रांची: मनरेगा कर्मियों के हड़ताल पर जाने के बाद ग्रामीण विकास विभाग अब सखी मंडल बहनों का भी सहयोग ले रहा है. विभाग की ओर से दावा किया गया है कि सखी मंडल की बहनें योजना और लाभुक के चयन के साथ-साथ योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.
ग्रामीण विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने एक सप्ताह के भीतर सभी पंचायत में कम से कम सौ से डेढ़ सौ मजदूरों के लिए नियोजन मुहैया कराने का निर्देश दिया है. सभी जिलों के उप विकास आयुक्त और प्रखंड विकास पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि कुछ मनरेगा कर्मियों के हड़ताल के बावजूद राज्य सरकार के सार्थक प्रयास से जिलों में योजनाओं का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिसके कारण जिलों में मजदूरों को रोजगार मुहैया हो पा रहा है और वे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि 27 जुलाई को जहां मजदूरों की संख्या दो लाख 68 हजार पहुंच गई थी. वहीं, अब बढ़कर तीन लाख 40 हजार हो गई है. हड़ताल को देखते हुए सभी वैकल्पिक व्यवस्था की जा चुकी है और नई योजनाओं को स्वीकृति देते हुए अधिक से अधिक मजदूरों को नियोजित किया जा रहा है. उन्होंने उप विकास आयुक्तों को निर्देश दिया है कि जिलों के प्रत्येक गांव में मनरेगा से जुड़ी योजनाएं संचालित करें.
ये भी पढे़ं: सुशांत मामला : बिहार सरकार ने की सीबीआई जांच की सिफारिश, नारायण राणे का सनसनीखेज दावा
समीक्षा बैठक के दौरान बताया गया कि वीर शहीद पोटो खेल योजना के तहत 1221 खेल मैदान का निर्माण किया जा रहा है. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 28 हजार एकड़ में बागवानी का कार्य किया जा रहा है. मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि बागवानी कार्य में पौधारोपण का कार्य आरंभ कर दिया गया है, जिससे आने वाले समय में राज्य आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि जल संरक्षण योजना के तहत टीसीबी, मेड़बंदी कंपोस्ट पिट की योजनाएं भी संचालित की जा रही है.