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छात्र, मजदूर और पर्यटकों को लाने की बन रही है रणनीति, बस एसोसिएशन की क्या होगी भूमिका? - लॉकडाउन में बस एसोसिएशन की भूमिका

गृह मंत्रालय के ताजा गाइडलाइन के मुताबिक कुछ शर्तों का पालन करते हुए राज्य सरकारें दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों, मजदूरों और पर्यटकों को वापस लाने की रणनीति बना रही है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह से खास बातचीत की.

Strategy is being prepared to bring trapped people
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Published : May 1, 2020, 2:30 PM IST

रांची: लॉकडाउन पार्ट 2 की मियाद तीन मई तक है. इस बीच गृह मंत्रालय के ताजा गाइडलाइन से राज्य सरकारों के दम फूलने लगे हैं. गाइडलाइन के मुताबिक कुछ शर्तों का पालन करते हुए तमाम राज्य सरकारें दूसरे राज्यों में फंसे अपने छात्रों, मजदूरों और पर्यटकों को वापस ला सकती हैं. हालांकि मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि इस काम के लिए रेलवे से सहयोग अपेक्षित है. दूसरी तरफ झारखंड में फंसे लोगों को उनके राज्य तक पहुंचाने के लिए भी कोआर्डिनेशन स्थापित करना है जिसके लिए नोडल पदाधिकारी चिन्हित कर दिए गए हैं. इस सिलसिले में झारखंड बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह से खास बातचीत की.

देखें पूरी खबर

3,500 हैं अंतर्राज्यीय स्तर की बसें

पूरे झारखंड में करीब 3,500 बसें हैं जो दूसरे राज्य तक जा सकती हैं लेकिन सभी बसों को भेजने से पहले कुछ विशेष व्यवस्था करनी होगी. एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह ने कहा कि फिलहाल 3,500 बसों में से करीब 1,750 बसों के चालक और खलासी दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं. पहले तो उनको लाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी. उसके बाद सरकार को बस ओनर के साथ रेट तय करना पड़ेगा. यह भी देखना होगा कि कितने बसों के चालक इसके लिए तैयार होंगे.

देखें प्रधान सचिव एपी सिंह ने क्या कहा

बसों में सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करने की रूपरेखा भी बनानी होगी यानी कि एक बस में करीब 20 से 25 लोगों को लाया जा सकता है. इस हिसाब से अगर सभी 3,500 बसों का इस्तेमाल होगा तो एक ट्रिप में करीब 87,000 लोगों को लाया जा सकेगा.

ये भी देखें- सीएम हेमंत सोरेन ने बाहर फंसे मजदूरों को ट्विटर पर दिया मैसेज, कहा- सरकार उन्हें सकुशल लाएगी वापस

छात्रों को मिलनी चाहिए प्राथमिकता

बस ओनर एसोसिएशन का सुझाव है कि सरकार को सबसे पहले दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों को लाना चाहिए क्योंकि छात्र ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं. दूसरी तरफ सरकार को यह भी तय करना पड़ेगा कि झारखंड के कितने छात्र किन-किन राज्य के शहरों में फंसे हुए हैं, उस आधार पर एक प्राथमिकता सूची तैयार करनी होगी.

महाराष्ट्र के लिए नियुक्त नोडल पदाधिकारी ने क्या कहा

महाराष्ट्र राज्य के साथ तालमेल बिठाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह को दी है. उच्च स्तरीय मीटिंग के बाद एपी सिंह ने कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को लाने की रणनीति पर काम हो रहा है लेकिन ट्रेन का इस्तेमाल होगा या नहीं इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ही दे सकते हैं.

रांची: लॉकडाउन पार्ट 2 की मियाद तीन मई तक है. इस बीच गृह मंत्रालय के ताजा गाइडलाइन से राज्य सरकारों के दम फूलने लगे हैं. गाइडलाइन के मुताबिक कुछ शर्तों का पालन करते हुए तमाम राज्य सरकारें दूसरे राज्यों में फंसे अपने छात्रों, मजदूरों और पर्यटकों को वापस ला सकती हैं. हालांकि मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि इस काम के लिए रेलवे से सहयोग अपेक्षित है. दूसरी तरफ झारखंड में फंसे लोगों को उनके राज्य तक पहुंचाने के लिए भी कोआर्डिनेशन स्थापित करना है जिसके लिए नोडल पदाधिकारी चिन्हित कर दिए गए हैं. इस सिलसिले में झारखंड बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह से खास बातचीत की.

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3,500 हैं अंतर्राज्यीय स्तर की बसें

पूरे झारखंड में करीब 3,500 बसें हैं जो दूसरे राज्य तक जा सकती हैं लेकिन सभी बसों को भेजने से पहले कुछ विशेष व्यवस्था करनी होगी. एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह ने कहा कि फिलहाल 3,500 बसों में से करीब 1,750 बसों के चालक और खलासी दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं. पहले तो उनको लाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी. उसके बाद सरकार को बस ओनर के साथ रेट तय करना पड़ेगा. यह भी देखना होगा कि कितने बसों के चालक इसके लिए तैयार होंगे.

देखें प्रधान सचिव एपी सिंह ने क्या कहा

बसों में सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करने की रूपरेखा भी बनानी होगी यानी कि एक बस में करीब 20 से 25 लोगों को लाया जा सकता है. इस हिसाब से अगर सभी 3,500 बसों का इस्तेमाल होगा तो एक ट्रिप में करीब 87,000 लोगों को लाया जा सकेगा.

ये भी देखें- सीएम हेमंत सोरेन ने बाहर फंसे मजदूरों को ट्विटर पर दिया मैसेज, कहा- सरकार उन्हें सकुशल लाएगी वापस

छात्रों को मिलनी चाहिए प्राथमिकता

बस ओनर एसोसिएशन का सुझाव है कि सरकार को सबसे पहले दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों को लाना चाहिए क्योंकि छात्र ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं. दूसरी तरफ सरकार को यह भी तय करना पड़ेगा कि झारखंड के कितने छात्र किन-किन राज्य के शहरों में फंसे हुए हैं, उस आधार पर एक प्राथमिकता सूची तैयार करनी होगी.

महाराष्ट्र के लिए नियुक्त नोडल पदाधिकारी ने क्या कहा

महाराष्ट्र राज्य के साथ तालमेल बिठाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह को दी है. उच्च स्तरीय मीटिंग के बाद एपी सिंह ने कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को लाने की रणनीति पर काम हो रहा है लेकिन ट्रेन का इस्तेमाल होगा या नहीं इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ही दे सकते हैं.

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