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रेलवे टिकट की कालाबाजारी करने वाले सुपरवाइजर सहित 4 आरोपियों को पांच पांच साल की सजा, तीन लाख रुपये की पहुंचाई थी क्षति - Ranchi news

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने रेलवे टिकट की कालाबाजारी करने वाले सुपरवाइजर सहित चार आरोपियों को सजा सुनाई है. इन आरोपियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई गई है. बताया जा रहा है कि रेलवे को करीब तीन लाख रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाई थी.

Supervisor accused of black marketing
रेलवे टिकट की कालाबाजारी करने वाले सुपरवाइजर सहित 4 आरोपियों को पांच पांच साल की सजा
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Published : Aug 25, 2022, 10:16 PM IST

रांची: रेलवे टिकट की कालाबाजारी करने के आरोप में ओम प्रकाश मंडल, विद्यापति ठाकुर, उमापति ठाकुर और मोहमद अली को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई. गुरुवार को रांची सिविल कोर्ट में सीबीआई के न्यायाशीध पीके शर्मा की विशेष अदालत में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी पाया और पांच-पांच साल की सजा सुनाई है.

यह भी पढ़ेंः बीएसएनएल के तत्कालीन टीडीएम और कंप्यूटर सप्लायर को सीबीआई कोर्ट से सजा, भ्रष्टाचार से जुड़ा है मामला

बोकारो रेलवे स्टेशन के रिजर्वेशन कार्यायल में कार्यरत तत्कालीन सुपरवाइजर ओम प्रकाश मंडल कंफर्म टिकट का क्लोन बनाकर उस टिकट को कैंसिल करवाता और रेलवे से रिफंड लेता था. इसके साथ ही यात्रियों को हाई वैल्यू की फर्जी टिकट बना कर बेच देते थे. इस फर्जीवाड़े से रेलवे को करीब तीन लाख रुपये की आर्थिक क्षति हुई थी. इस फर्जीवाड़े का खुलासा होते ही साल 2015 में ओम प्रकाश मंडल सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.

जब यह फर्जीवाड़ा का मामला कोर्ट पहुंचा तो साल 2017 में सभी आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में आरोप गठन किया गया. इसके साथ ही कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई. इसमें 17 गवाहों का बयान दर्ज किया गया. गवाहों के बयान के आधार पर सभी आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई है.

रांची: रेलवे टिकट की कालाबाजारी करने के आरोप में ओम प्रकाश मंडल, विद्यापति ठाकुर, उमापति ठाकुर और मोहमद अली को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई. गुरुवार को रांची सिविल कोर्ट में सीबीआई के न्यायाशीध पीके शर्मा की विशेष अदालत में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी पाया और पांच-पांच साल की सजा सुनाई है.

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बोकारो रेलवे स्टेशन के रिजर्वेशन कार्यायल में कार्यरत तत्कालीन सुपरवाइजर ओम प्रकाश मंडल कंफर्म टिकट का क्लोन बनाकर उस टिकट को कैंसिल करवाता और रेलवे से रिफंड लेता था. इसके साथ ही यात्रियों को हाई वैल्यू की फर्जी टिकट बना कर बेच देते थे. इस फर्जीवाड़े से रेलवे को करीब तीन लाख रुपये की आर्थिक क्षति हुई थी. इस फर्जीवाड़े का खुलासा होते ही साल 2015 में ओम प्रकाश मंडल सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.

जब यह फर्जीवाड़ा का मामला कोर्ट पहुंचा तो साल 2017 में सभी आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में आरोप गठन किया गया. इसके साथ ही कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई. इसमें 17 गवाहों का बयान दर्ज किया गया. गवाहों के बयान के आधार पर सभी आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई है.

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