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लोकसभा के शीतकालीन सत्र में बोले संजय सेठ, रांची में आर्मी अधिकृत जमीन पर बसे गांव में नहीं पहुंच रहीं मूलभूत सुविधाएं - Assembly Elections 2019

एयरपोर्ट के बगल में बसे हुंडरू गांव में आने जाने के रास्ते के मामले का पेंच सालों से फंसा है. आर्मी की जमीन होने की वजह से मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं. सेना की जमीन होने के कारण इस गांव में नगर निगम की भी पाइपलाइन अभी तक नहीं जा सकी है.

लोकसभा के शीतकालीन सत्र में संजय सेठ
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Published : Nov 20, 2019, 1:32 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 3:24 PM IST

रांची: संसद के शीतकालीन सत्र में रांची के सांसद संजय सेठ की ओर से आर्मी कैंप के बगल में बसे ग्रामीणों के दर्द को लेकर आवाज उठाई. इसके बाद राजधानी रांची में आर्मी कैंप के बगल में बसे गांव में रहने वाले ग्रामीणों की आस एक बार फिर जग गई है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

राजधानी में आज भी कई ऐसे गांव हैं जो आर्मी कैंप के बगल में बसे हैं. वहां पर आर्मी की जमीन होने की वजह से मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं. ऐसे ही गांव में है शामिल एयरपोर्ट के बगल में बसा हूंडरु-हेथू गांव, जहां आज भी ग्रामीणों को पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी कई छोटी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- जमशेदपुर पूर्वी सीट पर रघुवर-सरयू के बीच घुसे ओवैसी, सिख को बनाया उम्मीदवार

एयरपोर्ट के बगल में बसे हुंडरू गांव में आने जाने के रास्ते के मामले का पेंच सालों से फंसा है. सेना की अधिकृत जमीन पर ही रास्ता बनने की बात कहकर ग्रामीणों को हमेशा ही आश्वासन दिया गया, लेकिन सेना की ओर से अनुमति नहीं मिलने पर अभी तक यहां के लोग कच्ची सड़क पर ही आने-जाने को मजबूर हैं.

वहीं, सेना की जमीन होने के कारण इस गांव में नगर निगम की भी पाइपलाइन अभी तक नहीं जा सकी है. इस वजह से यहां के ग्रामीणों को कुएं और तालाब जैसे संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है. सेना की जमीन होने के कारण गांव को सालों से जल संकट जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है. हालांकि यहां के लोग इस समस्या को लेकर कई बार अपने विधायक और स्थानीय प्रतिनिधि से शिकायत भी कर चुके हैं. इसके बावजूद अभी तक यहां के ग्रामीणों को आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला.

रांची: संसद के शीतकालीन सत्र में रांची के सांसद संजय सेठ की ओर से आर्मी कैंप के बगल में बसे ग्रामीणों के दर्द को लेकर आवाज उठाई. इसके बाद राजधानी रांची में आर्मी कैंप के बगल में बसे गांव में रहने वाले ग्रामीणों की आस एक बार फिर जग गई है.

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राजधानी में आज भी कई ऐसे गांव हैं जो आर्मी कैंप के बगल में बसे हैं. वहां पर आर्मी की जमीन होने की वजह से मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं. ऐसे ही गांव में है शामिल एयरपोर्ट के बगल में बसा हूंडरु-हेथू गांव, जहां आज भी ग्रामीणों को पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी कई छोटी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

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एयरपोर्ट के बगल में बसे हुंडरू गांव में आने जाने के रास्ते के मामले का पेंच सालों से फंसा है. सेना की अधिकृत जमीन पर ही रास्ता बनने की बात कहकर ग्रामीणों को हमेशा ही आश्वासन दिया गया, लेकिन सेना की ओर से अनुमति नहीं मिलने पर अभी तक यहां के लोग कच्ची सड़क पर ही आने-जाने को मजबूर हैं.

वहीं, सेना की जमीन होने के कारण इस गांव में नगर निगम की भी पाइपलाइन अभी तक नहीं जा सकी है. इस वजह से यहां के ग्रामीणों को कुएं और तालाब जैसे संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है. सेना की जमीन होने के कारण गांव को सालों से जल संकट जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है. हालांकि यहां के लोग इस समस्या को लेकर कई बार अपने विधायक और स्थानीय प्रतिनिधि से शिकायत भी कर चुके हैं. इसके बावजूद अभी तक यहां के ग्रामीणों को आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला.

Intro:NOTE- संजय सेठ का संसद भवन में बोलते हुए विसुअल LSTV से रिकॉर्ड किया गया है,कृपया कर देख लें।

शीतकालीन सत्र में रांची के सांसद संजय सेठ के द्वारा आर्मी कैंप के बगल में बसे ग्रामीणों की दर्द को लेकर संसद भवन में आवाज उठाई गई,जिसके बाद राजधानी रांची में आर्मी कैंप के बगल में बसे गांव में रहने वाले ग्रामीणों की आस एक बार फिर जग गई है।

राजधानी में आज भी कई ऐसे गांव हैं जो आर्मी कैंप के बगल में बसा है और वहां पर आर्मी की जमीन होने के कारण मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही है




Body:ऐसे ही गांव में शामिल एयरपोर्ट के बगल में बसा हूंडरु-हेथू गांव है जहां आज भी ग्रामीणों को पानी,सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी कई छोटी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

एयरपोर्ट के बगल में बसा हुंडरू गांव में आने जाने के रास्ता के मामले का पेच वर्षों से फंसा है सेना के अधिकृत जमीन पर ही रास्ता बनने की बात कह कर ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया है लेकिन सेना द्वारा अनुमति नहीं मिलने को लेकर अभी तक यहां के लोग कच्ची सड़क के उबर-खाबर रास्ते पर ही आने-जाने को मजबूर हैं।

वहीं सेना की जमीन होने के कारण इस गांव में नगर निगम का भी पाइपलाइन अभी तक नहीं जा सका है जिस वजह से यहां के ग्रामीणों को कुएं और तालाब जैसे संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

सेना के जमीन होने के कारण गांव को वर्षों से जल संकट जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है,हालांकि यहां के लोग इस समस्या को लेकर कई बार अपने विधायक और स्थानीय प्रतिनिधि को शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन अभी तक यहां के ग्रामीणों को आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिल पाया है।




Conclusion:इस मामले को वर्षों पहले सुबोध कांत सहाय, नवीन जयसवाल, राम टहल चौधरी जैसे नेता भी उठा चुके हैं, लेकिन ग्रामीणों को निराशा ही अब तक हाथ लगी है लेकिन इस बार सांसद संजय सेठ के द्वारा सोमवार से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में संसद भवन में फिर से आवाज उठाने के बाद यहां के ग्रामीणों की आस बढ़ी है और यहां के ग्रामीण टकटकी से आस लगाए बैठे हैं कि इन्हें भी आम जनों के तरह पानी सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हो सके।

बाइट- करुण गोप, ग्रामीण
बाइट-शेखर मल्लिक,ग्रामीण

पीटीसी-हितेश कुमार चौधरी,संवाददाता।
Last Updated : Nov 20, 2019, 3:24 PM IST
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