रांची: प्रदेश के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री रामचंद्र सहिस ने कहा कि राज्य में पहली बार आदिम जनजाति समुदाय को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 2251 योजनाओं की स्वीकृति दी गई है. सहिस ने कहा कि उन योजनाओं को इस साल के सितंबर महीने तक पूरा कर लिया जाएगा.
सहिस ने बताया कि राज्य में पहली बार अनुसूचित जाति और जनजाति बहुल टोलों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री जन-जल योजना के तहत 11,124 योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की गई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश एक साल पहले ही ओडीएफ हो चुका है और राज्य में पिछले साढ़े 4 साल में 35% घरों में नलों से पानी दिया जा रहा है. पिछले 15 साल में 12% घरों तक लोगों का पानी पहुंचा था. वहीं 2020 तक 50% घरों तक नल का पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
इस मौके पर मौजूद विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने बताया कि राज्य में 4,04,000 चापानल लगाए गए हैं, जिनमें से औसतन 5 से 7% ही खराब होते हैं, जबकि इस साल मार्च से लेकर जून तक 70,000 ठीक कराए गए हैं. पटनायक ने बताया कि एक औसत के अनुसार गर्मी में 10% चापानल खराब होने की शिकायतें विभाग को मिलती है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि राज्य भर में 55,000 रानी मिस्त्री को प्रशिक्षण दिया गया था जो स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण का काम कंप्लीट होने के बाद अब विभाग द्वारा अलग-अलग योजनाओं में लगाई गई है.