रांची: कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन (Corona Vaccine) की दोनों डोज लेने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं. एक निजी एजेंसी के आंकड़े के अनुसार देश में 80 हजार से अधिक ऐसे लोग हैं, जिन्होंने वैक्सीन ली उसके बावजूद वह संक्रमित हो गए. स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर विशेषज्ञ तक वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या को लेकर चिंतित तो हैं, लेकिन हैरान नहीं हैं.
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क्या कहते हैं डॉक्टर
ईटीवी भारत की टीम ने डॉक्टरों से यह जानने की कोशिश की है कि आखिर कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लेने के बावजूद आम लोगों के साथ-साथ डॉक्टर, नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित क्यों हो रहे हैं? डॉक्टरों ने इसे सामान्य बात बताते हुए कहा कि वैक्सीन कभी भी किसी रोग के संक्रमण से नहीं बचाता है, बल्कि शरीर को उस संक्रमण से लड़ने में मदद करता है, ऐसे में वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बावजूद कोरोना का संक्रमण होने का खतरा बना रहना सामान्य बात है, लेकिन वैक्सीन लेने के बाद बीमारी की गंभीरता वैसी नहीं रह जाती, जैसा कोरोना संक्रमण के पहले और दूसरे खेप में देखा गया था.
वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी कई स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित
झारखंड झासा के प्रदेश महासचिव डॉ बिमलेश सिंह कहते हैं कि यह सही है कि वैक्सीन लेने के बाद भी राज्य में डॉक्टर्श और नर्स पॉजिटिव हुए हैं, लेकिन उनमें गंभीर लक्षण नहीं आए. उन्होंने बताया कि ICMR अब हेल्थ केयर वॉरियर्स को बूस्टर डोज देने की योजना बना रही है. डॉ बिमलेश सिंह के अनुसार सदर अस्पताल में ही 18 के करीब डॉक्टर और लगभग 40 मेडिकल स्टाफ, जिसमें नर्स भी शामिल हैं. वह दोनों डोज लेने के बावजूद संक्रमित हो गए. वहीं रिम्स में भी ऐसे डॉक्टरों की संख्या अच्छी खासी है.
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कोरोना जांच के नोडल अधिकारी भी वैक्सीन लेने के बाद हुए संक्रमित
रांची में कोरोना जांच के नोडल अधिकारी रहे डॉ अखिलेश झा खुद दोनों डोज लेने के बावजूद कोरोना संक्रमित हो गए थे. उन्होंने ईटीवी भारत से बताया कि मेरे जैसे बहुत सारे लोग हैं जो वैक्सीन लेने के बावजूद संक्रमित तो हुए, लेकिन वैक्सीन ने उन्हें बीमारी की गंभीरता से बचा लिया. वहीं रांची के प्रख्यात जनरल सर्जन डॉ आरके सिंह जो खुद संक्रमित हुए थे. वह कहते हैं कि आज भी कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और वैक्सीन लगवाना ही कोरोना के खिलाफ मजबूत हथियार है.