रांची: भगवान शिव की आराधना का पावन महीना सावन आज से शुरू हो रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस महीने का विशेष महत्व है. क्योंकि इसे भगवान शिव का महीना कहा जाता है. सावन की शुरुआत दो शुभ योग में हो रही है. सावन के पहले दिन ही विष्कुंभ और प्रीति का संयोग बन रहा है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा से दोगुना फल मिलता है.
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सावन में पूजा से पूरी होती है मनोकामनाएं: ऐसी मान्यताएं हैं कि श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व बताया गया है. सावन में प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की पूजा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है. इस साल श्रावण मास जुलाई से 12 अगस्त तक रहने वाला है. श्रावण मास में आने वाले प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है. सोमवार को भगवान शिव की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है, वहीं मंगलवार को घर की सुख-समृद्धि के लिए मंगला गौरी व्रत किया जाता है. इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा जाती है. पंडित ओमप्रकाश शरण ने बताया कि सावन में देवाधिदेव महादेव हर शिवालयों में वास करते हैं. इससे सावन महीने के हर दिन श्रद्धालुओं का तांता मंदिरों में लगा रहता है. इस दौरान शिवभक्त रुद्राभिषेक से लेकर विशेष पूजा अनुष्ठान कर भोले भंडारी को प्रशन्न करते हैं.
सावन में 4 सोमवारी: इस बार सावन में चार सोमवार पड़ेगा, आइए जानते हैं किन-किन तिथियों को इस बार सोमवार का संयोग है.
- पहला सावन सोमवार - 18 जुलाई
- दूसरा सावन सोमवार - 25 जुलाई
- तीसरा सावन सोमवार - 1 अगस्त
- चौथा सावन सोमवार - 8 अगस्त
वहीं 8 अगस्त को सोमवार के दिन पुत्रदा एकादशी रहेगी, जो श्रद्धालुओं के लिए अतिमहत्वपूर्ण दिन है. 11 अगस्त को व्रत का पूर्णिमा और 12 को स्नान दान का पूर्णिमा है.
सावन महीने में भगवान शिव की ऐसे करें पूजा: इस बार सावन में शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में वक्री अवस्था में रहेंगे. साथ ही गुरु ग्रह भी अपनी स्वराशि मीन में रहेंगे, जो आने वाले समय में इसी राशि में वक्री हो जाएंगे. सावन में इन दोनों ग्रहों का अपनी-अपनी राशि में वक्री होना बहुत खास योग है. इस महीने किसी इच्छा प्राप्ति के लिए भोले बाबा का आर्शीवाद प्राप्त करेंगे तो आप की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाएंगी. इस महीने रुद्राभिषेक अवश्य कराना चाहिए या खुद करना चाहिए. रुद्राभिषेक कराने से आपको जन्म और जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और बाबा का आर्शीवाद प्राप्त होता है.