रांचीः इस वर्ष भी एक तय गाइडलाइन के तहत ही दुर्गोत्सव मनाया जाएगा. 5 फीट से ज्यादा की प्रतिमा, भोग बांटने पर इस साल भी सरकारी गाइडलाइंस के तहत रोक लगायी गयी है. इन नियमों का प्रदेश के मूर्तिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. प्रत्येक वर्ष पश्चिम बंगाल से मूर्तिकार रांची आते और यहां मूर्ति का निर्माण करते हैं. लेकिन इस वर्ष की स्थिति कुछ अलग है.
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कोरोना का व्यापक असर
कोरोना महामारी के कारण सभी क्षेत्रों पर व्यापक असर पड़ा है. इस महामारी के कारण लोग आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके हैं. कोरोना को देखते हुए इस वर्ष भी दुर्गा पूजा का आयोजन सीमित तरीके से ही होगा. कोरोना संक्रमण के मामले कम जरूर हुए हैं. लेकिन इसका खतरा अभी-भी है, इसे देखते हुए राज्य में सरकार की ओर से दुर्गा पूजा को लेकर एक विशेष गाइडलाइन भी जारी किया गया है.
सरकारी गाइडलाइंस के तहत पूजा पंडालों का आकार छोटा होगा. इसमें स्थापित की जाने वाली मां दुर्गा की प्रतिमाएं 5 फीट से ज्यादा कि नहीं होगी. सरकार की इस गाइडलाइंस का असर अन्य राज्यों खासकर पश्चिम बंगाल से आने वाले मूर्तिकारों पर ज्यादा पड़ा है. प्रत्येक वर्ष पश्चिम बंगाल से काफी संख्या में मूर्तिकार राजधानी रांची आते हैं. दुर्गा पूजा के 2 महीने पहले से ही उनका डेरा रांची में होता है. रांची में रहकर वह प्रतिमा का निर्माण करते हैं लेकिन इस वर्ष की स्थिति काफी अलग है. सीमित संख्या में मूर्तिकार रांची पहुंचे हैं और 5 फीट की प्रतिमाओं का निर्माण ही हो रहा है.
गाइडलाइंस से परेशान मूर्तिकार
हालांकि जो मूर्तिकार सरकारी गाइडलाइंस के पहले बड़ी मूर्तियों का निर्माण किया है, उनकी परेशानियां बढ़ गई है. क्योंकि अब लोग 5 फीट के ऊपर की प्रतिमा नहीं ले रहे हैं. सरकारी गाइडलाइंस के तहत 5 फीट की मूर्तियों के डिमांड ही रांची में है और जिसे मुहैया कराना भी मूर्तिकारों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है. क्योंकि समय पर आर्डर नहीं मिलने के कारण वह मूर्ति का निर्माण नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से मूर्ति निर्माण से जुड़ा काम कोरोना काल में मंदी की कगार पर है.
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आर्थिक संकट से जूझ रहे कारीगर
पश्चिम बंगाल से पहुंचे मूर्तिकारों से ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष भी कोरोना के दौरान मूर्तिकारों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और इस वर्ष भी स्थिति वैसे ही है. खासकर प्रतिमा की साइज को लेकर जो पाबंदी है इससे उन्हें भारी नुकसान हुआ है. क्योंकि पहले यह गाइडलाइंस जारी नहीं था और इस वजह से कई प्रतिमाएं बनकर पहले से ही तैयार हो चुकी हैं लेकिन अब उन प्रतिमाओं का कोई मोल नहीं है. प्रतिमा निर्माण से जुड़े मूर्तिकार पिछले डेढ़ साल से आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं घर-परिवार चलाने में भी इन्हें समस्याएं आ रही हैं.