रांची: संसद के शीतकालीन सत्र में रांची के सांसद संजय सेठ की ओर से आर्मी कैंप के बगल में बसे ग्रामीणों के दर्द को लेकर आवाज उठाई. इसके बाद राजधानी रांची में आर्मी कैंप के बगल में बसे गांव में रहने वाले ग्रामीणों की आस एक बार फिर जग गई है.
राजधानी में आज भी कई ऐसे गांव हैं जो आर्मी कैंप के बगल में बसे हैं. वहां पर आर्मी की जमीन होने की वजह से मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं. ऐसे ही गांव में है शामिल एयरपोर्ट के बगल में बसा हूंडरु-हेथू गांव, जहां आज भी ग्रामीणों को पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी कई छोटी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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एयरपोर्ट के बगल में बसे हुंडरू गांव में आने जाने के रास्ते के मामले का पेंच सालों से फंसा है. सेना की अधिकृत जमीन पर ही रास्ता बनने की बात कहकर ग्रामीणों को हमेशा ही आश्वासन दिया गया, लेकिन सेना की ओर से अनुमति नहीं मिलने पर अभी तक यहां के लोग कच्ची सड़क पर ही आने-जाने को मजबूर हैं.
वहीं, सेना की जमीन होने के कारण इस गांव में नगर निगम की भी पाइपलाइन अभी तक नहीं जा सकी है. इस वजह से यहां के ग्रामीणों को कुएं और तालाब जैसे संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है. सेना की जमीन होने के कारण गांव को सालों से जल संकट जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है. हालांकि यहां के लोग इस समस्या को लेकर कई बार अपने विधायक और स्थानीय प्रतिनिधि से शिकायत भी कर चुके हैं. इसके बावजूद अभी तक यहां के ग्रामीणों को आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला.