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लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप मालिकों का निकाला तेल! 80 फीसदी तक घटी बिक्री

कोरोना वायरस से देशभर में लॉकडाउन लागू होने के बाद लोगों का बाहर निकलना बंद हो गया है. इस का नकारात्मक प्रभाव पेट्रोलियम व्यवसाय पर भी पड़ा है. झारखंड में पिछले डेढ़ महीने में पेट्रोल डीजल की बिक्री में लगभग 80 फीसदी की कमी देखी गई है.

Reduced demand for petrol-diesel in lockdown jharkhand
लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप
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Published : May 8, 2020, 5:55 PM IST

रांची: कोरोना वायरस का असर देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहा है. अर्थव्यवस्था के इंडेक्स को मापने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री भी लॉकडाउन की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुई है. झारखंड के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले डेढ़ महीने में पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री लगभग 80% नीचे गिरी है. लॉकडाउन की वजह से आम गाड़ियों का परिचालन पूरी तरह से बंद है. बस केवल इमरजेंसी सेवाओं के लिए चल रही गाड़ियों में ईंधन भरने का काम ही चल रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

क्या कहते हैं आंकड़ें

अनुमानित आंकड़े के अनुसार, झारखंड में लगभग 1,500 पेट्रोल पंप हैं, जो राज्य के 24 जिलों के अलग-अलग इलाकों में स्थित हैं. उन पेट्रोल पंपों से अमूमन वर्किंग डे में 30,000 लीटर से अधिक डीजल की बिक्री होती है, लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में यह 4 से 5 हजार लीटर पर सिमट कर रह गया है.

Reduced demand for petrol-diesel in lockdown jharkhand
लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप

ऐसा ही कुछ आंकड़ा पेट्रोल का भी है. अमूमन लॉकडाउन के दौरान सरकारी गाड़ियों का मूवमेंट सबसे अधिक हो रहा है या आवश्यक सेवाओं में शुमार डॉक्टर, खाद्य सामग्री और चिकित्सा सेवा से जुड़े लोगों की गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ ट्रकों और बसों के पहिए थमे हुए हैं. इस वजह से पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री प्रभावित हो रही है.

Reduced demand for petrol-diesel in lockdown jharkhand
लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप

मुश्किल में हैं पंप मालिक

झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष मानस सिन्हा ने कहा कि फिलहाल पेट्रोल पंप इसीलिए खुले हुए हैं कि इमरजेंसी सेवा में जुड़े लोगों को दिक्कत न हो. मौजूदा दौर में देखें तो न तो पेट्रोल पंप मालिकों के रेकरिंग एक्सपेंडिचर उससे पूरे होने वाले हैं और न ही अन्य खर्चें. उन्होंने कहा कि मेंटेनेंस का खर्चा तक मौजूदा बिक्री के हिसाब से नहीं निकल पाएगा. उन्होंने कहा कि एक तरफ बिजली का बिल है, दूसरी तरफ स्टाफ का खर्चा है. अभी पेट्रोल पंप मालिक समस्या से जूझ रहे हैं.

Reduced demand for petrol-diesel in lockdown jharkhand
लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप

सरकारी विभागों पर 24 करोड़ का बकाया

उन्होंने कहा कि एसोसिएशन का बड़ा बकाया राज्य सरकार के पास है. हनुमान के हिसाब से हर जिले में लगभग 1-1 करोड़ रुपए का सरकारी बकाया है. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय तक की गाड़ियों में ईंधन तो डाले जा रहे हैं, लेकिन उनके बिल पेमेंट को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं है. जानकारी के अनुसार, दिसंबर महीने में हुए चुनाव के बकाए भी अभी तक पेट्रोल पंप मालिकों को नहीं मिला है.

Reduced demand for petrol-diesel in lockdown jharkhand
लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप

ये भी पढे़ं: कोरोना खौफः साहिबगंज में गंगा के रास्ते आवाजाही पर विशेष नजर, 24 घंटे हो रही पेट्रोलिंग

एसोसिएशन की मांग

मानस सिन्हा ने कहा कि मौजूदा दौर में अगर वह बकाया भी मिल जाए तो पेट्रोल पंप मालिकों को काफी सुविधा होगी. वह अपने पंप खोल सकेंगे. राजधानी के एक पेट्रोल पंप पर बैठे कर्मी दीपक गुप्ता ने बताया कि तेल की खपत काफी कम हो गई है. पहले बड़ी संख्या में लोग आते थे, लेकिन अब गाड़ियों का आना जाना कम हो गया है. पेट्रोल भरवाने आए अरविंद मोदी ने कहा कि सरकार को आम लोगों पर बोझ नहीं डालना चाहिए. हालांकि, लॉकडाउन पीरियड में सरकार का रेवेन्यू कम हुआ है और आने वाले समय में उसकी भरपाई भी होगी, लेकिन उसकी भरपाई के लिए आम लोगों के ऊपर बोझ नहीं डालना चाहिए. खासकर पेट्रोल के दामों में वृद्धि नहीं होनी चाहिए. अगर पेट्रोलियम के दामों में वृद्धि हुई तो इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा.

