सरकार के खेल विभाग का कोई ध्यान नहीं है. खिलाड़ी, संघ के बलबूते ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं और अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं. लेकिन ओलंपिक में शामिल किए गए फेंसिंग गेम को झारखंड में तवज्जो नहीं मिल पा रही है.


खेल विभाग है उदासीन
राज्य सरकार के खेल विभाग का इस फेंसिंग गेम की ओर ध्यान ही नहीं है और ना ही इन खिलाड़ियों को किसी भी तरह की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है. ऐसे में खिलाड़ी एक बार फिर संघ के भरोसे ही इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रही है. इस मामले को लेकर खेल निदेशक अनिल कुमार सिंह से भी बात की गई लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. लेकिन इसके लिए जिम्मेदार संघ के पदाधिकारियों को ही बताया गया.

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हालांकि इस दिशा में एसोसिएशन के साथ-साथ खेल विभाग को भी ध्यान देने की जरूरत है, नहीं तो खिलाड़ियों का भविष्य इस गेम में अंधकारमय नजर आ रहा है. क्योंकि प्रैक्टिस सेशन में भी मैनुएल तरीके से फेंसिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है. जबकि इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट के साथ फेंसिंग की ट्रेनिंग देना अनिवार्य है. राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में इस तरीके की ट्रेनिंग से क्या खिलाड़ी मेडल हासिल कर पाएंगे.

Intro:रांची। डे प्लान नासिक में आयोजित राष्ट्रीय फेंसिंग प्रतियोगिता में झारखंड की टीम भी हिस्सा लेने जा रही है .3 अगस्त को टीम नासिक के लिए रवाना होगी. लेकिन फेंसिंग की ओर राज्य सरकार के खेल विभाग का समुचित ध्यान नहीं है. संघ के भरोसे खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में शामिल होने जा रहे हैं. इन खिलाड़ियों को और झारखंड की फेंसिंग टीम को किसी भी तरह की सहायता नहीं मुहैया करवाई जा रही है. इससे खिलाड़ियों के साथ-साथ संघ से जुड़े पदाधिकारियों में भी मलाल है.


Body:ओलंपिक गेम में जगह बना चुकी फेंसिंग गेम धीरे धीरे प्रचलित हो रही है. और ओलंपिक खेलों में तो फैंसीग प्रतियोगिता अवश्य ही रखी जाती है .तलवारबाजी की नकली लड़ाई से निकल कर सामने आया यह गेम विदेशों में नकली लड़ाई के रूप में परिवर्तित हो गई है और इसी का नाम फेंसिंग पड़ा है .हालांकि यह गेम इन दिनों झारखंड में उपेक्षा की शिकार हो रही है .इससे जुड़े खिलाड़ियों की ओर राज्य सरकार का खेल विभाग का कोई ध्यान नहीं है .खिलाड़ी संघ के बलबूते ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं और अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं. लेकिन इन खिलाड़ियों के मन में एक टीस है कि आखिर ओलंपिक में शामिल किए गए फेंसिंग गेम को झारखंड में तवज्जो क्यों नहीं दी जा रही है. नासिक में राष्ट्रीय प्रतियोगिता। दरअसल 3 अगस्त को अंडर -12 की टीम नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने नासिक जा रही है .लेकिन इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए जो तैयारी देखी जाती है .वह तैयारी फेंसिंग खिलाड़ियों के बीच नहीं देखी जा रही है .कारण बताया जा रहा है कि राज्य सरकार के खेल विभाग का इस ओर ध्यान ही नहीं है. और ना ही इन खिलाड़ियों को किसी भी तरह की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है .ऐसे में खिलाड़ी एक बार फिर संघ के भरोसे ही इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रही है . संघ के मनमानी के कारण खेल विभाग है उदासीन। मामले को लेकर हमारी टीम ने खेल निदेशक अनिल कुमार सिंह से भी बात की हालांकि उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब तो नहीं दिया .लेकिन इसके लिए जिम्मेदार संघ के पदाधिकारियों को ही बताया. इनकी मानें तो संघ द्वारा हमेशा ही खिलाड़ियों के हित में नहीं सोचा जाता है .वह अपने जेब भरने में लगे रहते है ऐसे में बीच में खिलाड़ियों को पीसना पड़ता है.


Conclusion:हालांकि इस दिशा में एसोसिएशन के साथ साथ खेल विभाग को भी ध्यान देने की जरूरत है नहीं तो खिलाड़ियों का भविष्य इस गेम में अंधकारमय नजर आ रहा है. क्योंकि प्रैक्टिस सेशन में भी मैनुएल तरीके से फेंसिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है. जबकि इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट के साथ फेंसिंग की ट्रेनिंग देना अनिवार्य है .राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कुछ ही दिन बचे हैं ऐसे में इस तरीके के ट्रेनिंग से क्या खिलाड़ी मेडल हासिल कर पाएंगे. बाइट- रामाशीष सिंह,अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सह फेंसिंग कोच। बाइट-अनिल कुमार सिंह,खेल निदेशक।
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