रांची: सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट के द्वारा शिक्षक नियुक्ति को रद्द करने और फिर से उनकी प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार की तरफ से नियोजन नीति को लेकर स्पष्ट बिंदु नहीं रखा गया, जिसके कारण यह फैसला लिया गया है इस विषय पर सदन के अंदर चंदनकियारी विधायक अमर कुमार बाउरी ने अपनी बात रखी. वहीं उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब वर्तमान सरकार 1985 के आधार वाली नियोजन नीति को लागू नहीं करा पा रही है तो 1932 पर आधारित नियोजन नीति कैसे लागू कर पाएगी.
वहीं, उन्होंने कहा कि 2014 से लेकर 2019 तक रघुवर दास वाली सरकार ने शत-प्रतिशत झारखंड के लोगों को नौकरी दी यह नौकरियां ग्रेड 3 और 4 के लिए ही आरक्षित थी. जबकि ग्रेट 1 और 2-1 के लिए इसमें कोई प्रावधान नहीं है और यह मात्र 10 वर्षों के लिए ही लागू की गई थी, उन्होंने सरकार द्वारा कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखने के कारण आज सत प्रतिशत झारखंड के मूलवासियों की नौकरी खतरे में है. कोर्ट ने भी माना है कि किसी भी राज्य में शत-प्रतिशत स्थानीय को नौकरी देना संभव नहीं है.
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वहीं उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जब 1985 के आधार बनाकर तैयार किया गया. नियोजन नीति को यह सरकार लागू नहीं करा पा रही है तो 1932 के आधार पर नियोजन नीति तैयार कर स्थानीय को नौकरी देने की बात अपने चुनावी सभा में कैसे किया. अगर 2014 से लेकर 2019 तक शत प्रतिशत स्थानीय को नौकरी देना इनकी नजर में निकम्मापन है तो मुझे गर्व है कि हम लोग निकम्मे हैंय उन्होंने कहा कि यह सरकार डीजीपी की नौकरी बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है लेकिन झारखंड हाई कोर्ट में अपने राज्य के लिए स्थानीय और युवाओं की नौकरी बचाने के लिए अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाती उन्होंने सरकार से मांग किया है कि वह झारखंड की युवाओं की नौकरी को किसी भी तरह से बचा लिया जाए.
वहीं शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार की नाकामियों का पाप धोने का काम कर रही है. मौजूदा सरकार उन्हीं के गलतियों के कारण आज झारखंड हाई कोर्ट का फैसला आया है और लगभग 18000 युवाओं को नौकरी से वंचित कर दिया गया. पूर्ववर्ती सरकार अपने नाकामियों को छुपाने के लिए विरोध कर रही है.