रांची: कोरोना की दूसरी लहर में गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन की कितनी मात्रा का उपयोग बेहतर असर करती है इस पर रिम्स के क्रिटिकल केयर के डॉक्टर यूरोपियन देशों के डॉक्टरों के साथ मिलकर एक शोध कर रहे थे. जिसकी रिपोर्ट को अब जर्नल ऑफ अमेरिका मेडिकल एसोसिएशन में जगह मिली है. ऐसा संभवतः पहली बार हुआ है कि किसी अंतरराष्ट्रीय फलक के जर्नल में मल्टी नेशनल स्टडी का रिम्स हिस्सा बना हो और उसका नाम दुनिया और देश के अन्य बड़े अस्पतालों के साथ आया हो.
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कोरोना के दौरान WHO ने स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन की 6mg की मात्रा कोरोना संक्रमित मरीजों को प्रति दिन देने की अनुशंसा की थी. अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्टडी जिसमें रिम्स भी शामिल था, उसमें यह परिणाम आए कि कोरोना संक्रमितों में डेक्सामेथासोन की 6mg प्रतिदिन की जगह 12 mg प्रतिदिन का डोज थोड़ा अधिक कारगर और इफेक्टिव तो था. लेकिन उतना भी नहीं कि इसके आधार पर कोई अनुशंसा की जाए.
क्या कहते हैं ट्रामा सेंटर के हेड
ट्रामा सेंटर के हेड डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने फोन पर ईटीवी भारत से बात की और बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए इस स्टडी में यह देखना था कि कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए WHO द्वारा अनुशंसित dexamethasone की 6mg प्रति दिन देने की जगह अगर 12 mg प्रति दिन दिया जाए तो उसका क्या असर होता है. इसके जो नतीजे आए हैंं उसमें यह तो है कि 12 mg प्रति दिन का डोज देने से 06 mg प्रति दिन की अपेक्षा थोड़ा बेहतर परिणाम मिले हैं. लेकिन यह इतना मामूली है कि इस स्टेटिकल डेटा के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि कोरोना के गंभीर मरीजों में स्टेरॉयड dexamethasone की 12 mg प्रति दिन की मात्रा WHO की अनुशंसित 06 mg प्रतिदिन से ज्यादा कारगर है, या आगे से 12 mg प्रतिदिन ही इस्तेमाल करना ठीक रहेगा. उन्होंने कहा कि इस पर अभी और शोध किए जाने की जरूरत है.