रांचीः सरना धर्म कोड की मांग अब दिल्ली में आवाज उठेगी. आगामी 6 दिसंबर को देशभर के आदिवासियों का जुटान दिल्ली में होगा. 7 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर महाधरना का आयोजन होगा, जिसकी घोषणा रांची में आयोजित सरना धर्म सम्मेलन कर की गई.
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11 नवंबर 2020 को आज के ही दिन हेमंत सोरेन की सरकार ने सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर झारखंड के आदिवासियों को बड़ी सौगात दी थी. जिसके एक साल पूरा होने को लेकर आदिवासी सरना समाज ने राज्यस्तरीय सरना धर्म कोड सम्मेलन हरमू देशवाली में किया. राज्य सरकार की ओर से सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास होने के बाद यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पाले में है. लिहाजा आदिवासी समाज केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनायी है ताकि आगामी जनगणना प्रपत्र में सरना धर्म कोड कॉलम अंकित किया जा सके.
आजाद भारत में सभी धर्मावलंबी को अपना धार्मिक पहचान मिला हुआ है. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आदिकाल से सृष्टि में रहने वाले इस समाज को आज तक धार्मिक पहचान नहीं मिली है. इसकी वजह से इनकी धार्मिक पहचान पर दिनोंदिन खतरा मंडराने लगा है. बड़े पैमाने पर इस समाज का धर्मांतरण हो रहा है, धार्मिक पहचान नहीं मिलने से इन्हें दूसरे समाज से जोड़कर देखा जाता है. वहीं लगातार इनके पारंपारिक धार्मिक स्थल पर भी अतिक्रमण हो रहा है. यही वजह है कि ये समाज अपनी धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास कर रही है.