रांची: जिले से सटे कुम्हारिया गांव की महिलाओं ने सामूहिक खेती के जरिए विकास की एक नई दिशा तैयार की है और इस गांव के महिलाओं का समूह खेती किसानी से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. इस गांव की महिलाएं भारत के सपनों को साकार करते नजर आ रही हैं. महिलाओं के बनाए गए समूह का नाम महिला सखी समिति है. खेतों में सब्जियां तोड़ रही महिलाएं सखी महिला समूह की सदस्य हैं. इन महिलाओं ने इस समूह को 2 साल पहले सामूहिक रूप से खेती करने के लिए शुरुआत की थी और आज उनके मेहनत भरपूर फल देने लगा है. खेतों में लगे तरबूज, खीरा, बोदी, फ्रेंच बीन, लौकी खेतों में लहलहते नजर आ रही है और इसे बेच कर यह महिला समूह की महिलाएं अच्छी मुनाफा कमा रही है.
महिलाओं के जीवन में काफी बदलाव
महिलाओं का कहना है कि जब से सामूहिक खेती शुरू की है तब से इन महिलाओं के जीवन में काफी बदलाव देखने को मिला है. इनकी आर्थिक तंगी बिल्कुल दूर हो गई है और अब यह महिलाएं अपने परिवार की गाड़ी को अपने मुताबिक चला रही है. आत्मनिर्भर भारत की एक अनोखा मिसाल पेश कर रही है और आज यह महिलाएं 10 से 15 महिलाओं का ग्रुप बनाकर खेती कर रही हैं.
महिलाओं ने बेहतर खेती कर एक मिसाल कायम कर रही है. इन महिलाओं को खेती करते देख आसपास की महिला समूह भी इन महिलाओं से खेती करने की गुर सीखने आती है और महिलाएं भी चाहती है कि वह भी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सके. गांव के पुरूष भी महिलाओं के इस अनोखे प्रयास की भरपूर प्रशंसा करते हैं. इन महिलाओं ने तो घर के पुरूषों को भी जीने का साधन और मकसद दे दिया है. आज कई पुरूष इन महिलाओं की फसल को बाजार तक पहुंचाने में इन महिलाओं का सहयोग कर रहे हैं.
कृषि विभाग के अधिकारी का भरपूर सहयोग
इन महिलाओं के समूह बनाकर खेती किए जाने से कृषि विभाग के अधिकारी भी लोगों का भरपूर सहयोग कर रहे हैं. जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि महिला समूह ने कृषि के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रही है. महिलाओं के उत्पादन को बाजार में उपलब्ध कराने को लेकर विभाग ने कई कदम उठाए हैं. विभाग इसकी मार्केटिंग की समस्या को दूर करने को लेकर एफपीओ बनाया जा रहा है और अधिक महिलाओं को जोड़कर कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर भी कराया जा रहा है. जेएसएलपीएस वेजफेट से जोड़कर लॉकडाउन के दौरान इनके उत्पादन जैसे तरबूज को बंगाल और ओड़िशा जैसे राज्य में भी भेजने का भी काम भी किया जा रहा है.
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सखी मंडल की इन महिलाओं ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कार्य करने के साथ-साथ किसानों को खेती करने का एक बेहतर नजरिया दिया है. इन महिलाओं का आत्मनिर्भर बनना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर संकेत माना जा रहा है.