रांची: झारखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीरे-धीरे काबू में आने से जहां सरकार राहत महसूस कर रही है. वहीं वैक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार परेशानी का कारण बनी हुई है. तमाम उपायों और टीकाकरण शुरू होने के 12 महीने से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद कोरोना वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका है. अभी भी राज्य में 18 प्लस उम्र समुह के 37 लाख लोग इस वैक्सीन से वंचित हैं. वहीं दूसरे डोज की हालत तो और भी खराब है. राज्य की 18 प्लस की 2 करोड़ 41 लाख 21 हजार 312 की आबादी में से 47 फीसदी यानी 01 करोड़ 13 लाख 56 हजार 408 लोगों ने दूसरा डोज नहीं लिया है.
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वैक्सीनेशन में फिसड्डी जिले
कोरोना के पहले डोज की बात करें तो झारखंड के पांच जिले फिसड्डी साबित हो रहे हैं. इनमें चतरा, धनबाद,गढ़वा, गिरिडीह और गोड्डा जैसे बड़े जिले शामिल है. इन जिलों में वैक्सीन का पहला डोज अब भी 80 फीसदी के नीचे है. वहीं दूसरे डोज की बात करें तो राज्य के 10 जिलों ने निराश किया है. इन जिलों में सेकेंड डोज लेने वालों की संख्या 50 फीसदी से भी कम है. चतरा, धनबाद,गढ़वा,गिरिडीह,जामताड़ा, लातेहार, पाकुड़,साहिबगंज और पश्चिम सिंहभूम ऐसे ही जिले हैं जहां वैक्सीनेशन की रफ्तार कछुए की चाल से भी सुस्त है.
नहीं पूरा हुआ सीएम हेमंत सोरेन का लक्ष्य
झारखंड में वैक्सीनेशन की ये हालत तब है जब सूबे के मुखिया ने पूर्ण वैक्सीनेशन के लिए 20 जनवरी 2022 का लक्ष्य रखा था.ताकि 26 जनवरी को सरकार पूरे गर्व के साथ इसकी घोषणा कर सके. जाहिर है स्वास्थ्य विभाग सीएम के टास्क को पूरा करने में पूरी तरह नाकाम रहा और अब विपक्ष इस मामले में सरकार की किरकिरी करने से पिछे नहीं हट रहा है.
जनता के सिर पर नाकामी का ठीकरा: मुख्यमंत्री के टास्क को पूरा करने के लिए अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अरुण कुमार सिंह और एनएचएम निदेशक ने सभी जिले के डीसी, सिविल सर्जन को झारखंड में वैक्सीनेशन बढ़ाने का निर्देश दिया था,टीकाकरण का मेगा अभियान भी चलाया गया. बावजूद इसके 37 लाख से अधिक की आबादी ऐसी रहे जिन्होंने वैक्सीन का पहला डोज और 1.13 करोड़ लोगों ने दूसरा डोज नहीं लिया. राज्य में वैक्सीन की पूर्ण उपलब्धता के बावजूद झारखंड एक भी दिन अपनी क्षमता के अनुरूप (3 लाख/दिन) टीका नहीं लगा सका है. स्वास्थ्य अधिकारी और विशेषज्ञ अपनी नाकामी का सारा ठीकरा जनता की उदासीनता पर फोड़ते हैं. उनके मुताबिक टीकाकरण को लेकर जनता में उत्साह नहीं दिखने से लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका. तो वहीं कई ऐसे भी हैं जो इस बात पर ना उम्मीद हैं कि कभी राज्य सौ फीसदी टीकाकरण वाला स्टेट बन सकेगा.