रांचीः झारखंड में एनीमिया यानी खून की कमी एक बड़ी समस्या है. एक अनुमान के अनुसार राज्य के पचास फीसदी से ज्यादा लोग खून की कमी की समस्या से ग्रसित हैं. चिंता की बात यह है कि इसमें बड़ी संख्या बच्चों की भी है जो थैलेसीमिया और सिकल एनीमिया से ग्रसित है. ऐसे बच्चों के इलाज के लिए रांची सिविल सर्जन (Ranchi Civil Surgeon) ने स्वास्थ्य विभाग को इस बीमारी को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना (Chief Minister Serious Illness Scheme) में शामिल करने के लिए पत्र लिखा है.
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क्या है मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना
रांची के सिविल सर्जन (Ranchi Civil Surgeon) डॉक्टर विनोद कुमार ने पत्र लिखकर दोनों बीमारियों को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना में शामिल करने का आग्रह किया है. उनका आग्रह यदि स्वीकार हो जाता है तो इस बीमारी से पीड़ित बच्चे को इलाज के लिए सरकार की तरफ से 5 लाख का मदद मिल सकेगा. बता दें कि इस योजना में चार बीमारी आते हैं, जिसमें कैंसर, लिवर डिजीज, किडनी डिजीज और एसिड बर्न केस है. अब उस बीमारी की लिस्ट में थैलेसीमिया और सिकल एनीमिया को भी जोड़े जाने की मांग की गई है.
इलाज में 15 लाख रुपये होते हैं खर्च
बता दें कि थैलेसीमिया और सिकल एनीमिया के बच्चों को ठीक करने के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) की आवश्यकता होती है जिसके उपचार में 15 लाख रुपये खर्च होते हैं. पंद्रह लाख में यदि 5 लाख मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना (Chief Minister Serious Illness Scheme) से प्राप्त होते है तो बाकी के रुपए सीसीएल की तरफ से मुहैया कराए जाएंगे. जो सीएसआर फंड के तहत बच्चों के इलाज के लिए सीसीएल की तरफ से दिया जाएगा.
14 बच्चों को इलाज में मदद
सिविल सर्जन ने बताया कि फिलहाल 14 थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों का चयन किया गया है. सभी बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट की व्यवस्था बेंगलुरु के नारायण अस्पताल में की गई है. जिन बच्चों का चयन बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant ) के लिए किया गया है उनका सैंपल जर्मनी भेजा गया है जहां से कुछ महीनों में सभी का रिपोर्ट आ जाएगा. रिपोर्ट आने के बाद चयन किए गए सभी बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant ) किया जाएगा.
कई बार जा चुकी है बच्चों की जान
बता दें कि झारखंड में एनीमिया से कई बच्चे ग्रसित हैं, जिन को इलाज के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. कई बार समय पर खून नहीं चढ़ाने के कारण बच्चों की जान चली जाती है. अब सिविल सर्जन के पत्र लिखने के बाद ऐसे बच्चों के लिए उम्मीद की किरण दिख रही है.