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विश्वविद्यालय झेल रहा शिक्षकों की कमी का दंश, डीएसपीएमयू में 200 की जगह हैं केवल 73 शिक्षक - आरयू में शिक्षक की पद रिक्त

राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी का मामला लागतार कई सालों से बना हुआ है. इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. डीएसपीएमयू में मात्र 73 ही शिक्षक की पदस्थापित हैं, जबकि विश्वविद्यालय को कुल 200 से अधिक शिक्षकों की जरूरत है.

Teacher shortage in universities in Jharkhand
शिक्षकों की कमी
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Published : Feb 12, 2020, 6:11 PM IST

रांची: राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. वर्ष 2018 तक की रिक्तियों के अनुसार राज्य के पांच विश्वविद्यालय में 1,118 पद खाली हैं.

देखें पूरी खबर

रांची कॉलेज से अपग्रेड किए गए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की बात करें तो इस विश्वविद्यालय में मात्र 73 शिक्षक ही है. जबकि विश्वविद्यालय को कुल 200 से अधिक शिक्षकों की जरूरत है और शिक्षकों की कमी के कारण आए दिन विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षकों के बीच अनबन होती है.

रांची कॉलेज से अपग्रेड कर डीएसपीएमयू का गठन किया गया. गठन के बाद से ही इस विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों का भार लगातार बढ़ रहा है, लेकिन रिक्त पड़े शिक्षक और टेक्निशियंस के अलावे कर्मचारियों के पद भरे नहीं जा रहे हैं. जिसका खामियाजा सीधे तौर पर विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है. डीएसपीएमयू में कुल विद्यार्थियों की संख्या 9,857 है, लेकिन इनके पठन-पाठन के लिए मात्र 73 ही शिक्षक है. जबकि विश्वविद्यालय में 200 से अधिक शिक्षकों की जरूरत है. इसके बावजूद उच्च शिक्षा विभाग का ध्यान नहीं है.

ये भी पढ़ें- रांचीः नगर निगम के सफाई कर्मियों की बैठक, 1 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की दी चेतावनी

वहीं अगर हम राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों की बात करें तो अधिकतर विश्वविद्यालयों में काफी पद रिक्त हैं. कुल 1,118 पद खाली है, लेकिन इन पदों को भरा नहीं जा रहा है. वर्ष 2017 में रांची कॉलेज अपग्रेड हुआ और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय बनाा. विवि में कॉलेज के समय के ही शिक्षकों के 148 पद स्वीकृत हैं. इनमें 73 शिक्षक कार्यरत है और 75 पद रिक्त है.

बता दें कि विश्वविद्यालय बनने के बाद प्रोफेसर के 29 एसोसिएट, प्रोफेसर के 58 पद, असिस्टेंट प्रोफेसर के 116 पद सृजित करने का प्रस्ताव सरकार को भेजे जाने के बावजूद अब तक यह प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है. इसे लेकर लगातार विश्वविद्यालय प्रबंधन और शिक्षकों के बीच अनबन होती है. शिक्षक आरोप लगाते हैं कि विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से शिक्षक बढ़ाने को लेकर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. जबकि विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि सरकार को ही इसे लेकर निर्णय लेना है. किसी भी परिस्थिति में यह विश्वविद्यालय बेहतर कर रहा है.

रांची: राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. वर्ष 2018 तक की रिक्तियों के अनुसार राज्य के पांच विश्वविद्यालय में 1,118 पद खाली हैं.

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रांची कॉलेज से अपग्रेड किए गए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की बात करें तो इस विश्वविद्यालय में मात्र 73 शिक्षक ही है. जबकि विश्वविद्यालय को कुल 200 से अधिक शिक्षकों की जरूरत है और शिक्षकों की कमी के कारण आए दिन विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षकों के बीच अनबन होती है.

रांची कॉलेज से अपग्रेड कर डीएसपीएमयू का गठन किया गया. गठन के बाद से ही इस विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों का भार लगातार बढ़ रहा है, लेकिन रिक्त पड़े शिक्षक और टेक्निशियंस के अलावे कर्मचारियों के पद भरे नहीं जा रहे हैं. जिसका खामियाजा सीधे तौर पर विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है. डीएसपीएमयू में कुल विद्यार्थियों की संख्या 9,857 है, लेकिन इनके पठन-पाठन के लिए मात्र 73 ही शिक्षक है. जबकि विश्वविद्यालय में 200 से अधिक शिक्षकों की जरूरत है. इसके बावजूद उच्च शिक्षा विभाग का ध्यान नहीं है.

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वहीं अगर हम राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों की बात करें तो अधिकतर विश्वविद्यालयों में काफी पद रिक्त हैं. कुल 1,118 पद खाली है, लेकिन इन पदों को भरा नहीं जा रहा है. वर्ष 2017 में रांची कॉलेज अपग्रेड हुआ और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय बनाा. विवि में कॉलेज के समय के ही शिक्षकों के 148 पद स्वीकृत हैं. इनमें 73 शिक्षक कार्यरत है और 75 पद रिक्त है.

बता दें कि विश्वविद्यालय बनने के बाद प्रोफेसर के 29 एसोसिएट, प्रोफेसर के 58 पद, असिस्टेंट प्रोफेसर के 116 पद सृजित करने का प्रस्ताव सरकार को भेजे जाने के बावजूद अब तक यह प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है. इसे लेकर लगातार विश्वविद्यालय प्रबंधन और शिक्षकों के बीच अनबन होती है. शिक्षक आरोप लगाते हैं कि विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से शिक्षक बढ़ाने को लेकर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. जबकि विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि सरकार को ही इसे लेकर निर्णय लेना है. किसी भी परिस्थिति में यह विश्वविद्यालय बेहतर कर रहा है.

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