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रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में सृष्टि अस्पताल की भूमिका संदिग्ध, CID ने मांगी जानकारी

रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में सीआईडी ने रांची के सृष्टि अस्पताल की भूमिका संदिग्ध पाई है. इस मामले को लेकर सीआईडी ने अस्पताल से जानकारी मांगी है.

role of srishti hospital suspected in remdesivir black marketing case in ranchi
सीआईडी
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Published : Jun 2, 2021, 8:47 PM IST

रांची: जिले के चर्चित रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में सीआईडी ने अपनी जांच में रांची के हिनू स्थित सृष्टि अस्पताल की भूमिका संदिग्ध पाई है. मामले को लेकर सीआईडी के जांच पदाधिकारी ने इस मामले में अस्पताल प्रबंधन को नोटिस भेज कर कई बिंदूओं पर जानकारी मांगी है. रेमडेसिविर कालाबजारी मामले का मुख्य आरोपी राजीव सिंह वर्तमान में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद है.

ये भी पढ़ें- रेमडेसिविर दवा की कालाबाजारी की जांच पर झारखंड हाई कोर्ट सख्त, एडीजी अदालत में हाजिर होकर दें जवाब



निजी अस्पताल की भूमिका की जांच
जांच में यह सामने आया है कि अस्पताल में भर्ती श्रवण कुमार और सुधीर मिंज के नाम पर रेमडेसिविर का आवंटन हुआ था. लेकिन आवंटन के बावजूद दोनों मरीजों को रेमडेसिविर नहीं दिया गया था. श्रवण कुमार और सुधीर मिंज के नाम पर लिए गए रेमडेसिविर को ही अस्पताल के कर्मचारी मनीष सिन्हा की ओर से मेडिसिन प्वाइंट के संचालक राजेश रंजन को दिया गया था. सीआईडी की तरफ से मामले की जांच कर रहे अनुसंधानकर्ता ने इस मामले में सृष्टि अस्पताल प्रबंधन से पूछा है कि रेमडेसिविर के आवंटन के क्या नियम थे, इस नियम के तहत अगर अस्पताल को सीधे मरीज के लिए रेमडेसिविर दिए जाते थे तब ये रेमडेसिविर कैसे दुकान तक पहुंचा. कैसे अस्पताल में भर्ती किसी मरीज को आवंटित रेमडेसिविर बाहर भेजा गया, इन बिंदुओं पर सवाल पूछा गया है.


राकेश रंजन और ग्रामीण एसपी का बयान 161 के तहत दर्ज
सीआईडी ने केस के अनुसंधान के क्रम में रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम और दवा दुकान संचालक राजेश रंजन का बयान धारा 161 के तहत दर्ज किया है. ग्रामीण एसपी ने बयान में बताया कि कई जगह सोशल मीडिया में आई खबरों में राजीव सिंह को समाजसेवी बताया गया था. जिसमें यह बताया गया था कि राजीव सिंह अपने कार में रखी दवाइयां के माध्यम से कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में मदद करते हैं. राजीव का नंबर भी जारी किया गया था.

ग्रामीण एसपी के अनुसार इसी दौरान उन्हें अपने एक परिचित के इलाज के लिए रेमडेसिविर की जरूरत थी. ऐसे में उन्होंने मीडिया में प्रसारित राजीव सिंह के नंबर पर कॉल किया. उस नंबर पर राजीव सिंह से बात होने के बाद उन्होंने रेमडेसिविर लाने के लिए अपने ड्राइवर और बॉडीगार्ड को राजीव के पास भेजा था. वहीं राकेश रंजन ने बयान में बताया कि उसके बहनोई राज अस्पताल में भर्ती थे. बहनोई के लिए उसने रेमडेसिविर मनीष सिन्हा से ली थी लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो पाया था. ऐसे में रेमडेसिविर उसने राजीव सिंह को दे दी थी.

