रांची: 25 लाख का इनामी नक्सली कमांडर प्रद्युमन शर्मा (Naxalite Commander Pradyuman Sharma) अब कानून के शिकंजे में है. बिहार के जहानाबाद के रुस्तमपुर गांव का रहने वाला प्रद्युमन शर्मा भाकपा माओवादी का बिहार- झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी का सदस्य था. कभी देश सेवा के लिए बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) में भर्ती होने वाला प्रद्युमन शर्मा की कहानी पूरी तरह फिल्म है. दबंगों से अपनी जमीन बचाने के प्रयास में प्रद्युमन शर्मा ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी और फिर वहीं से उसके दुर्दांत नक्सली बनने की कहानी शुरू हो गई. प्रद्युमन शर्मा को हजारीबाग से गिरफ्तार किया गया है.
इसे भी पढे़ं: BSF की नौकरी छोड़ प्रद्युमन बना नक्सली, सरकार ने रखा था 25 लाख का इनाम, अब पहुंचा सलाखों के पीछे
1994 में बीएसएफ में बहाल हुआ था प्रद्युमन
नक्सलवाद के लिए विख्यात बिहार के जहानाबाद के रूस्तमपुर गांव का रहने वाला प्रद्युमन शर्मा 1994 में बीएसएफ में बतौर सब इंस्पेक्टर बहाल हुआ था. बहाली के बाद वह हजारीबाग जिले के बीएसएफ स्थित मेरू कैंप में ट्रेनिंग ले रहा था. ट्रेनिंग के दौरान ही गांव में प्रद्युमन शर्मा के परिवार का विवाद जमीन को लेकर हो गया. विवाद की जानकारी मिलने पर प्रद्युमन शर्मा अपने गांव पहुंचा, जहां उसने जमीन विवाद में एक व्यक्ति की हत्या कर दी. हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद प्रद्युमन फरार हो गया, जिसके बाद वह ना तो अपने नौकरी पर लौट पाया और न ही दिन के उजाले में अपने घर.
संगठन में लिया पनाह
पुलिस के पूछताछ में प्रद्युमन शर्मा ने बताया है कि हत्या कर फरार होने के बाद कई दिनों तक वह इधर-उधर भागता रहा. इसके बाद वह उस दौरान यूनिटी नाम के स्थानीय उग्रवादी संगठन में शामिल हो गया. साल 1996 में यूनिटी पार्टी का विलय पीडब्लूजी में हो गया था. 2004 में पीडब्लूजी के विलय के बाद वह भाकपा माओवादियों का मगध क्षेत्र में सबसे अहम सदस्य था.
इसे भी पढे़ं: पेट में बम प्लांट करने वाला नक्सली गिरफ्तार, जानिए कहां
प्रद्युमन का आईईडी ब्लास्ट में उड़ा था एक हाथ
प्रद्युमन शर्मा ने पूछताछ में बताया कि साल 1997 में आईईडी बनाने के दौरान उसका एक हाथ उड़ गया था. वहीं जंगल के इलाके में सड़क हादसे में वह अपनी एक आंख भी गंवा चुका है, लेकिन अपनी शारीरिक अक्षमता के बावजूद वह हथियार चलाने में पूरी तरह सक्षम था.
देश भ्रमण करने का था प्रद्युमन की थी योजना
प्रद्युमन शर्मा भाकपा माओवादियों का एक अहम चेहरा था. उसे कड़ी सुरक्षा के बीच रखा जाता था. उसके साथ हमेशा दो बॉडीगार्ड भी होते थे. प्रद्युमन शर्मा ने पूछताछ में पुलिस को यह भी बताया है कि साल 2020 में कोडरमा में पुलिस मुठभेड़ में वह बच निकला था, जिसके बाद वह भारत भ्रमण कर रहा था. जेल से छूटने के बाद भी भारत भ्रमण पूरा करने की इच्छा प्रद्युमन ने पूछताछ में जताई है.
इसे भी पढे़ं: नक्सलियों ने मंदिर पर भी लिख डाला फरमान, ग्रामीणों को मानसिक और सामाजिक तौर पर कर रहा है प्रभावित
आईपीएस अधिकारी के साथ की थी प्रद्युमन ने पढ़ाई
प्रद्युमन शर्मा ने पूछताछ में बताया है कि वह फिलॉसफी में बीए है. गांव में ही उसने स्कूलिंग की थी. उसके साथ पश्चिम बंगाल कैडर के एक आईपीएस अधिकारी ने पढ़ाई की थी. पूछताछ में प्रद्युमन शर्मा ने तंज कसते हुए कहा था कि उसने अपनी जमीन छुड़ा ली थी, लेकिन उसके साथ ही पढ़े शख्स आईपीएस होकर भी अपनी जमीन नहीं छुड़ा पाए. प्रद्युमन शर्मा का फूफेरा भाई भी सीआरपीएफ में असीस्टेंट कमांडेंट है.
कई बड़े नेताओं से रहा संपर्क
प्रद्युमन शर्मा ने पूछताछ में कबूला है कि वह भाकपा माओवादियों के पूर्व सुप्रीमो गणपति, किशन दा, अरविंद जी, सुधाकरण जैसे बड़े नेताओं से मिल चुका था. भाकपा माओवादी संगठन में नए युवाओं को जोड़ने में प्रद्युमन काफी सक्रिय था. अच्छी भाषा और पढ़ाई-लिखाई में तेजतर्रार होने के कारण वह संगठन में युवाओं को जोड़ने में सफल भी रहा था.
इसे भी पढे़ं: माओवादियों के नापाक मंसूबे को पुलिस ने किया नाकाम, 5 केन बम बरामद, विस्फोट कर किया डिफ्यूज, देखें वीडियो
लेवी-रंगदारी से बनाई थी लाखों की संपत्ति
प्रवर्तन निदेशालय ने वर्ष 2018 में प्रद्युमन शर्मा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उसके और उसके भाई प्रमोद शर्मा की 68 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की थी. तब ईडी ने बताया था कि नक्सली कमांडर प्रद्युमन शर्मा और उसके भाई प्रमोद शर्मा के खिलाफ 67 प्राथमिकी दर्ज है, जिनमें कइयों में आरोप पत्र भी दाखिल हो चुका है. इसके बाद ही ईडी ने उसके विरुद्ध मनी लॉड्रिंग एक्ट में केस दर्ज किया था. ईडी को यह भी जानकारी मिली थी कि दोनों ने परिवार के सदस्यों के नाम पर कई बैंक खातों में पैसे जमा किए हैं. दोनों ने 40 लाख रुपये और 67 लाख रुपये की जमीन और मकान बनाई है. प्रद्युमन शर्मा अपने बेटे और बेटी की पढ़ाई में राजस्थान के कोटा और पटना में कोचिंग पर 20 लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुका था. एक बेटी की मेडिकल कॉलेज में नामांकन के लिए भी उसने 25 लाख रुपये खर्च किए थे.