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आदिवासियों का राज्यस्तरीय सरना धर्म कोड सम्मेलनः कहा- अब दिल्ली में उठेगी मांग

रांची में आदिवासियों का राज्यस्तरीय सरना धर्म कोड सम्मेलन हुआ. जिसमें सरना धर्म कोड को लेकर अब दिल्ली में आवाज उठाने का फैसला लिया गया है.

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सरना सम्मेलन
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Published : Nov 11, 2021, 5:44 PM IST

रांचीः सरना धर्म कोड की मांग अब दिल्ली में आवाज उठेगी. आगामी 6 दिसंबर को देशभर के आदिवासियों का जुटान दिल्ली में होगा. 7 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर महाधरना का आयोजन होगा, जिसकी घोषणा रांची में आयोजित सरना धर्म सम्मेलन कर की गई.

इसे भी पढ़ें- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आदिवासी समाज है खफा, दिल्ली के जंतर मंतर पर करेगा प्रदर्शन

11 नवंबर 2020 को आज के ही दिन हेमंत सोरेन की सरकार ने सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर झारखंड के आदिवासियों को बड़ी सौगात दी थी. जिसके एक साल पूरा होने को लेकर आदिवासी सरना समाज ने राज्यस्तरीय सरना धर्म कोड सम्मेलन हरमू देशवाली में किया. राज्य सरकार की ओर से सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास होने के बाद यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पाले में है. लिहाजा आदिवासी समाज केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनायी है ताकि आगामी जनगणना प्रपत्र में सरना धर्म कोड कॉलम अंकित किया जा सके.

देखें पूरी खबर
आदिवासी सरना समाज के लोग दशकों से अपनी धार्मिक पहचान की मांग को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं. संघर्ष के बल पर ही राज्य सरकार से धार्मिक पहचान का प्रस्ताव पास करा लिया है, जो अब अस्तित्व में नहीं आया है. लिहाजा सरना समाज संघर्ष की राह छोड़ने को तैयार नहीं है.

आजाद भारत में सभी धर्मावलंबी को अपना धार्मिक पहचान मिला हुआ है. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आदिकाल से सृष्टि में रहने वाले इस समाज को आज तक धार्मिक पहचान नहीं मिली है. इसकी वजह से इनकी धार्मिक पहचान पर दिनोंदिन खतरा मंडराने लगा है. बड़े पैमाने पर इस समाज का धर्मांतरण हो रहा है, धार्मिक पहचान नहीं मिलने से इन्हें दूसरे समाज से जोड़कर देखा जाता है. वहीं लगातार इनके पारंपारिक धार्मिक स्थल पर भी अतिक्रमण हो रहा है. यही वजह है कि ये समाज अपनी धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास कर रही है.

रांचीः सरना धर्म कोड की मांग अब दिल्ली में आवाज उठेगी. आगामी 6 दिसंबर को देशभर के आदिवासियों का जुटान दिल्ली में होगा. 7 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर महाधरना का आयोजन होगा, जिसकी घोषणा रांची में आयोजित सरना धर्म सम्मेलन कर की गई.

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11 नवंबर 2020 को आज के ही दिन हेमंत सोरेन की सरकार ने सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर झारखंड के आदिवासियों को बड़ी सौगात दी थी. जिसके एक साल पूरा होने को लेकर आदिवासी सरना समाज ने राज्यस्तरीय सरना धर्म कोड सम्मेलन हरमू देशवाली में किया. राज्य सरकार की ओर से सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास होने के बाद यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पाले में है. लिहाजा आदिवासी समाज केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनायी है ताकि आगामी जनगणना प्रपत्र में सरना धर्म कोड कॉलम अंकित किया जा सके.

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आदिवासी सरना समाज के लोग दशकों से अपनी धार्मिक पहचान की मांग को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं. संघर्ष के बल पर ही राज्य सरकार से धार्मिक पहचान का प्रस्ताव पास करा लिया है, जो अब अस्तित्व में नहीं आया है. लिहाजा सरना समाज संघर्ष की राह छोड़ने को तैयार नहीं है.

आजाद भारत में सभी धर्मावलंबी को अपना धार्मिक पहचान मिला हुआ है. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आदिकाल से सृष्टि में रहने वाले इस समाज को आज तक धार्मिक पहचान नहीं मिली है. इसकी वजह से इनकी धार्मिक पहचान पर दिनोंदिन खतरा मंडराने लगा है. बड़े पैमाने पर इस समाज का धर्मांतरण हो रहा है, धार्मिक पहचान नहीं मिलने से इन्हें दूसरे समाज से जोड़कर देखा जाता है. वहीं लगातार इनके पारंपारिक धार्मिक स्थल पर भी अतिक्रमण हो रहा है. यही वजह है कि ये समाज अपनी धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास कर रही है.

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