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CM ने मनाया किसान सम्मान समारोह, मंत्री सरयू राय ने उठाये सवाल - झारखंड समाचार

सूबे के मंत्री सरयू राय ने किसान सम्मान समारोह पर सवाल उठाए. इसके साथ ही किसानों का लंबित भुगतान जल्द से जल्द करने की बात कही.

सरयू राय (फाइल फोटो)
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Published : Jun 24, 2019, 11:14 PM IST

रांची: मंत्री सरयू राय ने किसानों के लिए आयोजित समारोह पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा समारोह का आयोजन किया गया. दूसरी ओर जिन किसानों से उचित मूल्य एवं बोनस के आधार पर धान की खरीद विगत 31 मार्च 2019 के पूर्व हो चुकी है, उनमें से करीब 2,838 किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे गये धान की कीमत और बोनस की राशि का भुगतान लंबित है.

मंत्री सरयू राय ने कहा कि सरकारी खजाना से किसानों को सहायता राशि का भुगतान कर देने में जितनी तत्परता दिख रही है. उतनी ही तत्परता वैसे किसानों को उनकी हकदारी का भुगतान करने में होनी चाहिए. जिन्होंने पसीना बहाकर और निजी निवेश कर धान उपजाया है. उन्होंने कहा कि खरीफ की बुआई का समय आ गया है. किसान धान का बिचड़ा डाल रहे हैं. उन्हें खेती के लिये पूंजी की जरूरत है, मंत्री ने कहा कि मई 2019 में हुई विभाग की मासिक बैठक में संबंधित पदाधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई थी कि वे किसानों को धान खरीद के बकाया का भुगतान 10 जून 2019 तक कर दें. अन्यथा उनके विरूद्ध कारवाई होगी, उस दिन की बैठक में दिये गये जिलावार आंकड़ों के अनुसार 7,185 किसानों का लगभग 83 करोड रूपये का भुगतान उस दिन तक लंबित था.

ये भी पढ़ें- खूबसूरत लड़कियों के एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर ठगी, रांची साइबर टीम का बड़ा खुलासा

वहीं दिनांक जून, 2019 की मासिक बैठक में बताया गया था कि 3,434 किसानों का लगभग 45 करोड़ रूपया का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है. नियमानुसार जो किसान किसी पैक्स में अपना धान बेचेगा, उसका भुगतान 7 दिन में हो जायेगा. प्रक्रिया है कि पैक्स द्वारा किसानों से खरीदा गया धान अविलम्ब पैक्स से उठाकर संबंधित चावल मील में भेज दिया जायेगा. धान जैसे ही मील में प्राप्त कर लिया जायेगा वैसे ही धान की कीमत किसान के खाते में भेज दी जायेगी.

राज्य भर में कुल 34,247 किसानों से इस वर्ष 2,27,858 लाख टन धान की खरीद हुई है. जिसमें से 31,409 किसानों को लगभग 396 करोड़ रूपया का भुगतान हो गया है. पर अभी भी 2,838 किसानों का लगभग 36 करोड़ रूपया का भुगतान लंबित है. कई जिलों में किसानों से खरीदा गया धान अभी भी पैक्स में पड़ा है. इसे मिल में नहीं भेजा गया है.

मंत्री ने कहा कि व्यवस्था बनाई गई थी कि किसानों से खरीदा गया धान मील पर पहुंचाने में कोई कठिनाई हो तो सरकार की ओर से राज्य खाद्य निगम उसे कब्जा में ले लेगा और पैक्स से उठाकर अपने गोदाम में रखेगा. धान गोदाम में पहुंचते ही किसान को धान का भुगतान हो जायेगा. पैक्स से चावल मील में अथवा गोदाम में धान पहुंचाने की प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूरी हो जायेगी और सप्ताह के भीतर किसान को भुगतान हो जायेगा. पर अनेक मामलों मे ऐसा नहीं हो पाया है और किसान भुगतान के लिये दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. इसके लिये जिम्मेदारी सुनिश्चित कर दोषी अधिकारियों पर कारवाई आरंभ करें.

