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Republic Day Celebration: दुनिया ने देखी झारखंड की समृद्ध विरासत, राजपथ पर सोहराय कला का वैभव

गणतंत्र दिवस के अवसर पर पूरी दुनिया ने भारत की समृद्धि को देखा. इस मौके पर राजपथ पर भव्य परेड के साथ-साथ विभिन्न राज्यों की झांकी निकाली गई. इसके साथ ही राजपथ पर झारखंड की समृद्ध विरासत की चमक दिखी. राजपथ पर झारखंड की प्रसिद्ध सोहराय कला का प्रदर्शन किया गया.

Republic Day Celebration
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Published : Jan 26, 2022, 12:34 PM IST

रांचीः झारखंड की कलाकृति लोक कला सोहराय गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर दिखी. कहा जाए तो यह हजारीबाग समेत पूरे झारखंड के लिए बेहद गौरव का पल है. पहली बार गणतंत्र दिवस के अवसर हजारीबाग की लोक कला को प्रदर्शित किया गया. सोहराय लोक कला के बारे में कहा जाता है कि इसका इतिहास 5000 वर्ष पुराना है.


हजारीबाग की 5000 वर्ष पुरानी लोक कला सोहराय से जुड़ी कलाकृति इस बार राजपथ के दोनों दीवारों पर नजर आई. पहली बार सोहराय के साथ-साथ वैसे स्वतंत्रा सेनानी जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया लेकिन उनका नाम इतिहास के पन्नों में दफन हो गया, उनके भी चित्र इस पेंटिंग में देखने को मिली. हजारीबाग से लगभग 11 कलाकार ने इस पेंटिंग को तैयार किया था. हजारीबाग के कलाकार ने यह कैनवस तैयार किया है, इसको लेकर वो भी काफी उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि ये कलाकारों के लिए गर्व की बात तो है ही साथ ही साथ हजारीबाग के लिए भी यह पल बेहद सुंदर पल है.

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश अमृत महोत्सव मना रहा है. इसी के तहत राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (National Museum of Modern Art) के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्र बनवाए गए हैं. जिसे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजपथ पर प्रदर्शित किया गया. इसका अवलोकन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं किया. इसके साथ-साथ एक ओपन गैलरी की तरह सभी नागरिकों के सामने भी इसे रखा गया. जिसका उद्देश्य भारत के वीर सपूतों के बारे में देश दुनिया को बताना है.

12 दिसंबर से 17 दिसंबर के बीच भुवनेश्वर में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. जिसमें 250 कलाकार एक साथ काम कर रहे थे. इस कला कुंभ वर्कशॉप के तहत NGMA ने KIIT और KISS के साथ मिलकर आजादी का अमृत महोत्सव और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के वीर जीवन और संघर्ष को दिखाने के लिए छह दिवसीय मेगा महाकुंभ वर्कशॉप आयोजित किया था. भारत में इस तरह का पहला कार्यक्रम था. इस वर्कशॉप के जरिए 750 मीटर की स्क्रोल पर प्रदर्शित करना था, जो 26 जनवरी 2022 गणतंत्र दिवस समारोह का एक अभिन्न अंग बना. कला के इस महाकुंभ मे ओड़िशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, और आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्रों को चित्रित किया गया. इसके साथ ही कलाकारों ने सोहराय, पटचित्र, तलपात्र चित्र, मंजुसा और मधुबनी कला का चित्रण किया. वहीं अन्य स्क्रॉल में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को दर्शाया गया है.

रांचीः झारखंड की कलाकृति लोक कला सोहराय गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर दिखी. कहा जाए तो यह हजारीबाग समेत पूरे झारखंड के लिए बेहद गौरव का पल है. पहली बार गणतंत्र दिवस के अवसर हजारीबाग की लोक कला को प्रदर्शित किया गया. सोहराय लोक कला के बारे में कहा जाता है कि इसका इतिहास 5000 वर्ष पुराना है.


हजारीबाग की 5000 वर्ष पुरानी लोक कला सोहराय से जुड़ी कलाकृति इस बार राजपथ के दोनों दीवारों पर नजर आई. पहली बार सोहराय के साथ-साथ वैसे स्वतंत्रा सेनानी जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया लेकिन उनका नाम इतिहास के पन्नों में दफन हो गया, उनके भी चित्र इस पेंटिंग में देखने को मिली. हजारीबाग से लगभग 11 कलाकार ने इस पेंटिंग को तैयार किया था. हजारीबाग के कलाकार ने यह कैनवस तैयार किया है, इसको लेकर वो भी काफी उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि ये कलाकारों के लिए गर्व की बात तो है ही साथ ही साथ हजारीबाग के लिए भी यह पल बेहद सुंदर पल है.

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश अमृत महोत्सव मना रहा है. इसी के तहत राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (National Museum of Modern Art) के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्र बनवाए गए हैं. जिसे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजपथ पर प्रदर्शित किया गया. इसका अवलोकन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं किया. इसके साथ-साथ एक ओपन गैलरी की तरह सभी नागरिकों के सामने भी इसे रखा गया. जिसका उद्देश्य भारत के वीर सपूतों के बारे में देश दुनिया को बताना है.

12 दिसंबर से 17 दिसंबर के बीच भुवनेश्वर में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. जिसमें 250 कलाकार एक साथ काम कर रहे थे. इस कला कुंभ वर्कशॉप के तहत NGMA ने KIIT और KISS के साथ मिलकर आजादी का अमृत महोत्सव और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के वीर जीवन और संघर्ष को दिखाने के लिए छह दिवसीय मेगा महाकुंभ वर्कशॉप आयोजित किया था. भारत में इस तरह का पहला कार्यक्रम था. इस वर्कशॉप के जरिए 750 मीटर की स्क्रोल पर प्रदर्शित करना था, जो 26 जनवरी 2022 गणतंत्र दिवस समारोह का एक अभिन्न अंग बना. कला के इस महाकुंभ मे ओड़िशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, और आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्रों को चित्रित किया गया. इसके साथ ही कलाकारों ने सोहराय, पटचित्र, तलपात्र चित्र, मंजुसा और मधुबनी कला का चित्रण किया. वहीं अन्य स्क्रॉल में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को दर्शाया गया है.

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