रांची: झारखंड पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. ऐसा ही मामला झारखंड के बड़े ट्रांसपोर्टर अमित अग्रवाल, सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता बॉडीगार्ड देने से जुड़ा है. दोनों कारोबारियों को बॉडीगार्ड देने के मामले में सीआईडी ने जवाब मांगा था लेकिन जवाब 20 महीनों बाद पहुंचा है.
तत्कालीन डीजीपी ने मांगी थी जानकारी
12 अक्टूबर 2018 को झारखंड के तत्कालीन डीजीपी डीके पांडे के कार्यालय से सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराने के संबंध में पत्र लिखकर जानकारी मांगी थी, लेकिन डीके पांडे के रिटायरमेंट के भी साल भर से अधिक वक्त बीतने के बाद 6 जून 2020 को सीआईडी के केंद्रीय प्राप्ति और निर्गत शाखा को यह पत्र मिला. सीआईडी ने अब इस मामले में नए सिरे से झारखंड के सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है.
क्या है पूरा मामला
सीआईडी एसपी अंजनी कुमार झा ने पूरे मामले में झारखंड के सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए बताया गया है कि डीजीपी के निर्देशानुसार सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराया गया है तो इस संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई जाए. सीआईडी ने जिले के एसपी से यह भी पूछा है कि जिन लोगों को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराया गया है उनका नाम पता और व्यवसाय क्या है यह भी बताया जाए. इसके साथ ही सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता के पास बॉडीगार्ड कब से कब तक प्रतिनियुक्त रहे, किसके आदेश से दोनों को बॉडीगार्ड उपलब्ध करवाया गया था, अगर जिले के एसपी या जिला सुरक्षा समिति का ज्ञापांक (मेमो) हो तो इसकी भी जानकारी मांगी गई है. सीआईडी ने यह भी सवाल किया है कि जो बॉडीगार्ड उपलब्ध करवाए गए थे उनके पास कौन से हथियार थे, साथ ही क्या कभी बॉडीगार्ड को प्रतिनियुक्ति के दौरान झारखंड से बाहर जाने की भी अनुमति दी गई थी.
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कौन है सोनू अग्रवाल
सोनू अग्रवाल टेरर फंडिंग मामले में आरोपी है. एनआईए ने मगध अम्रपाली कोल परियोजना में टेरर फंडिंग के मामले में सोनू अग्रवाल पर चार्जशीट किया है. सोनू की गिरफ्तारी पर फिलहाल रांची हाई कोर्ट ने रोक लगाई हुई है. सोनू अग्रवाल की गिनती बड़े कॉल ट्रांसपोर्टरों में होती है. सोनू को पूर्व में रांची, हजारीबाग समेत कई जिलों से बॉडीगार्ड दिया गया था. हालांकि एनआईए की चार्जशीट में नाम आने के बाद रांची समेत दूसरे जिलों के बॉडीगार्ड वापस ले लिए गया था.