पटनाः बिहार में पैदा हुई नई राजनीतिक परिस्थितियों (Politics Of Bihar) के बीच आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी (Senior RJD Leader Shivanand Tiwari) ने न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) को दिए अपने बयान में कहा कि मैं नहीं जानता कि सरकार रहेगी या जाएगी. ये अभी मैं कैसे कह सकता हूं, हालांकि उन्होंने यह कहा कि अगर ऐसा होता है, तो हमारी जिम्मेदारी है कि नीतीश कुमार को समर्थन दें. हमारे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
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हमारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं: न्यूज एजेंसी के पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों (NDA) की है, इसलिए वही बता पाएंगे कि सरकार चलेगी या नहीं. सारी चीजें उन लोगों को तय करना है. वरिष्ठ आरजेडी नेता ने कहा कि अगर नीतीश कुमार सरकार से हटना चाहेंगे तो इसमें आरजेडी के सामने क्या रास्ता है. जाहिर है कि बीजेपी उनसे विश्वासमत हासिल करने को कहेगी. उस परिस्थिति में आरजेडी क्या करेगी. ऐसी स्थिति में हमारा दायित्व बनता है कि अगर नीतीश कुमार एनडीए से निकलते हैं तो हम उनकी सरकार का समर्थन करें. हमारे पास इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता ही नहीं है.
"मैं कोई ज्योतिष नहीं हूं कि बता पाऊं कि बिहार में सरकार रहेगी या नहीं रहेगी. इसके बारे में कुछ भी नहीं बताया जा सकता है. अगर नीतीश बीजेपी से अलग होते हैं तो उन्हें हमें साथ देना ही है. हम बीजेपी की नीतियों के खिलाफ है, अगर नीतीश उनसे अगल होते हैं, तो हम उनके साथ जरूर जाएंगे"- शिवानंद तिवारी, वरिष्ठ नेता, आरजेडी
बिहार में बढ़ी राजनीतिक हलचलः दरअसल पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के जेडीयू छोड़ते ही बिहार में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश एनडीए गठबंधन को लेकर कोई बड़ा फैसला लेने वाले हैं. उन्होंने सभी विधायक और एमएलए की बैठक बुलाई है. नीतीश कुमार जब भी कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो अपने सभी विधायक, सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाते हैं. राय मशविरा लेने के बाद फैसला लेते हैं. 2017 में भी जब महागठबंधन से नीतीश कुमार को निकलना थे तो इसी तरह से बैठक बुलाई थी. इसी से कयास लगाया जा रहा है कि नीतीश कुमार एनडीए छोड़ने का फैसला ले सकते हैं. हालांकि जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व कह रहा है कि एनडीए में सब ठीक है.
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कयासों का बजार इसलिए है गर्मः आपको बता दें कि हाल के दिनों में जिस तरह बीजेपी और जेडीयू में बयानबाजी और तल्खी बढ़ी है, उससे साफ है कि बिहार में कुछ न कुछ सियासी खिचड़ी पक रही है. इन कयासों को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि नीतीश भी लगातार बीजेपी के शीर्ष नेताओं से 'उचित दूरी' बनाए हुए हैं. चाहे बात 24 घंटे पहले हुई नीति आयोग की बैठक की करें या पिछले महीने की 30-31 जुलाई को हुई बीजेपी की सातों मोर्चे की बैठक हो. जेपी नड्डा और अमित शाह जैसे आला नेता बिहार आए लेकिन नीतीश उन नेताओं से नहीं मिले. हालांकि इसको लेकर सीएम के कोरोना संक्रमित होने का हवाला दिया गया. शाह ने घोषणा भी कर दी कि 2024-25 का चुनाव जेडीयू के गठबंधन में लड़ेंगे, लेकिन जेडीयू है कि झुकने को तैयार ही नहीं है. जेडीयू ने बीजेपी के सातों मोर्चे की बैठक को गंभीरता से लिया और अब वो बिहार में कुछ बड़ा करना चाहती है.