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झारखंड राजद से किया वादा भूल गए तेजस्वी, नीतीश कुमार ने बढ़ाया फोकस - झारखंड न्यूज

झारखंड में राजद(rjd in jharkhand) भले ही सत्तासीन हो, लेकिन उसका जनाधार कम ही हुआ है. पार्टी के आला नेता भी झारखंड में संगठन मजबूती और जनाधार बढ़ाने खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. मजबूती की कवायद शुरू होते ही मंद पड़ जाती है. उधर झारखंड में जेडीयू ने अपना फोकस बढ़ाया है.

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Published : Oct 14, 2022, 9:09 PM IST

Updated : Oct 14, 2022, 9:32 PM IST

रांचीः बिहार के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव, पिछले वर्ष झारखंड में राजद संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में लगे थे. रांची में उन्होंने झारखंड राजद के कार्यकर्ताओं और नेताओं से वादा किया था कि राज्य में संगठन विस्तार और संगठन को मजबूत करने के लिए हर महीने झारखंड का दौरा करेंगे और यहां रात्रि विश्राम कर कार्यकर्ताओं और राज्य के नेताओं के साथ बैठक और जनसभा करेंगे.

ये भी पढ़ेंः झारखंड राजद को किंग मेकर बनने की है चाहत, 2024 के लिए 18 विधानसभा सीटों पर नजर

तेजस्वी नहीं ले रहे रूचिः शुरुआती दिनों में तेजस्वी काफी सक्रिय भी दिख रहे थे, पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में क्रमशः रांची और पलामू के छतरपुर में कार्यकर्ता सम्मेलन किया. छतरपुर में सभा की और राज्य में राष्ट्रीय जनता दल को मजबूत करते दिखे भी. परंतु बिहार की राजनीति में सक्रिय हुए तेजस्वी यादव की प्राथमिकता में मानो झारखंड के संगठन और राजद को मजबूत करने की कवायद पीछे छूट गयी(Tejashwi Yadav not paying attention). नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाकर तेजस्वी यादव फिर से उपमुख्यमंत्री बन गए और फिर उनकी नजर से मानो झारखंड राजद दूर ही हो गया है. पार्टी के प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश यादव भी गाहे बगाहे ही झारखंड और रांची दौरे पर आते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट


झारखंड गठन के बाद कमजोर हुआ है राजदः झारखंड में राजद के लगातार कमजोर होते जनाधार का अनुमान, इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य बनने के समय 11 विधायक वाला राजद 2014 के विधानसभा चुनाव में जीरो पर आ गया. फिर उसके बाद 2019 में विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में रहकर भी सिर्फ 1 सीट राजद किसी तरह जीत सका था. ऐसे में राजद किंग मेकर बनने का सपना तो देखता है परंतु उसके लिए धरातल पर जो मेहनत होनी चाहिए वह होता नहीं दिख रहा है और एक बार फिर झारखंड को लेकर राजद उदासीन हो गया है. राजद के प्रदेश वरीय उपाध्यक्ष रहे राजेश यादव कहते हैं कि तेजस्वी यादव आते रहे हैं और आगे भी आएंगे ,लेकिन हर महीने के तीसरे शनिवार को झारखंड आने का वादा क्यों पूरा नहीं हुआ इस सवाल पर वह इसका जवाब तेजस्वी द्वारा देने की बात कहते हैं.

जदयू का झारखंड में संगठन विस्तार पर है जोरः राजद नेतृत्व जहां राज्य में संगठन विस्तार को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है तो दूसरी ओर बिहार की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी नीतीश कुमार की जदयू, झारखंड में संगठन विस्तार पर पूरा फोकस किए हुए है. नीतीश कुमार ने पहले खीरू महतो जैसे अनुभवी व्यक्ति के हाथ में झारखंड जदयू की कमान दे दी. वहीं उन्हें राज्यसभा भी भेज दिया ताकि उन्हें झारखंड में संगठन विस्तार में सहूलियत हो.

