रांचीः प्लास्टिक हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है. सामान्य बोलचाल की भाषा में प्लास्टिक का जिक्र होते ही कई तरह की भ्रांतियां आ जाती हैं. एक तरफ सिंगल यूज प्लास्टिक पर झारखंड सहित पूरे देशभर में बैन है. दूसरी तरफ प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है.
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बहुत कम लागत में प्लास्टिक उद्योग स्थापित होने के कारण इस सेक्टर में बड़ी संख्या में रोजगार सृजन भी हो रहा है. मगर लोगों को पता नहीं है कि रंग-बिरंगे प्लास्टिक से बने कई उत्पाद ना केवल हमारे शरीर बल्कि पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक है.
बैन है सिंगल यूज प्लास्टिक
झारखंड सहित पूरे देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध है. झारखंड में तत्कालीन रघुवर दास की सरकार ने 2017 में पॉलिथीन से उत्पन्न हो रही समस्या को देखते हुए राज्य में इसके इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकार के इस फैसले के बाद 18×12 से कम आकार के तथा 50 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक थैला के निर्माण, आयात, भंडारण, परिवहन, विक्रय एवं उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दी गई थी. इसके उल्लंघन पर जुर्माना से लेकर जेल जाने तक का प्रावधान है.
शुरुआत में इसका कड़ाई से पालन कराने की कोशिश भी की गई मगर वक्त के साथ-साथ राज्य में सरकार के बदलते ही नगर निगम भी अब ढीला पड़ गया. शायद यही वजह है कि राजधानी सहित पूरे राज्य में धड़ल्ले से प्रतिबंधित प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है. भारत सरकार के प्लास्टिक वेस्ट हैंडलिंग रुल्स 2021 के अनुसार 100 माइक्रोन तक के प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाई गई है.
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मुश्किल है सिंगल यूज प्लास्टिक को रिसाइकिल करना
भारत सरकार के केंद्रीय पेट्रोकैमिकल्स इंजीनियरिंग एंड तकनीकी संस्थान (Central Petrochemicals Engineering and Technical Institute) यानी सीपेट (CIPET) रांची के संयुक्त निदेशक प्रवीण बी. बछाव के अनुसार सिंगल यूज प्लास्टिक का रिसाइकिल करना बेहद ही कठिन है और यह हानिकारक भी है. इसलिए इसे प्रतिबंधित कर सरकार इसे पूरी तरह बंद करना चाहती है. रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा का मानना है कि डंडा चलाने से नहीं बल्कि जब तक लोगों को इसके दुष्परिणाम की समझ नहीं होगी तब तक सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करना बेहद मुश्किल है.
जानिए कौन-कौन से हैं सिंगल यूज प्लास्टिक
जिस प्लास्टिक का मोटाई 50 माइक्रोन तक हो. जिसमें प्लास्टिक कैरी बैग, प्लास्टिक वाटर बोतल, पाउच, प्लास्टिक का चम्मच, ग्लास, प्लास्टिक कांटा चम्मच, प्लास्टिक का स्ट्रॉ, फास्ट फूड कंटेनर, सलाद बॉक्स, सैंडविच रैप्स, प्लास्टिक का शराब की बोतल, जूस पैक बोतल, प्लास्टिक का दवा की बोतल, जैसी वस्तु इसमें शामिल है. रोजमर्रा की इस्तेमाल की ये तमाम चीजें सिंगल यूज प्लास्टिक है, जो हमारे शरीर और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है.
एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल 56 लाख टन प्लास्टिक का कचरा जमा होता है, जो हम और आप सामान्य रुप से हर दिन फैलाते हैं. जिसमें से 60 फीसदी प्लास्टिक कचरे का रिसाइक्लिंग संभव है जिससे नये-नये प्लास्टिक प्रोडक्ट्स बनाये जा सकते हैं. ऐसे में हर किसी का दायित्व है कि सिंगल यूज प्लास्टिक को पहचानें और इसे बाय-बाय कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएं.