हैदराबाद/पटनाः बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर बड़ी संख्या में बिहार लौट आए हैं. ये सभी खुद से घर वापस लौटे हैं जबकि इनकी वापसी की व्यवस्था बिहार सरकार को करनी चाहिए थी. राज्य में डबल इंजन की सरकार है लेकिन उसने हाथ खड़े कर दिए. प्रवासी मजदूरों की जांच, क्वॉरेंटाइन और रोजगार को लेकर सरकार गंभीर नहीं है.
तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में पहले से ही 7 करोड़ लोग बेरोजगार हैं और अब प्रवासी मजदूरों की संख्या जोड़ने के बाद ये समस्या विकराल हो गई है. ऐसा पहली बार हुआ है कि जब बड़ी संख्या में स्किलड मजदूर बिहार में मौजूद हैं, ऐसे लोगों के लिए सरकार क्या कर रही है.
कोरोना संकट के काल में सत्ता और विपक्ष सभी को मिलकर काम करने की जरूरत थी लेकिन इंतजार के बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मजदूरों को लाने की पहल नहीं की. राज्य सरकार और रेलवे के बीच रकम को लेकर खींचतान चलती रही ऐसे में मजदूरों को खामियाजा भुगतना पड़ा. ट्रेन देरी से पहुंची और तय गंतव्य के बजाए कहीं और चली गई, इसके बावजूद मजदूरों को खाना-पानी नहीं मुहैया कराया गया.
लालू प्रसाद यादव ने जो किया वो सामाजिक न्याय था, हमारा प्रयास है कि हम लोगों को आर्थिक न्याय दिलाएं. बिहार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में अत्यंत पिछड़ा हुआ है लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति हो तो इस स्थिति को बदला जा सकता है. यहां जूट मिल, फूड प्रोसेसिंग यूनिट और आईटी क्षेत्र में बेहतर संभावनाएं हैं.
बिहार को आगे कैसे ले जाना है, इस पर हम पहले से ही काम कर रहे हैं. कला, पर्यटन से लेकर पलायन तक के लिए ब्लू प्रिंट तैयार है.