अब 16 अक्टूबर को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह रांची में राज्यस्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन करने जा रहे हैं तो नीतीश कुमार का भी दिसंबर में झारखंड दौरा संभावित है. पार्टी के प्रदेश महासचिव श्रवण कुमार कहते हैं कि राज्य में अपने खोए जनाधार को वापस लाना है. ऐसे में आने वाले दिनों में झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड अपना जनाधार कैसे बढ़ा पाती है यह देखने वाली बात होगी.

रांचीः बिहार के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव, पिछले वर्ष झारखंड में राजद संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में लगे थे. रांची में उन्होंने झारखंड राजद के कार्यकर्ताओं और नेताओं से वादा किया था कि राज्य में संगठन विस्तार और संगठन को मजबूत करने के लिए हर महीने झारखंड का दौरा करेंगे और यहां रात्रि विश्राम कर कार्यकर्ताओं और राज्य के नेताओं के साथ बैठक और जनसभा करेंगे.

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तेजस्वी नहीं ले रहे रूचिः शुरुआती दिनों में तेजस्वी काफी सक्रिय भी दिख रहे थे, पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में क्रमशः रांची और पलामू के छतरपुर में कार्यकर्ता सम्मेलन किया. छतरपुर में सभा की और राज्य में राष्ट्रीय जनता दल को मजबूत करते दिखे भी. परंतु बिहार की राजनीति में सक्रिय हुए तेजस्वी यादव की प्राथमिकता में मानो झारखंड के संगठन और राजद को मजबूत करने की कवायद पीछे छूट गयी(Tejashwi Yadav not paying attention). नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाकर तेजस्वी यादव फिर से उपमुख्यमंत्री बन गए और फिर उनकी नजर से मानो झारखंड राजद दूर ही हो गया है. पार्टी के प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश यादव भी गाहे बगाहे ही झारखंड और रांची दौरे पर आते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट


झारखंड गठन के बाद कमजोर हुआ है राजदः झारखंड में राजद के लगातार कमजोर होते जनाधार का अनुमान, इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य बनने के समय 11 विधायक वाला राजद 2014 के विधानसभा चुनाव में जीरो पर आ गया. फिर उसके बाद 2019 में विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में रहकर भी सिर्फ 1 सीट राजद किसी तरह जीत सका था. ऐसे में राजद किंग मेकर बनने का सपना तो देखता है परंतु उसके लिए धरातल पर जो मेहनत होनी चाहिए वह होता नहीं दिख रहा है और एक बार फिर झारखंड को लेकर राजद उदासीन हो गया है. राजद के प्रदेश वरीय उपाध्यक्ष रहे राजेश यादव कहते हैं कि तेजस्वी यादव आते रहे हैं और आगे भी आएंगे ,लेकिन हर महीने के तीसरे शनिवार को झारखंड आने का वादा क्यों पूरा नहीं हुआ इस सवाल पर वह इसका जवाब तेजस्वी द्वारा देने की बात कहते हैं.

जदयू का झारखंड में संगठन विस्तार पर है जोरः राजद नेतृत्व जहां राज्य में संगठन विस्तार को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है तो दूसरी ओर बिहार की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी नीतीश कुमार की जदयू, झारखंड में संगठन विस्तार पर पूरा फोकस किए हुए है. नीतीश कुमार ने पहले खीरू महतो जैसे अनुभवी व्यक्ति के हाथ में झारखंड जदयू की कमान दे दी. वहीं उन्हें राज्यसभा भी भेज दिया ताकि उन्हें झारखंड में संगठन विस्तार में सहूलियत हो.

अब 16 अक्टूबर को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह रांची में राज्यस्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन करने जा रहे हैं तो नीतीश कुमार का भी दिसंबर में झारखंड दौरा संभावित है. पार्टी के प्रदेश महासचिव श्रवण कुमार कहते हैं कि राज्य में अपने खोए जनाधार को वापस लाना है. ऐसे में आने वाले दिनों में झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड अपना जनाधार कैसे बढ़ा पाती है यह देखने वाली बात होगी.

Last Updated : Oct 14, 2022, 9:32 PM IST
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