रांची: 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचाने में जेवीएम की भूमिका से सभी वाकिफ हैं. 8 में से 6 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व पर सवाल उठा था. हालांकि, बाबूलाल मरांडी ने संविधान की 10वीं अनुसूची का हवाला देकर 6 विधायकों के पाला बदलने के खिलाफ लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
चुनाव में जेवीएम कार्यालय गुलजार
चुनावी माहौल में बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम में एक बार फिर सक्रियता बढ़ गई है. पार्टी कार्यालय गुलजार हो गया है. बाबूलाल मरांडी खुद बैठकों का नेतृत्व कर रहे हैं, लगातार जनादेश समागम चला रहे हैं. इस बार के चुनाव में जेवीएम की भूमिका को लेकर ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने वर्तमान राज्य की हालात समेत अन्य मुद्दों पर बाबूलाल मरांडी से बात की.
परिस्थिति के हिसाब से करेंगे काम
झारखंड में गठबंधन की रूप-रेखा पर बाबूलाल ने कहा कि उनकी पार्टी हर परिस्थिति के लिए तैयार है. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वह अपनी कार्यकर्ताओं से फिडबैक लेंगे. अपनी रणनीति तय करेंगे. उन्होंने कहा कि वो कभी गठबंधन के खिलाफ नहीं रहे हैं. जब वो पहली बार अपनी पार्टी बनाकर मैदान में उतरे थे उस वक्त भी गठबंधन में ही चुनाव लड़े थे. उन्होंने कहा जैसी परिस्थिति होगी उस हिसाब से काम करेंगे.
नहीं दोहराएंगे 2014 की गलती
यह पूछे जाने पर कि अगर आपकी पार्टी कुछ सीटें जीत भी जाती है तब क्या आप अपने विधायकों को रोक सकेंगे. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 2014 में जो गलती हुई थी वह नहीं दोहराई जाएगी. उनके कहने का मतलब था कि इस बार वैसे लोगों को हि पार्टी टिकट देगी, जो पार्टी के आदर्शों के साथ हर परिस्थिति में खड़े रहे.
हरियाणा में जनता ने दिखाया आईना
बीजेपी के 65 पार के नारे पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि हरियाणा में भी भाजपा ने 75 पार का नारा दिया था, लेकिन जनता ने आईना दिखा दिया. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि लोकतंत्र में फैसला जनता को लेना है. जनता जो चाहेगी वो होगा तो फिर पार्टियों का कोई हक नहीं कि हम इतने सीट लाएंगे. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी अपने समर्थक, वोटरों और विपक्षियों पर दबाव बनाना चाहती है. इसलिय 65 पार का नारा दे रही है. इस बार बीजेपी झारखंड से पार हो जाएगी.
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बदल चुकी है बीजेपी
झारखंड के शुरुआती दौर में बीजेपी के मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी बताते हैं कि उस समय और इस समय के बीजेपी में उतना ही अंतर है जितना उनके पुराने कार्यालय और नए कार्यालय में है. वहीं, बीजेपी में जेएमएम और कांग्रेस के विधायकों के शामिल होने के सवाल पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि शामिल होने वाले और शामिल कराने वालों में नैतिकता होनी चाहिए. इतना ही अगर शामिल कराने का मन था तो पहले इस्तीफा दिलाते फिर शामिल कराते.