3 जून को एडीजी को होना है हाजिर
सीआईडी एडीजी अनिल पालटा को गुरुवार को इस मामले में हाई कोर्ट के समक्ष वीसी के जरिये हाजिर होना है. कोविड-19 के इलाज में महत्वपूर्ण दवा में से एक रेमडेसिविर की कालाबाजारी को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व में जांच के आदेश दिए थे. मामले की जांच पर सरकार की ओर से दिए गए जवाब पर झारखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए मामले की जांच कर रहे सीआईडी के एडीजी को खुद अदालत में उपस्थित होकर जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 3 जून को होगी.

रांची: जिले के चर्चित रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में सीआईडी ने अपनी जांच में रांची के हिनू स्थित सृष्टि अस्पताल की भूमिका संदिग्ध पाई है. मामले को लेकर सीआईडी के जांच पदाधिकारी ने इस मामले में अस्पताल प्रबंधन को नोटिस भेज कर कई बिंदूओं पर जानकारी मांगी है. रेमडेसिविर कालाबजारी मामले का मुख्य आरोपी राजीव सिंह वर्तमान में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद है.

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निजी अस्पताल की भूमिका की जांच
जांच में यह सामने आया है कि अस्पताल में भर्ती श्रवण कुमार और सुधीर मिंज के नाम पर रेमडेसिविर का आवंटन हुआ था. लेकिन आवंटन के बावजूद दोनों मरीजों को रेमडेसिविर नहीं दिया गया था. श्रवण कुमार और सुधीर मिंज के नाम पर लिए गए रेमडेसिविर को ही अस्पताल के कर्मचारी मनीष सिन्हा की ओर से मेडिसिन प्वाइंट के संचालक राजेश रंजन को दिया गया था. सीआईडी की तरफ से मामले की जांच कर रहे अनुसंधानकर्ता ने इस मामले में सृष्टि अस्पताल प्रबंधन से पूछा है कि रेमडेसिविर के आवंटन के क्या नियम थे, इस नियम के तहत अगर अस्पताल को सीधे मरीज के लिए रेमडेसिविर दिए जाते थे तब ये रेमडेसिविर कैसे दुकान तक पहुंचा. कैसे अस्पताल में भर्ती किसी मरीज को आवंटित रेमडेसिविर बाहर भेजा गया, इन बिंदुओं पर सवाल पूछा गया है.


राकेश रंजन और ग्रामीण एसपी का बयान 161 के तहत दर्ज
सीआईडी ने केस के अनुसंधान के क्रम में रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम और दवा दुकान संचालक राजेश रंजन का बयान धारा 161 के तहत दर्ज किया है. ग्रामीण एसपी ने बयान में बताया कि कई जगह सोशल मीडिया में आई खबरों में राजीव सिंह को समाजसेवी बताया गया था. जिसमें यह बताया गया था कि राजीव सिंह अपने कार में रखी दवाइयां के माध्यम से कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में मदद करते हैं. राजीव का नंबर भी जारी किया गया था.

ग्रामीण एसपी के अनुसार इसी दौरान उन्हें अपने एक परिचित के इलाज के लिए रेमडेसिविर की जरूरत थी. ऐसे में उन्होंने मीडिया में प्रसारित राजीव सिंह के नंबर पर कॉल किया. उस नंबर पर राजीव सिंह से बात होने के बाद उन्होंने रेमडेसिविर लाने के लिए अपने ड्राइवर और बॉडीगार्ड को राजीव के पास भेजा था. वहीं राकेश रंजन ने बयान में बताया कि उसके बहनोई राज अस्पताल में भर्ती थे. बहनोई के लिए उसने रेमडेसिविर मनीष सिन्हा से ली थी लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो पाया था. ऐसे में रेमडेसिविर उसने राजीव सिंह को दे दी थी.

3 जून को एडीजी को होना है हाजिर
सीआईडी एडीजी अनिल पालटा को गुरुवार को इस मामले में हाई कोर्ट के समक्ष वीसी के जरिये हाजिर होना है. कोविड-19 के इलाज में महत्वपूर्ण दवा में से एक रेमडेसिविर की कालाबाजारी को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व में जांच के आदेश दिए थे. मामले की जांच पर सरकार की ओर से दिए गए जवाब पर झारखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए मामले की जांच कर रहे सीआईडी के एडीजी को खुद अदालत में उपस्थित होकर जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 3 जून को होगी.

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