रांची: मंत्री सरयू राय ने किसानों के लिए आयोजित समारोह पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा समारोह का आयोजन किया गया. दूसरी ओर जिन किसानों से उचित मूल्य एवं बोनस के आधार पर धान की खरीद विगत 31 मार्च 2019 के पूर्व हो चुकी है, उनमें से करीब 2,838 किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे गये धान की कीमत और बोनस की राशि का भुगतान लंबित है.

मंत्री सरयू राय ने कहा कि सरकारी खजाना से किसानों को सहायता राशि का भुगतान कर देने में जितनी तत्परता दिख रही है. उतनी ही तत्परता वैसे किसानों को उनकी हकदारी का भुगतान करने में होनी चाहिए. जिन्होंने पसीना बहाकर और निजी निवेश कर धान उपजाया है. उन्होंने कहा कि खरीफ की बुआई का समय आ गया है. किसान धान का बिचड़ा डाल रहे हैं. उन्हें खेती के लिये पूंजी की जरूरत है, मंत्री ने कहा कि मई 2019 में हुई विभाग की मासिक बैठक में संबंधित पदाधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई थी कि वे किसानों को धान खरीद के बकाया का भुगतान 10 जून 2019 तक कर दें. अन्यथा उनके विरूद्ध कारवाई होगी, उस दिन की बैठक में दिये गये जिलावार आंकड़ों के अनुसार 7,185 किसानों का लगभग 83 करोड रूपये का भुगतान उस दिन तक लंबित था.

ये भी पढ़ें- खूबसूरत लड़कियों के एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर ठगी, रांची साइबर टीम का बड़ा खुलासा

वहीं दिनांक जून, 2019 की मासिक बैठक में बताया गया था कि 3,434 किसानों का लगभग 45 करोड़ रूपया का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है. नियमानुसार जो किसान किसी पैक्स में अपना धान बेचेगा, उसका भुगतान 7 दिन में हो जायेगा. प्रक्रिया है कि पैक्स द्वारा किसानों से खरीदा गया धान अविलम्ब पैक्स से उठाकर संबंधित चावल मील में भेज दिया जायेगा. धान जैसे ही मील में प्राप्त कर लिया जायेगा वैसे ही धान की कीमत किसान के खाते में भेज दी जायेगी.

राज्य भर में कुल 34,247 किसानों से इस वर्ष 2,27,858 लाख टन धान की खरीद हुई है. जिसमें से 31,409 किसानों को लगभग 396 करोड़ रूपया का भुगतान हो गया है. पर अभी भी 2,838 किसानों का लगभग 36 करोड़ रूपया का भुगतान लंबित है. कई जिलों में किसानों से खरीदा गया धान अभी भी पैक्स में पड़ा है. इसे मिल में नहीं भेजा गया है.

मंत्री ने कहा कि व्यवस्था बनाई गई थी कि किसानों से खरीदा गया धान मील पर पहुंचाने में कोई कठिनाई हो तो सरकार की ओर से राज्य खाद्य निगम उसे कब्जा में ले लेगा और पैक्स से उठाकर अपने गोदाम में रखेगा. धान गोदाम में पहुंचते ही किसान को धान का भुगतान हो जायेगा. पैक्स से चावल मील में अथवा गोदाम में धान पहुंचाने की प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूरी हो जायेगी और सप्ताह के भीतर किसान को भुगतान हो जायेगा. पर अनेक मामलों मे ऐसा नहीं हो पाया है और किसान भुगतान के लिये दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. इसके लिये जिम्मेदारी सुनिश्चित कर दोषी अधिकारियों पर कारवाई आरंभ करें.