रांची: कोरोना वायरस का असर देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहा है. अर्थव्यवस्था के इंडेक्स को मापने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री भी लॉकडाउन की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुई है. झारखंड के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले डेढ़ महीने में पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री लगभग 80% नीचे गिरी है. लॉकडाउन की वजह से आम गाड़ियों का परिचालन पूरी तरह से बंद है. बस केवल इमरजेंसी सेवाओं के लिए चल रही गाड़ियों में ईंधन भरने का काम ही चल रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

क्या कहते हैं आंकड़ें

अनुमानित आंकड़े के अनुसार, झारखंड में लगभग 1,500 पेट्रोल पंप हैं, जो राज्य के 24 जिलों के अलग-अलग इलाकों में स्थित हैं. उन पेट्रोल पंपों से अमूमन वर्किंग डे में 30,000 लीटर से अधिक डीजल की बिक्री होती है, लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में यह 4 से 5 हजार लीटर पर सिमट कर रह गया है.

Reduced demand for petrol-diesel in lockdown jharkhand
लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप

ऐसा ही कुछ आंकड़ा पेट्रोल का भी है. अमूमन लॉकडाउन के दौरान सरकारी गाड़ियों का मूवमेंट सबसे अधिक हो रहा है या आवश्यक सेवाओं में शुमार डॉक्टर, खाद्य सामग्री और चिकित्सा सेवा से जुड़े लोगों की गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ ट्रकों और बसों के पहिए थमे हुए हैं. इस वजह से पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री प्रभावित हो रही है.

Reduced demand for petrol-diesel in lockdown jharkhand
लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप

मुश्किल में हैं पंप मालिक

झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष मानस सिन्हा ने कहा कि फिलहाल पेट्रोल पंप इसीलिए खुले हुए हैं कि इमरजेंसी सेवा में जुड़े लोगों को दिक्कत न हो. मौजूदा दौर में देखें तो न तो पेट्रोल पंप मालिकों के रेकरिंग एक्सपेंडिचर उससे पूरे होने वाले हैं और न ही अन्य खर्चें. उन्होंने कहा कि मेंटेनेंस का खर्चा तक मौजूदा बिक्री के हिसाब से नहीं निकल पाएगा. उन्होंने कहा कि एक तरफ बिजली का बिल है, दूसरी तरफ स्टाफ का खर्चा है. अभी पेट्रोल पंप मालिक समस्या से जूझ रहे हैं.

Reduced demand for petrol-diesel in lockdown jharkhand
लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप

सरकारी विभागों पर 24 करोड़ का बकाया

उन्होंने कहा कि एसोसिएशन का बड़ा बकाया राज्य सरकार के पास है. हनुमान के हिसाब से हर जिले में लगभग 1-1 करोड़ रुपए का सरकारी बकाया है. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय तक की गाड़ियों में ईंधन तो डाले जा रहे हैं, लेकिन उनके बिल पेमेंट को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं है. जानकारी के अनुसार, दिसंबर महीने में हुए चुनाव के बकाए भी अभी तक पेट्रोल पंप मालिकों को नहीं मिला है.

Reduced demand for petrol-diesel in lockdown jharkhand
लॉकडाउन ने पेट्रोल पंप

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एसोसिएशन की मांग

मानस सिन्हा ने कहा कि मौजूदा दौर में अगर वह बकाया भी मिल जाए तो पेट्रोल पंप मालिकों को काफी सुविधा होगी. वह अपने पंप खोल सकेंगे. राजधानी के एक पेट्रोल पंप पर बैठे कर्मी दीपक गुप्ता ने बताया कि तेल की खपत काफी कम हो गई है. पहले बड़ी संख्या में लोग आते थे, लेकिन अब गाड़ियों का आना जाना कम हो गया है. पेट्रोल भरवाने आए अरविंद मोदी ने कहा कि सरकार को आम लोगों पर बोझ नहीं डालना चाहिए. हालांकि, लॉकडाउन पीरियड में सरकार का रेवेन्यू कम हुआ है और आने वाले समय में उसकी भरपाई भी होगी, लेकिन उसकी भरपाई के लिए आम लोगों के ऊपर बोझ नहीं डालना चाहिए. खासकर पेट्रोल के दामों में वृद्धि नहीं होनी चाहिए. अगर पेट्रोलियम के दामों में वृद्धि हुई तो इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा.

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