रांची: राजधानी में काफी उम्मीदों के साथ झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय का गठन किया गया था. लेकिन उम्मीदों पर यह विश्वविद्यालय खरा नहीं उतर रहा है. बताते चलें कि 5 साल हो जाने के बाद भी पुलिस साइंस की पढ़ाई पूरे कर चुके 90 युवा टाना भगत आज भी नियुक्ति के इंतजार में है. जबकि कहा गया था कि टाना भगत के बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर कोर्स पूरा होते ही संबंधित विभागों में नियुक्ति दी जाएगी.
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टाना भगत बच्चों को नहीं मिल रही नियुक्ति: रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में टाना भगत समुदाय के विकास और उत्थान के लिए इस समुदाय के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा विभाग की पहल पर पुलिस साइंस की पढ़ाई करवाई गई थी. टाना भगत के दसवीं पास बच्चों का नामांकन करा कर एक वर्ष की पढ़ाई के पश्चात पुलिस विभाग में सीधी भर्ती करने को लेकर योजना बनाई गई थी. रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में इनके लिए पुलिस साइंस में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया गया. लेकिन अब तक इन बच्चों को इसका लाभ नहीं मिला. गौरतलब है पहले सेशन में ही 90 टाना भगतो के बच्चों ने इस कोर्स को पूरा किया. लेकिन अब तक ना तो उन्हें नियुक्ति दी गई और ना ही इसे लेकर अब तक ही कोई पहल किया गया है. इधर पुलिस साइंस की पढ़ाई कर चुके दूसरे बैच के छात्रों की मानें तो मामले को लेकर राज्य सरकार के कई अधिकारियों से बातचीत की गई. इसके बावजूद इस और किसी ने भी ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा. अब यह विद्यार्थी झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है.
सरकारी योजना का लाभ नहीं: गौरतलब है कि झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय देश का तीसरा रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय है. जहां किसी समुदाय विशेष के लिए स्पेशल कोर्स डिजाइन किया गया है और यह कोर्स सर्टिफिकेट कोर्स इन पुलिस साइंस के नाम से है. यहां टाना भगत समुदाय के दसवीं पास युवक-युवतियों का नामांकन होता है. इनके लिए 60 सीट रिजर्व भी है. इन पर राज्य सरकार प्रतिवर्ष 27000 रुपये खर्च करती है. पुलिस साइंस की पढ़ाई कर चुके युवाओं की मानें तो उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग को छोड़कर पुलिस से संबंधित तमाम पहलुओं की जानकारी दी गई है. लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई है. सरकार के निर्णय और योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है.