Intro:रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार में मंत्री सरयू राय ने सोमवार को राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए आयोजित समारोह पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि
राज्य सरकार द्वारा समारोह आयोजित कर किया जा रहा है. दूसरी ओर जिन किसानों से उचित मूल्य एवं बोनस के आधार पर धान की खरीद विगत 31 मार्च 2019 के पूर्व हो चुकी है उनमें से करीब 2,838 किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे गये धान की कीमत और बोनस की राशि का भुगतान लंबित है. उन्होंने कहा कि सरकारी खजाना से किसानों को सहायता राशि का भुगतान कर देने में जितनी तत्परता दिख रही है उतनी ही तत्परता वैसे किसानों को उनकी हकदारी का भुगतान करने में होनी चाहिये जिन्होंने पसीना बहाकर और निजी निवेश कर धान उपजाया है.

मंत्री ने कहा कि खरीफ की बुआई का समय आ गया है. किसान धान का बिचडा डाल रहे हैं. उन्हें खेती के लिये पूंजी की जरूरत है और उनकी अपनी पूँजी के बिना उनके किसी कसूर सरकार के पास फँसी हुई है. मंत्री ने कहा कि मई , 2019 में हुई विभाग की मासिक बैठक में संबंधित पदाधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई थी कि वे किसानों को धान खरीद के बकाया का भुगतान 10 जून 2019 तक कर दें अन्यथा उनके विरूद्ध कारवाई होगी. उस दिन की बैठक में दिये गये जिलावार आंकड़ों के अनुसार 7,185 किसानों का लगभग 83 करोड रूपये का भुगतान उस दिन तक लंबित था. वहीं दिनांक जून, 2019 की मासिक बैठक में बताया गया था कि 3,434 किसानों का लगभग 45 करोड़ रूपया का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है.

Body:उन्होंने कहा कि नियमानुसार जो किसान किसी पैक्स में अपना धान बेचेगा उसका भुगतान 7 दिन में हो जायेगा. प्रक्रिया है कि पैक्स द्वारा किसानों से खरीदा गया धान अविलम्ब पैक्स से उठाकर संबंधित चावल मिल में भेज दिया जायेगा. धान जैसे ही मिल में प्राप्त कर लिया जायेगा वैसे ही धान की कीमत किसान के खाता में भेज दी जायेगी. राज्य भर में कुल 34,247 किसानों से इस वर्ष 2,27,858 लाख टन धान की खरीद हुई है जिसमें से 31,409 किसानों को लगभग 396 करोड रूपया का भुगतान हो गया है. पर अभी भी 2,838 किसानों का लगभग 36 करोड़ रूपया का भुगतान लंबित है. कई जिलों में किसानों से खरीदा गया धान अभी भी पैक्स में पड़ा है. इसे मिल में नहीं भेजा गया है.

मंत्री ने कहा कि व्यवस्था बनाई गई थी कि किसानों से खरीदा गया धान मिल पर पहुँचाने में कोई कठिनाई हो तो सरकार की ओर से राज्य खाद्य निगम उसे कब्जा में ले लेगा और पैक्स से उठाकर अपने गोदाम में रखेगा. धान गोदाम में पहुँचते ही किसान को धान का भुगतान हो जायेगा. पैक्स से चावल मिल में अथवा गोदाम में धान पहुँचाने की प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूरा हो जायेगी और सप्ताह के भीतर किसान को भुगतान हो जायेगा. पर अनेक मामलों मे ऐसा नहीं हो पाया है और किसान भुगतान के लिये दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. इसके लिये जिम्मेदारी सुनिश्चित कर दोषी अधिकारियों पर कारवाई आरम्भ करें. जिन किसानों का धान संबंधित पैक्स ने खरीद लिया है और धान की खरीदगी की रसीद किसान को दे दिया है उस किसान को पैक्स द्वारा दी गई रसीद के आधार पर भुगतान कर दिया जाय.

Conclusion:यदि किसान से धान खरीद कर पैक्स के गोदाम में आ गया है और सरकार के गोदाम में अथवा चावल मिल में नहीं पहुंचा है तो इसके लिये किसान जिम्मेवार नहीं है बल्कि खरीददार दोषी है. इसलिये किसान को खरीदे गये धान की कीमत का और इसपर दिये जा रहे बोनस अनुदान का भुगतान त्वरित गति से किया जाय.

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